मध्य प्रदेश सरकार ने पांच संतों को राज्यमंत्री का दर्जा दिया है. यह खबर सामने आते ही इसपर विवाद शुरू हो गया है. जिन संतों को राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया है, उनमें नर्मदानंद महाराज, हरिहरनंद महाराज, कंप्यूटर बाबा, भय्यू महाराज और पंडित योगेंद्र महंत शामिल हैं. ये पांचों संत सरकार द्वारा नर्मदा नदी के संरक्षण के लिए बनाई गई कमिटी में शामिल हैं. इन पांचों संतों को अब मंत्री पद से जुड़ी सभी तरह की सुविधाएं मिलेंगी.

इन संतों को राज्यमंत्री बनाने से सम्बन्धित सरकार के फैसले में कहा गयाा है कि 31 मार्च को प्रदेश के विभिन्न चिन्हित क्षेत्रों में विशेषतः नर्मदा किनारे के क्षेत्रों में वृक्षारोपण, जल संरक्षण तथा स्वच्छता के विषयों पर जन जागरूकता का अभियान निरंतर चलाने के लिए विशेष समिति गठित की गई है. राज्य सरकार ने इस समिति के पांच विशेष सदस्यों को राज्यमंत्री का दर्जा प्रदान किया है. यह आदेश तुरंत प्रभाव से लागू होगा. नर्मदा सेवा यात्रा में विशेष योगदान के लिए सरकार ने उन्हें यह तोहफा दिया है. ये संत लोगों को नर्मदा संरक्षण को लेकर जागरूक करने के साथ-साथ उन्हें स्वच्छता का संकल्प भी दिलाएंगे.

इस मुद्दे पर विपक्षी पार्टियां शिवराज सिंह चौहान की सरकार को घेर रही हैं. कांग्रेस ने कहा है कि आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा साधु-संतों को लुभाने की कोशिश कर रही है. कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने इसे स्वांग करार देते हुए कहा है कि ऐसा कर मुख्यमंत्री अपने पापों को धोने का प्रयास कर रहे हैं. यह चुनावी साल में साधु-संतों को लुभाने की सरकार की कोशिश है.

इन पांच संतों के राज्यमंत्री का दर्जा पाने के साथ ही मध्यप्रदेश में अब मंत्रियों और मंत्री का दर्जा प्राप्त लोगों की संख्या 151 हो गई है. वर्तमान में शिवराज मंत्रिमंडल में कुल 31 मंत्री हैं, जिनमें 20 कैबिनेट और 11 राज्यमंत्री हैं. इनके अलावा अभी मंत्रियों के दो पद रिक्त हैं, जिन्हें जल्दी भरे जाने की चर्चा चल रही है.

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