motihariमोतिहारी चीनी मिल के दो मजदूरों के आत्मदाह की घटना के बाद आन्दोलन ने विशाल रूप ले लिया है. स्वामी अग्निवेश, जन अधिकार पार्टी प्रमुख सह सांसद पप्पू यादव, समाजसेवी और झारखण्ड के एडीजी रह चुके पीके सिद्धार्थ, गांधीवादी और भागलपुर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. रामजी सिंह जैसे लोगों ने मजदूर-किसानों की मांगों को उठाया और आत्मदाह की घटना की न्यायिक जांच की मांग की. चीनी मिल गेट पर सोमवार को मजदूर दिवस पर आयोजित सत्याग्रह सभा में मिल मजदूरों के साथ बच्चे, महिलाएं, किसान और बड़ी संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया.

चम्पारण विकास मोर्चा के नेता राय सुन्दरदेव शर्मा की पहल  पर मजदूर आन्दोलन को व्यापक रूप देने का जिम्मा उक्त नेताओं और समाजसेवियों ने संभाल लिया है.

क्या है घटना

2002 से बकाया वेतन और मिल चालू करने की मांग को लेकर मजदूर आन्दोलन कर रहे हैं. कई बार मिल प्रबंधन के साथ समझौता और न्यायालय के आदेश के बाद भी मजदूरों के बकाया वेतन और किसानों के गन्ना की कीमत का भुगतान नहीं हुआ. विगत 7 अप्रैल से पुन: आन्दोलन शुरू हुआ. मजदूर नेता नरेश श्रीवास्तव ने आन्दोलन की जानकारी देते हुए जिला प्रशासन, पुलिस से लेकर मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री तक को चेतावनी दी थी कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो 9 अप्रैल की अर्धरात्रि के बाद मजदूर आत्मदाह करेंगे. लेकिन किसी ने सुध नहीं ली और 10 अप्रैल को नरेश श्रीवास्तव और मजदूर सूरज बैठा ने आत्मदाह कर लिया. नरेश ने इलाज के दौरान 11 को दम तोड़ दिया, जबकि सूरज बैठा की भी मौत 19 अप्रैल को हो गई थी. एक तरफ चम्पारण सत्याग्रह के सौ वर्ष पूरे होने पर पूरे राज्य में समारोहों का आयोजन हो रहा था और दूसरी तरफ अपनी मजदूरी की मांग को लेकर मजदूर आत्मदाह कर रहे थे.

आन्दोलन ने लिया विशाल रूप

सत्याग्रह सभा के मंच से किसानों-मजदूरों का आह्‌वान करते हुए स्वामी अग्निवेश ने वर्तमान परिवेश में सत्याग्रह की सार्थकता पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए आन्दोलन के नए रूप तलाशे जाने की बात कही. उन्होंने सत्याग्रह पर बोलते हुए कहा कि गांधी जी ने अन्त्योदय का नारा दिया था. गांधी जी ने वसीयत की थी कि सत्ता में जो रहें, वे अपने काम का आकलन इससे करें कि उनके काम व नीतियों से समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति को कितना लाभ मिलता है. लेकिन गांधी जी के उत्तराधिकारियों ने इसे भुला दिया. आज सत्याग्रह शताब्दी वर्ष समारोह मनाया जा रहा है.

करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं, राष्ट्रपति आए, मुख्यमंत्री आए, लेकिन दोनों मजदूरों के शहादत ने बता दिया कि यह सत्याग्रह समारोह केवल फरेब है. मृतक सूरज बैठा का अंतिम समय में लोगों ने मोबाइल पर बयान रिकॉर्ड किया, जिसमें वह चीख-चीख कर आत्मदाह की बात कह रहा है, लेकिन पुलिस ने बार-बार कहने के बाद भी बयान रिकॉर्ड नहीं किया. उन्होंने कहा कि मैंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से फोन पर बात कर घटना की न्यायिक जांच करने और मिल की जमीन को नहीं बेचने देने की बात कही. उन्होंने आह्‌वान किया कि हम लोग इस आन्दोलन को अंजाम तक पहुचाएंगे.

हमारी लड़ाई राजनीतिज्ञों के खिलाफ

इस सभा की एक विशेष बात यह रही कि सांसद पप्पू यादव ने इस आन्दोलन को आगे बढ़ाने की बात कही. चम्पारण विकास मोर्चा के राय सुन्दरदेव शर्मा ने बताया कि उन्होंने पप्पू यादव से इस आन्दोलन में शिरकत करने का आग्रह किया था. सत्याग्रह सभा को सम्बोधित करते हुए पप्पू यादव ने आर्थिक आजादी के लिए आन्दोलन का शंखनाद किया. उन्होंने कहा कि इस आंदोलन के साथ चम्पारण की धरती से ही आर्थिक आजादी की लड़ाई भी शुरू करनी होगी. सांसद पप्पू यादव ने कहा कि चम्पारण की धरती कभी केन, कैश और क्राइम को लेकर जानी जाती थी. आजादी के समय बिहार में 38 चीनी मिलें थीं, जिसमें से आज केवल 12 बची हैं. उसमें भी कई मिलें जर्जर हालत में हैं. किसानों की स्थिति दिल्ली के जन्तर-मन्तर पर देखने को मिली, जहां किसान नंगा होकर पेशाब पीते हैं, पर किसी नेता को उनका दर्द महसूस नहीं होता. मीडिया भी किसानों की पीड़ा को तवज्जो नहीं देता.

लोकपक्ष को करना होगा मजबूत

पूर्व एडीजीपी के सिद्धार्थ ने इस लड़ाई का समर्थन करते हुए कहा कि मजदूर देश के रीढ़ की हड्‌डी की तरह होता है, लेकिन उसे वह प्रतिष्ठा कभी नहीं मिली. जैसे काशी भोले शंकर के त्रिशूल पर टिका है, उसी तरह चम्पारण की धरती भी गांधी की लाठी पर टिकी है. यहां की पुलिस बर्बर हो  गई है. यह मिल बिड़ला परिवार की है और सरकार की गर्दन इन पूंजीपतियों के हाथ में है. ऐसे मेे न्याय पक्ष के साथ हीे लोकपक्ष को मजबूत करना किसानों की जरूरत बन गई है. खेती से लखपति बनाने का गुरुमंत्र देने के लिए विख्यात रहे श्री सिद्धार्थ ने मिल स्थित परिसर में ही किसानों को  प्रशिक्षण देने की बात कही. उन्होंने बताया कि स्थानीय चिकित्सकों ने अपने अस्पताल में किसानों को मुफ्त चिकित्सा सुविधा देने की बात कही है.

जनसुनवाई में किसानों का लिया बयान

मंगलवार को चीनी मिल के शिवमंदिर में जनसुनवाई की गई, जहां स्वामी अग्निवेश, रामजी सिंह, पीके सिद्धार्थ और राय सुन्दरदेव शर्मा ने एक-एक कर सभी मजदूरों का बयान लेकर वीडियोग्राफी कराई. सुन्दरदेव शर्मा ने कहा कि बयान के आधार पर रिपोर्ट तैयार कर सरकार और जांच एजेंसियों समेत  न्यायालय को दिया जाएगा. बयान में सभी मजदूरों और उनके परिजनों ने कहा कि अगर प्रशासन सतर्क होता तो ये घटना नहीं होती. वहीं पुलिस बर्बरता की बात भी किसानों ने खुलकर कही. पुलिसिया कार्रवाई से डरे-सहमे मजदूरों को अब न्याय की उम्मीद जगने लगी है. जनसुनवाई से एक बात तो स्पष्ट हो गई कि अपनी अक्षमता को छुपाने के लिए पुलिस-प्रशासन ने गलत रास्ता अख्तियार किया है. अलबत्ता सरकार ने पुलिस और प्रशासन के लोगों की ही विशेष जांच दल गठित की है.

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