अर्नब गोस्वामी को संवेदनशील जानकारियाँ देने वाले पी एम ओ के ऑफिस में कौन ए एस है जो रक्षा से संबंधित जानकारी उन घटनाओं के होने से पहले ही बताया गया है !और यह बात वह बार्क के सीईओ पार्थ दास के साथ अपने चैनल को कैसे देश का नंबर वन चैनल बनाने के लिए ? यह पार्थ दास के मोबाइल फोन पर व्हाटसअप चैट करने के 500 पन्ने मुंबई पुलिस के हाथों लगे तब पता चल रहा है ! और क्या क्या जानकारियाँ दि गई है और इस आदमी ने उनका क्या उपयोग किया है !

और सबसे अहम बात है जेएनयू के कन्हैया कुमार, उमर खालिद,शैला राशिद ये विद्यार्थी विश्वविद्यालयके विद्यार्थी पदों के चुनाव में जितके आने के बाद झी टीवी चैनल और टाइम्सनाउ मे अर्णव गोस्वामी ने इन सब बच्चों के अनुभवों की कमी का फायदा उठाकर जिस तरह से जबरदस्ती इनके मुँह में आपत्तिजनक बाते ढूसकर निकालने की सर्कस की है ! वह आज भारत के न्यायालय से लेकर मीडिया के सामने उजागर हो चुका है !

और इसीलिए अर्णव गोस्वामी को टाईम्स नाऊ ने निकाला बाहर किया है ! और यह आदमी उसी टाइम्स नाउ को टक्कर देने के लिए एक नया चैनल रिपब्लिक नामके चैनल को कैसे शुरू किया है ? इस बात की जाँच होनी चाहिए! क्योंकि एक चैनल को कितना खर्चा आता है और उसके बाद उसे प्रसारित करने के लिए जो विभिन्न चैनलों पर दिखाने के लिए फीस जमा करनी पडती है वह भी करोड़ों की संख्या में होती है और स्टुडियो,इक्विमेंट और स्टाफ और उसके सेलरी यह पूरा तामझाम हजारों करोड़ रुपये का काम है ! जो की अर्णव गोस्वामी को इतनी रकम कौन दिया है और किसलिए इसकी जांच होनी चाहिए !

क्योंकि शुरू से ही इसने अपनी मनमानी करने के कारण कितने पॅनलिस्ट अपमानित किये गये हैं ! और कुछ लोग खुद उठाकर चले गये हैं ! क्योंकि यह बंदा एंकर की खुर्सिसे न्यायाधीशों की भूमिका में चला जाता है ! और बहस-मुबाहिसे की जगह अपने जज्मेंट सुनाता है और कोई उसे क्रास करता है तो फिजिकली अपने खुर्सिसे उठकर उस प्रतिभागी के आंगपर चढ जाने जैसे उसे देशद्रोह पाकिस्तानी दलाल और क्या क्या बोलता है ! जो की देश और दुनिया के किसी भी चैनल मे इस तरह का तमाशा नहीं देखा है !

शुशांत सिंह राजपूत नामके अभिनेता ने आत्महत्या करने पर अर्णव जैसे एकमात्र एंकर को देखा कि पुलिस,न्यायालय सबसे आगे जाकर उसने जिसे मिडिया ट्रायल बोलते हैं उसे लगातार चलाकर रिया चक्रवर्ती के बारे मे अर्णव ने हदे पार कर दी और कल ही मुंबई हाईकोर्ट ने भी वही कहा कि आप ने बाकायदा मिडिया ट्रायल चलाई है ! वही इंटेरिअर डेकोरेशन करने वाले नाईक बेटे और माँ की आत्महत्या की सुसाईड नोट में साफ साफ लिखा है कि हमें आत्महत्या करने पर अर्णव कैसे जिम्मेदार है ! क्योंकि नब्बेलाख के उपर लाखों रूपये का काम इंटेरिअर डेकोरेशन का काम करा लिया है ! और पेमेट नहीं किया !

और उसी के आसपास सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या की बात को किस तरह से मुझे ड्रग्स दो मुझे ड्रग्स दो एंकर की खुर्सिसे उठकर चिल्ला चिल्ला कर बोले जा रहा था जो सबने देखा है !फिर आई हिमालय की बेटी कंगना राणावत वह तो अर्णव गोस्वामी को भी तमाशा करने और चिल्लाते हुए जिस तरह से बोले जा रही थी वह भी लोगों ने देखा है और एक काबिल अभिनेत्रीके दिमाग़ में सत्ता के मददसे क्या क्या बातें बोलती गई वह भी रेकार्ड है ! और अब आते हैं अलिबाग के जंगलों में तीन साधुओं की हत्या के बाद अर्णव गोस्वामी को जैसे पागलपन का दौरा पड़ने से जैसा कोई पागल चिल्ला चिल्ला कर बोलता वैसे सोनिया गाँधी जवाब दो पूरा देश आपको सुन रहा है जवाब दो ! जैसे हरकतें चैनल पर लगातार किया जा रहा था !

और उसी के आसपास उत्तर प्रदेश में हाथरस,उन्नावकि और साधुओं को मारने की घटना के बाद बलरामपूर,सहारनपुर और उसके पहले गोरखपुर के सरकारी अस्पताल में ऑक्सीजन के अभाव में 100 सेभी ज्यादा बच्चों की मौतों खबरे अर्णव गोस्वामी को कैसे दिखी नहीं?यह सवाल खडा होता है फरवरी की 2019 के अंतिम सप्ताह मे हुए दिल्ली दंगों की रिपोर्ट कैसी-कैसी कवरेज की गई है और वास्तविकता क्या है ?

लाकडाऊन के बाद पिछले मार्च में निजामुद्दीन के जमाते उल उलेमाओं के गैदरिग की बात को दिल्ली पुलिस से लेकर अमित शाह,अजित डोभाल के रोल क्या है ? और औरंगाबाद हाईकोर्ट से लेकर हालही में दिल्ली कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को क्या कहाँ है ! लेकिन बिचके समय में मुसलमानों को कोविद फैलाने वाली कौम के अपराधियों की लिस्ट में डालने का काम करने के लिए विशेष रूप से कौन जिम्मेदार है ?

2014 के बाद अर्णव गोस्वामी को संघ परिवार के लिये और उसमें भी सत्ताधारी दल बीजेपी के लिए एकतरफा बोलते हुए देखा है ! और आप अपने आप को स्वतंत्र चैनल के मालिक संपादक और एंकर की भूमिका में गत तीन साल पहले से देखरहा हूँ ! मुझे बीजेपी के अधिकृत प्रवक्ताओं मे सांबीत पात्रा जैसे बड़बोला प्रवक्ता से भी अधिक बजबोले आप नजर आते हो !

मुंबई पुलिस के नये सबूत देखने के बाद आपका और बीजेपी के संबंध बहुत संशयात्मक नजर आने लगे हैं ! और इसकी जांच होनी चाहिए क्योंकि पुलवामा के और सर्जिकल स्ट्राइक के जैसे संवेदनशील मुद्दे है ! और हमारे देश के चालीस से ज्यादा जवानों की मृत्यु हो ने की बात का है ! जोकि आपके व्हाटसअप रिकार्ड के मुताबिक आपको पहले से मालूम था और एक पत्रकार के धर्म के विपरीत आपने आपके चैनल के टीआरपी के लिए इस्तेमाल किया है ! और इससे बडे देशद्रोही बात नहीं हो सकती!आपकी जाँच के बाद आपको कडी से कडी सजा की मांग कर रहा हूँ और सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष भी इस मुद्दे को लेकर जायेगे !

आज हि के महाराष्ट्र टाइम्स के प्रथम पृष्ठ पर सबसे बडी खबर सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या के बाद तथाकथित मिडिया ट्रायल के बारे में विस्तार से फैसले की खबर और कुछ मार्ग दर्शक तत्वों का ऐलान दिया गया है और यही रिपब्लिक नामके चैनल और उसके सबसे बतमिज और सभी मीडिया की आचार संहिता के धज्जियां उड़ाते हुए चैनल चलाने वाले अर्णव गोस्वामी जैसे बेलगाम एंकर के लिए विशेष रूप से मुंबई हाईकोर्ट का निर्णय उनके मुहपर एक झन्नाटेदार थप्पड़ जैसे ही है ! उम्मीद करते हैं कि कमसे कम इस निर्णय के बाद कुछ फर्क पडेगा !

दुसरे चैनल को नीचा दिखाने के लिए विशेष रूप से ब्रेक के सीईओ की विशेष मददसे टीआरपी बढ़ाने की झूठी आईडी की सर्कस करने जैसा जालसाजी का मामला इसका पत्रकारिता की बिरादरी से बाहर कर ने लिए प्रयाप्त है ! जिसके पत्रकारिता की शुरुआत विद्यार्थियों को बहलाने फुसलाने के बाद उन्होंने नहीं बोलीं हुई बातचीत उनके नाम पर फैला नेके कारण उन्हें देशद्रोह जैसे संगीन आरोप में जेल जाना पडा इसके लिए विशेष रूप से कौन जिम्मेदार है ?

कश्मिर मे पुल्वामे 40 से उपर सी आर पी एफ के जवान आतंकवादी घटना में मारे जाना अत्यंत दुखद है मै खुद हमारी सेनाकी कश्मिर मे एक जगह से दूसरी जगह वह भी हजार से अधिक संख्यामे तो उस समय के सभी तरहके लिये जाने वाले सावधानीयोसेभी परिचित हूँ इसीलिए इतनी बड़ी क्षमता में जवानोकी आवाजाही होती है तो उस समय उस रास्तसे अन्य कोई आवाजाही को इजाजत नहीं होती है यहातक की कोई गम्भीर बीमारी वाली अम्बुलन्स को भी जाने नही देते हैं! और दो से तिन घंटे से भी ज्यादा समय यह आलम होता है !

लेकिन इसके बाद बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक के तिन दिन पहले ही अर्णव गोस्वामी को बताने का क्या मतलब है ? जिसके कारण पुलवामा के घटना पर सवाल उठाने वाले लोगों की बात को बल मिलता है क्योंकि अर्णव के व्हाटसअप की चॅटिंग के 500 पन्ने मुंबई पुलिस के हाथों लगे हुए हैं और उनके एक एक तफसील से पता चलता है कि जैसे सब कुछ स्टेज मॅनेज शो है?

और इन सब बातों कि जांच होनी चाहिए क्योंकि पुलवामा के घटना पर सवाल तो काफी लोगों ने उठाये हैं लेकिन इन सब जानकारीयोको अर्णव जैसे टीवी चैनल के एंकर को बताने का क्या मतलब होता है? और अब इस बात की तहकीकात की कोई भी अधिकृत रिपोर्ट देश को नहीं मालूम है और वह भी चालीस से ज्यादा भारत के सेना के जवान मारे जाने की बात है और वह भी कश्मीर जैसे संवेदनशील प्रदेश में !

दूसरी बात कश्मीर से 370 कलम हटानेका निर्णय काफी पहले से ही अर्णव गोस्वामी को बताने का क्या मतलब होता है ? और वहां केंद्र शासित प्रदेशों में तब्दील कर दिया जायेगा यह भी ! यानी संविधान के अनुसार वहां की विधानसभा को विश्वासमें लेने कि जगह मुंबई में बैठे एक टीवी चैनल वाले को यह बात पहले से ही बताया जाता है ! किसलिए ताकि वह अपने टीवी चैनल के द्वारा तथाकथित कारवाही कैसे ठीक है यह चिल्ला-चिल्ला कर बोले इसलिए ? एक मामूली पत्रकार को इतनी अहमियत देने की बात देश के सुरक्षा से खिलवाड़ नहीं है ?

इस घटना के समय प्रियंका गांधी महासचिव होने के बाद पहली बार फ्रेंस को सम्बोधित करने वाली थी लेकिन उह्मोने शहिद जवानोको श्रंद्धांजलि देकर वार्ता बन्द करके चली जाती है और प्रधान-मंत्री अपने चुनाव प्रचार के लिए विशेष रूप से नागपुर से होते हुए पहले विदर्भ-खान्देश के कई प्रचार सभा करना यह कौनसी देशभक्ति और जवानोके प्रती सहानुभूति का परिचय हुआ ? गोधरा कांड के समय भी वहाके जिलाधिकारिने मना कारने के बावजूद 57 जली हुई लाशोका जुलुस निकालना और अभिके पुल्वामा की घटना को अपनी राजनैतिक पार्टी का चुनावी मुद्दा बनाना यह नरेंद्र मोदी की राजनीति का परिपाटीका पार्ट है !

क्योंकि अब आने वाले चुनाव के लिए ऊनके पास कुछ भी ठोस उपलब्धि ना होनेके कारण ऊसे इस मुद्दे को लेकर कुछ मदद मिलेगी क्योंकि उनकी डिजिटल आर्मि रातदिन देशभक्ति की दुहाई देकर लोगों को उत्तेजित करने की कोशिश कर रहे हैं और इसी कारण से देशके अलग-अलग हिस्सेमे कश्मीरी विद्यार्थियो पर हमले हो रहे हैं इस तरह की हरकतें करते रहे तो कश्मीर में जो भी भारत के प्रति बची-खुची सहानुभूतिपूर्ण लोगों की संख्या है वह भी समाप्त हो सकती है और भारतीय मुसलमानों में असुरक्षित मानसिक तनाव वर्तमानस्थिति को देखते हुए बढनेकी सम्भावना है !अपनी चुनावी रोटी सेकनमे देश का समाजिक ताना बाना तार तार होनेकी संभावना है !

अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार रहते हुए 13 दिसम्बर 2001को भारतीय संसदभवन पर भी हमला हुआ था और उस समय उनके उदारीकरण तथा कुछ अन्य नीतियों के खिलाफ देशभरमे माहोल काफी गर्म हो रहा था लेकिन 13 दिसम्बर के संसदीय हमलेके बाद देशकी सुरक्षाके सवाल अहम होकर देश के अन्य मसले हशियेपर चले गये ! और उस समय हमारे आय बी के प्रमुख अजित दोवाल थे ! जो आज रक्षा सलाहकार है !!

वैसा ही 24 दिसंबर 1999 का काठमांडू दिल्ली इण्डियन एयरलाइंस की फ्लाईट 814 कि अपहरण का मामला ! एक सप्ताहभर वार्ता के दौर चलते रहे जिसमे दोवाल चार सदस्योके दलके साथ वार्ता किये उस समय भी वे आय बी के प्रमुख पदपर विराजमान थे ! पुरानी शताब्दीके आखिरी दिन याने 31 दिसम्बर 1999 को जम्मुके कोट बहवाल जेल के आतंकवादी अजहर मसूद और उसके साथ अन्य दो आतंकीयोको लेकर तत्कालीन विदेश मंत्री जसवंतसिंह खुद अपने साथ इह्ने अफगानिस्तान के कंधाहार नामकी जगह ले जाकर उसके बदले फ्लाइट 814 वापस लाये !

ये वही अजहर मसूद है जिसने बादमे जैश-ए-मौहम्मद नामकी आतंकवादियोको तैयार करने वाले संगठन को बनाया आज वह दूनियाँ के सबसे खतरनाक आतंकवादी घोषित कर दिया गया हैं इसिने अक्षरधाम अहमदाबाद 24 सितंबर 2002 हमला किया था 26 नवम्बर 2008 मुम्बई हमला 2015 मे पठानकोट हमला ! याने अबतक भारत के बहुसंख्यक आतंकी घटना करनमे अजहर मसूद के संगठन के कारनामे रहे हैं !

अजहर मसूद कहनके लिये इस्लामिक आतंकवादियों में शुमार होता हैं लेकिन 20।साल पहले से उसकी आतंकवाद की घटना ओका राजनैतिक फायदा संघ परिवार और उनके सहयोगी संगठन बीजेपी के लिए विशेष रूप से हुआ है ! क्या 20 साल मे अजहर मसूद की जानकारी मे यह बात आई नही होगी कि मेरी सब कोशीशे भारत के हिन्दू सम्प्रदायिक शक्तियों को दिन दूना रात चौगुना तरक्की के लिए फायदेमंद साबित हो रही है ?

अभी पुल्वामा की घटना के बाद राज ठाकरे ने सीधे अजित डोभाल पर ऊँगली उठाई है और माँग की है कि अजित दोवाल से पूछ ताछ करनी चाहिए तो शायद कुछ पता चलेगा ! मुझे भी राज ठाकरे की बात मे दम लग रहा है क्योंकि यह बन्दा कंधाहार से लेकर संसदका हमला अक्षरधाम अहमदाबाद हमले के समय आईं बी का प्रमुख रहा है !

और अभि के पुल्वामा की घटना 2015 की पठानकोट की घटना को देखकर अजित दोवाल जो अब देशके रक्षा सलाहकार है ! ए यस दुलत नामके इसी आईं बी रॉ के अधिकारी रहे 36 साल उनका इह्नी कामोमे समय गया है उह्नोने हार्पर कॉलिन्स प्रकाशन्से कश्मिर द वाजपेयी इयर्स नामकी किताब लिखी हैं जिसमे उह्मोने काफी तथ्यों पर रौशनी डाली है मै जगह की कमिके कारण तफसिल्से नहीं दे सकता पर आप अमोझान्से यह किताब ऑर्डर कर मँगवा सकते हैं

आतंकवाद की खेतिको कौन बढावा दे रहा है ? उसका राजनैतिक फायदा किसे मिल रहा है ? यह आज हमारे देश में जो चल रहा है उससे साफ जाहिर हो रहा है ! नरेन्द्र मोदी और संघ परिवार इस पूरी घटना को बहाना बनाकर के किस धनग्से पुरे देश में एक युद्घ ज्वर फैलानेमे मुख्यतः मीडिया का बहुत बडा हिस्सा तथौकौ तोदमरोड़कर पेश कर लोगों को भड़का-भड़का कर पूरे देश में एक भयावह उत्तेजना फैलनेका काम रातदिन किये जा रहे हैं ! हालाकी विश्व के मापदंडों में भारतीय मीडिया की विश्वसनीयता बहुत नीचे चला गया है !

लेकिन ज्यादातर मीडिया कॉरपोरेट घरानों के होने के कारण उह्णे तो अपने मुनाफ़े से मतलब है इसलिये यह काम भारत के सभ्य समाज के हमारे अपने जैसे लोगों का है जो आजादी के आंदोलन के समय बादमे जे पी आन्दोलन के समय जज्बा दिखाया है और अब पुनाह समय आ गया है कि भारतीय सभ्य समाज ने कमर कस कर वर्तमान परिस्तिथि में हस्तक्षेप करने की जरुरत है अन्यथा हमारे देश में अराजकता फैलानेकीसंभावना हो सकती है

क्योंकि वर्तमान सरकार हर स्तर पर फैल हो चुकी थी और इसी लिए पुल्वामा की घटना को बहाना बनाकर के वे पूरे देश में अफरा तफरी का माहौल बनाने के लिए सन्घ्परिवार के सभि स्तर पर प्रयास जारी किया है ! देश इनकी जागीर नहीं है इसलिये राष्ट्र सेवा दलके तरफ से विनम्र अभिवादन करता हूँ की हमारे जवानो की शहादत पर राजनैतिक रोटियाँ सेंकने कि घिनौनी हरकतों को अगर नाकाम करना है तो सभी समान विचार धारा वाले लोगों को इस विषयपर मिल्जुल्कर मोर्चा खोलने की जरूरत है और मैं यह काम करने के लिए तैयार नहीं क्योंकि राष्ट्र सेवा दलका निर्माण पहले देश की आजादी और अभि हमारे देश की आजादी,समाजवाद,जनतांत्रिक धर्मनिरपेक्ष मुल्ल्यो की रक्षा करने के लिए राष्ट्र सेवा दलके तरफ से पूरी कोशिश कर रहा हूँ हालाकी नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोडीकी यह राजनीतिक पद्दतिको देश 20 साल पहले से देखते आ रहा है राणा आयूब,सिद्दार्थ वरदराजन,आर बी श्रीकुमार,जमिरुद्दीन शाह,मनोज मित्ता,दिगंत ओझा,तिस्ता सेटलवाड,शबनम हाशमी,राम पुनियनि,सुरेश खैरनार,जावेद आनंद,जोती पुन्वाणी,जस्टिस कृष्णा अय्यर,मुकुल सिह्ना,प्रतिक सिह्ना,महेश भट्ट,प्रसिद्द गाँधी वादी चुन्नीभाई वैद्य,प्रकाश शहा,कुमार केतकर,निखिल वागले,प्रकाश बाल और यू आर अन्तन्त्मूर्ती,गौरी लंकेश,प्रो कलबुरगी,गणेश देवी,सुबैया एन राम अशीष नंदी,अभय कुमार दुबे,अरूण त्रिपाठी,वी के त्रिपाठी,अचिन वनाईक,प्रो के एन पणिक्कर,घनश्याम शाह,आनद पटवर्धन ,विजय तेंदुलकर,अरुंधती रॉय,नयनतारा सहगल,सुभाष गाताडे,अनिल चमडीया,किशन पटनायक,विवेक कोरडे,ओझा,कुमार प्रशांत,प्रशान्त भुषण,शशी थरूर,चिदंबरम और लगभग देशके सभि प्रदेशके सभि सवेदन्शील लोगोने इस विषय को लेकर काफी लिखा है,काफी कुछ बोला भी है यहा तक की नरेंद्र मोदी के सायकोअनलिसिस भी शस्रोक्त रूप से किया गया है !

जो आउट लुक जैसी प्रतिष्ठित अन्ग्रेजी पत्रिका मे बहुत पहले छप चुका है जब वे गुजरातके मुख्यमंत्रि थे
संघ परिवार गत 100साल पहले से ही हिन्दुओ का हिन्दूस्तान की रट लगाए जा रहे हैं और ऊसे हवा देनेमे जोभी बात उनको सुविधाजनक लगती थी उसे वे बहुत तन्मयता के साथ करते जा रहे हैं और आज पुल्वामा उनके लिए हॉट केक लग रहा है इसलिये उसे भुनानेमे वे कोई कसर नहीं छोड़ नही रहे है पूरे देश में उह्मोने सुडोनैशनल माहौल बनाना जारी किया है इसलिये उन्केहि सोशल मीडिया के ट्रोल्स 24-7घंटे लगे हुए है यह ट्रोल्स की जमात भारत में 2007 मे नरेन्द्र मोदी के मुख्यमंत्री के रहते हुए उनके दिमाग की उपज है ! स्वाती चतुर्वेदी ने अपने किताबमें बहुत विस्तार से और पुरे एविडेंस के साथ दिया है !

30 जनवरी 1948 को माहात्म गाँधी जी की हत्या की तैयारी कई दिनों से करने वाले आतंकवादियों की अनदेखी करने वाली खुपिया एजेंसीया अब बहुत चुस्त दुरुस्त होकर एक विशेष समाजके लोगों को आतंकवाद के नाम पर लगातार करवायी करते जा रहे है और अब चुनाव आ रहे हैं तो उसमे और तेजि दिखा रहे हैं ! नरेन्द्र मोदी के मुख्यमंत्रि कालमे गुजरातमे यह फ़ार्मूला इस्तेमाल कर कर के उह्नोने तीन बार मुख्यमंत्रि का पद हासील किया ! उसी हथकण्डे को अपना कर प्रधान-मंत्री तकका सफ़र तय किया है ! तो अब फिरसे कुर्सी चले जाने के खतरे को देखते हुए फिर बोतल से आतंकवाद के जिन्न को नीकाल कर बेकसूर युवकों को उठाया जा रहा है !

आतंकवाद एक विवादास्पद मामला होनेके कारण अच्छी-खासी आबादी इस बात पर डर के कारण चुप रहना ही बेहतर समझते हैं क्योंकि इसमे देशकी सुरक्षा का सवाल है जाहिर है कि किसिभि साधारण आदमी को जाच एजेंसी और उसीकी छत्र छाया में शामिल मीडिया की ब्रीफिंग पर भरोसा करने के सिवा और कुछ चारा होता नही है !

मै इस विषयपर गत 30 साल पहले से लगातार काम करने की कोशिश कर रहा हूँ उस विषयपर पढना,विचार-विमर्श करना मेरा प्राथमिकता के आधार परका काम हो चुका है इसी कडिमे मैने 6अप्रैल 2006 का नांदेड़ बॉम्बब्लास्ट , 1 जून 2006 नागपुर संघ मुख्यालय का तथाकथित फिदाईन हमला , तथा उसके बाद के मालेगाँव के दोनो बॉम्बब्लास्ट,हैदराबाद,दिल्ली के जामिया नगरके बटलाहाऊसएन्कौन्टर , आझमगड-आतंकगड वाली थोरी, सुरत,विडुल जि यवतमाल महाराष्ट्र अब्दुल नासर मदनी केरल की केस,अजमेर शरीफ, वाराणसी,कानपुर ,बर्धमानब्लास्ट और पिछ्ले साल के भीमा कोरेगाव की 1 जनवरी 2018का दंगा कुलमिलाकर 100 से भी ज्यादा घटना जिसमे जातीय हिंसा,सम्प्रदायिक दन्गेका और आतंकवाद का भी समावेश है 1989 के भागलपुर दंगेसे यह यात्रा शुरू हुई है !

जो कश्मिर जैसी 75 साल पहले से चल रही समस्या पर गत 40 साल पहले से मै काम करने की कोशिश कर रहा हूँ इसके अलावा नक्षलवाद तथा उत्तर पूर्व की सभि समस्याये तथा दलित आदिवासियो के विभिन्न आन्दोलन, महिलाओं के आन्दोलन ,जे पी का बिहार आन्दोलन, आपातकाल के खिलाफ और वर्तमान में चल रहे देश और दुनिया के अन्य आन्दोलन उदहारण गाजा-पलेस्टाइन, सीरिया,कुर्दिस,बलूची ,तिब्बत की तथा दूनियाँ के हरेक अन्याय अत्याचार के खिलाफ चल रहे सभी आन्दोलनों को मै अपने आपको भी उसका हिस्सा समझता हूँ कि हर जोर जुल्म्के खिलाफ संघर्ष हमारा नारा है !

मुझे बचपन से राष्ट्र सेवा दलके संस्कार होने के कारण किसि भि जाती वर्ग का पक्ष-विपक्ष के सिवा निस्पक्ष होकर इस विषयपर सोचना यह मेरी फितरत हो गईं हैं ! दूसरी मुख्य बात मुझे संसदीय राजनीति में शामिल होने की इच्छा कभिभि नही होनेके कारण वह जो मजबुरी चुनावी राजनीति करने वलोकी होती है मेरी वह स्थिति कभिभि नही रही की मै यह करने से कौनसा वर्ग नाराज होगा कौनसा खुष होगा यह हिसाब-किताब से मै कोसो दूर हूँ और आगे भी रहने वाला हूँ ! नरेंद्र मोदी,राहुल गाँधी या चुनाव की राजनीति करने वाले लोगों को जो सावधानी बरतनी पडती उससे मै मुक्त हूँ ! मैने 1977 का चुनाव छोडकर उसके पहले और उसके बाद अभितक मतदान तक नहीं किया है ! क्योंकि जे पी की भाषा में नागनाथ-सापनाथ वाली बात है !

लेकिन चुनाव के लिए हमारे देश की गंगा -जमनी सस्कृति के साथ खिलवाड़ करने का अधिकार हमारा सविंधान किसीकोभी नहीं देता है यह देशद्रोहका मामला है हजारों-हजार साल पहले से यह मुल्क और यहां रहनेवाले लोग ज्यादा मायने रखते हैं यह चुनाववाले लोग चंद समय के लिये आयेंगे और जायेंगेभी लेकीन यह मुल्क किसीकोभी यह इजाजत नहीं देता है की वह अपनी टुच्ची राजनैतिक स्वार्थ के लिए यहां के लोगों की भावनाओ के साथ खिलवाड़ करे और लोगों को बहला- फुसलाकर किसीको आतंकवादी किसीको देशभक्त के सर्टिफ़िकेट बाटते फिरे अब यह सिलसिला बंद होना चाहिए यह मुल्क साभिका है यहा पैदा होने वाले हर एक का उतनाही हक है जितना किसी प्रधान-मंत्री या राष्ट्रपतियों का है

मुल्कके असली समस्याएँ क्या है ? आजभी आधी आबादी दो समयका भोजन भरपेट नहीं कर पाती है हर साल एक लाख़ से भी ज्यादा संख्यामे 5 साल पूरे होने के पहले कुपोषण के शिकार बच्चों को अगली जिंदगी नसीब नहीं हो पाती हैं 55 करोड़ युवक इस मुल्कमे आज है! जो कई मुल्कोकी आबादी से ज्यादा है उह्ने रोजगार के अवसर प्रदान करने के उचित शिक्षा जो सभिके लिए बगैर किसी भेदभाव से उप्लब्ध की जाय अबतक 5 लाख किसानों को आत्महत्या करने के लिए जो कारण है उह्णे दूर करने के लिए जरूरी योजनाएँ करना छोडकर उनकी बची-खुची जमीन कारपोरेट घरानों के हवाले करने के कानून संसदीय इतिहास में सब नियमोका उल्लंघन करते हुए कोरोनाके आडमे तथाकथित कृषी बिलो को लाना यानी आखिरी सांस ले रहे पेशंट के गले को दबाने जैसी ही हरकत वह भी किसानों के भले के नाम पर जो कर रहे हो और तथाकथित वार्ता के झूठी-झूठी कहानी बनाकर लोगों को बेवकूफ बनाना बंद करोगे तो ज्यादा बेहतर होगा डेढ़ करोड़ से भी ज्यादा किसान लगभग इस 25 तारीख को दो महीने होने को है और 75 किसानों की बलि चढानेकी नौबत आ गई तो भी सरकार कानून पर अडी हुई है और हमारे सर्वोच्च न्यायालय ने बहु ससुराल वालों के खिलाफ कोर्ट में न्याय मांगनेके लिए गई तो कोर्ट ने सांस,ससुराल के सताने वाले लोगों की कमिटी बनाने जैसा अजीबोगरीब फैसला किया है !

यानी न्यायदेवता अंधी होने के प्रतिक का इस तरह के अर्थ भारत की न्यायिक व्यवस्था के इतिहास में प्रथम बार और वह भी सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की पीठ का फैसला धन्य हो न्यायपालिका आपके आँखो पर जो पट्टी बांध दी है उसके इस तरह के अर्थ निकाल ने वाले लोगों को सदबुध्दि दे यही प्रार्थना करना सामान्य लोगों के हाथ में है !
क्यों इसतरह के जन विरोधी निर्णय आप लोग ले रहे हैं और भारत के आंदोलन के इतिहास में प्रथम बार इतना लंबा समय और इतनी बड़ी संख्या में लोगों को अपने रोजमर्रा के कामकाज छोड़ कर दिल्ली कि जनसंख्या के बराबर एक जनसंख्या दो महीने होने को आ रहा है और इतना खराब मौसम में औरत,बुढे और बच्चे प्रदर्शन करते हुए आपको नहीं दिखाई देता है ?

वह नहीं प्रधानमन्त्री की खुर्सी मांग रहे नाही राष्ट्रपति पद बस अपने फसल के दाम की गारंटी और जमीन की सुरक्षा और धन्नाशेठो से सुरक्षात्मक उपाय के लिए नया अध्यादेशों की वापसी के अलावा और कोई मांग नहीं है और वह भी दस वार्ताओ के दौर करने की क्या जरुरत पड गई ? आखिरकार सरकार कि मजबूरी क्या है ? किसके दबाव में सरकार एक कदम भी पिछे नहीं हट रही लोगों को खुलकर बताते क्यों नहीं ? पारदर्शी कारोबार का मंत्र प्रधानमंत्री महोदय मनकी बात

और कई-कई जगहों पर दोहराये जा रहे हैं और यह गोपनीयता किस बात के लिए ? हमारे देश के आधी आबादी जिस उद्योग पर अवलंबित हो और जिसे अन्नदाता कहा जाता है और उसके ही साथ यह व्यवहार ? महात्मा गाँधी के भारत के हर हाँथ को काम की जरूरत रहते हुए आप कार्पोरेट्सको खेती सौपकर देश की आधी आबादी को बेकार करने के सामाजिक स्वास्थ्य को बिगाड़ने का काम कर रहे हैं और यह बात मैंने बार-बार लिखा बोला है कि 140 करोड़ आबादी वाले देश की गिनकर 70-75करोड़ की जनसंख्या अगर बेकारिके संकट में चली जाती है तो इस देश की कानून व्यवस्था का काम चरमरा कर रह जायेगा और देश आजादी के 75 साल के पहले आराजकता में गृहयुद्ध में बदल जा सकता हैं! इसलिए सवाल सिर्फ देश के जीडीपी या रोज डिक्लेयर होने वाले सेंसेक्स के आकडो का नहीं है चलते-फिरते 70-75 करोड़ लोगों के काम करने का है !

अभि भी हर 7 मिनट में एक महिला अत्याचार की शिकार हो रही है और उसमे सबसे बड़ी संख्या दलित,आदिवासियो की है ! आदिवासियो की जनसँख्या 9 %प्रतिशत से भी कम है लेकिन विकास के नाम पर चल रही परियोजनाओ के कारण 75 % प्रतिशत से भी ज्यादा आदिवासियो को विस्थापन का शिकार होना पड रहा है यह विस्थापित 10 करोड़ जो कई मुल्कोकी आबादी से ज्यादा है !

इस साल अकाल के कारण देश के कई हिस्सों में मुख्यतः महाराष्ट्र में 75% महाराष्ट्र सुखेकी चपेट में आ गया है जहा अभिसे पिनेका पानी चारा नहीं है लोग गांव छोडकर शहरों की तरफ रोजगार के अवसर तलाशने के लिएंडर निकले चुके हैं इसलिये इन सब सवालों से ध्यान हटाने के लिए आतंकवाद,मन्दिर-मस्जिद,गाय,आरक्षण के मुद्दे को लेकर सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए यह सब कर रहे हैं ! लेकिन लोग भी इतने दिनों में यह सब खेल इसके पहले देख चुके हैं इसलिये किसिकोभी एक बार बेवकूफ बनाया जा सकता है बार बार नहीं !

डॉ सुरेश खैरनार

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