ममता सरकार की तो जैसी हर काम में रोड़ा अटकाने की आदत सी हो गयी है. गौरतलब है कि इससे पहले भी ममता ने केन्द्र सरकार की हर योजनाओं का पुरजोर विरोध किया. केन्द्र सरकार की आधार योजना का भी ममता ने पुरजोर विरोध किया. इससे पहले भी केन्द्र सरकार की कालेधन के खिलाफ लड़ाई नोटबंदी और जीएसटी का विरोध जिस प्रकार ममता ने किया, वो तो हम सब लोग देख ही चुके हैं. लेकिन अब ममता का एक नया विरोध देखने को मिला है. कैग को राज्य की कानून-व्यवस्था, अपराध नियंत्रण, राज्य के हथियारों के लाइसेंस आदि का ब्योरा और उस पर हुए खर्चे का आंडिट करना था, लेकिन ममता ने इसका विरोध किया है.

गौरतलब है कि कैग के अकाउंटटेन्ट नामिता प्रसाद ने राज्य के गृह सचिव अत्री भटाचार्य  को पत्र लिखा कि कैग पश्चिम बंगाल के ‘पब्लिक आडँर’ का अॉडिट करना चाहता है. इसके तहत राज्य की कानून-व्यवस्था, अपराध नियंत्रण, राज्य के हथियारों के लाइसेंस आदि का ब्यौरा और उस पर हुए खर्चे का अॉडिट किया जाएगा. कैग ने कहा कि राज्य को किस मद में कितनी धनराशी मिली थी और उसने कितनी धनराशी आवंटित की है, कितनी व्यय की है, इसकी पड़ताल करनी थी. लेकिन राज्य के गृह सचिव ने कैग के इस प्रस्ताव को सिरे से नकार दिया..

इसके बाद कैग की ओर से ये सफाई पेश की गई कि क्या बंगाल सरकार संविधान के दायरे से बाहर है. कैग ने कहा कि हम केरल, राजस्थान, असम, और मणिपुर पब्लिक आर्डर से संबधित अॉडिट कर रहे हैं, तो बगांल सरकार संविधान से बाहर हैं. बंगाल की 2500 किमी की अतंराष्ट्रीय सीमा है. जिसके मदेनजर बंगाल का पब्लिक अॉडिट करना बेहद अहम है. हालांकि राज्य के गृह विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कैग राज्य की कानून व्यस्था से जूड़े महत्वपूर्ण और सवेंदनशील मुद्दों से सबंधित जानकारी साझा नहीं की जा सकती है.

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