महाराष्ट्र में भड़की जातीय हिंसा में एक शख्स की मौत के बाद माहौल तनावपूर्ण बना है. पुणे के समीप भीमा-कोरेगांव लड़ाई की 200वीं सालगिरह पर आयोजित कार्यक्रम में दो गुटों के बीच झड़प हुई थी. देखते-देखते मुंबई, पुणे, औरंगाबाद और अहमदनगर के अलावा कई अन्य शहरों में हिंसा फैल गई. कई दलित संगठन बुधवार को महाराष्ट्र बंद में शामिल हुए. ठाणे में 4 जनवरी तक धारा 144 लगा दी गई है. यहां के ज्यादातर स्कूल और कॉलेज बंद हैं. औरंगाबाद में इंटरनेट पर भी रोक लगा दी गई है. मुंबई के कई इलाकों में ऐहतियातन सुरक्षा बढ़ा दी गई है.

आरएसएस ने कोरेगांव हिंसा की निंदा की है. संघ ने बयान जारी कर कहा है कि इस मामले में जो भी लोग दोषी हैं, उन्हें सजा मिलनी चाहिए. संघ समाज में एकता और सद्भाव का समर्थन करता है.

पुणे के पुलिस स्टेशन में जिग्नेश मेवाणी और उमर खालिद के खिलाफ भड़काऊ बयान देने की एफआईआर दर्ज की गई है. जानकारी मिली है कि इनके बयानों के बाद ही दो समुदायों में हिंसा भड़की. भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में   100 लोगों को हिरासत में भी लिया गया है.

हिंसा सोमवार को तब शुरू हुई, जब दलितों का एक समूह भीमा-कोरेगांव लड़ाई की 200वीं सालगिरह के कार्यक्रम में जा रहा था. इस बीच छत्रपति शंभाजी महाराज के दर्शन करने जा रहा दूसरा गुट रास्ते में मिल गया. बात कहासुनी से बढ़कर हिंसा में बदल गई. महाराष्ट्र में फैली हिंसा का असर लोकसभा में भी दिखा. विपक्षी दलों ने महाराष्ट्र हिंसा का पुरजोर विरोध किया और मोदी सरकार को घेरने की कोशिश की.

 

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