magadhमगध विश्वविद्यालय इन दिनों पूरी तरह से अराजक स्थिति में आ गया है. बोधगया स्थित मविवि के मुख्यालय में करीब डेढ़ महीने से शिक्षकेत्तर कर्मियों की हड़ताल चल रही है. जिसके चलते पठन-पाठन के साथ-साथ अन्य कार्य भी पूरी तरह से ठप हैं. लेकिन इनकी हड़ताल समाप्त कराने के लिए कुलपति की ओर से कोई सार्थक पहल नहीं की जा रही है. सबसे ज्यादा परेशानी 2017-2019 सत्र के लिए स्नातकोतर में नामांकन कराने वाले छात्र-छात्राओं को हो रही है. गत डेढ़ महीने से हड़ताल जारी है. सभी पाठ्‌यक्रमों का सत्र विलम्ब हो गया है. डिग्री से लेकर अन्य शैक्षणिक प्रमाण पत्रों के लिए भी लोगों को काफी परेशान होना पड़ रहा है. लेकिन कुलपति मविवि मुख्यालय की बजाय पटना में बैठकर काम करने की बात कह रहे हैं.

दरअसल, विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ कमर अहसन की नियुक्ति के बाद मनमाने तरीके से नियुक्तियां हुईं. उसके बाद पहले से काम कर रहे संविदा कर्मियों के साथ सौतेला व्यवहार होने लगा. संबद्धता प्राप्त दर्जनों कॉलेजों की मान्यता समाप्त कर दिए जाने के कारण भी कॉलेजों के संचालकों से जुड़े मविवि कर्मी परेशान हो गए. एक मविवि कर्मी ने बताया कि कुलपति समेत विवि में योगदान करने वाले अन्य पदाधिकारी मुख्यालय में कार्यरत विवि कर्मियों और पदाधिकारियों को एक तरह से अपरोक्ष रूप से चोर समझते रहे.

इसी बीच मविवि मुख्यालय में वर्षों से कार्यरत करीब दो सौ संविदा कर्मियों को कुलपति ने एकाएक बर्खास्त कर दिया. इसपर मविवि शिक्षकेत्तर कर्मियों का आक्रोश फुट पड़ा और वे विभिन्न मांगो को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए. अब तो हड़ताली मविवि शिक्षकेत्तर कर्मियों को विभिन्न राजनीतिक दलों, छात्र संगठनों तथा सामाजिक संगठनोें का भी समर्थन मिलने लगा है. बीएड के सत्र 2015-17 और 2016-18 के छात्रों ने भी हड़ताली कर्मचारियों को समर्थन देना शुरू कर दिया है.

बोधगया के राजद विधायक कुमार सर्वजीत ने भी हड़ताली मविवि कर्मियों के समर्थन में खड़े होकर सरकार से विवि के दो सौ संविदा कर्मियों की बर्खास्तगी को वापस लेने की मांग की है. विधायक ने मविवि प्रशासन को दो टूक कहा है कि विवि प्रशासन कर्मचारियों की बर्खास्तगी वापस ले. विधायक ने कहा कि हड़ताली कर्मियों के संघ के प्रतिनिधिमंडल के साथ वे राज्यपाल से मिलेंगे. मविवि शिक्षकेत्तर कर्मचारी संघ के महासचिव डॉ अमरनाथ पाठक ने बताया कि तीन बार विवि प्रशासन व संघ के बीच समझौता हुआ, लेकिन कुलपति डॉ कमर अहसन व रजिस्ट्रार ने हमारी मांगों पर ध्यान नहीं दिया. उसके बाद लाचार होकर हमें हड़ताल करना पड़ा. मविवि में दैनिक व संविदा कर्मियों के बच्चे भी कई बार नारे के साथ मविवि मुख्यालय में प्रदर्शन कर चुके हैं.

एक ओर दैनिक व संविदा कर्मियों को हटाए जाने को लेकर मविवि शिक्षकेत्तरकर्मी आक्रोशित हैं और विवि प्रशासन के रवैये से अपनी मांगों पर अडिग हैं, तो दूसरी ओर विवि प्रशासन भी अपनी जिद पड़ अड़ा है. दोनो के अड़ियल रवैये का खमियाजा छात्र-छात्राओं को भुगतना पड़ रहा है. हड़ताल से मविवि के लाखों छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है. मविवि में पढ़ने वाले छात्र-छात्रा तो परेशान हैं ही, विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं में सफल होने वाले छात्र-छात्राओं के सामने भी बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई है, क्योंकि उनका प्रमाण पत्र कॉलेज से नहीं मिल पा रहा है. उन्हें डर है कि इस हड़ताल के कारण कहीं मिल हुई नौकरी से हाथ न धोना पड़े.

मगध मेडिकल कॉलेज में नियुक्ति घोटाला

बिहार में तमाम प्रयासों के बाद भी भ्रष्टाचार पर रोक नहीं लग पा रहा है. हर महीने दो-चार सरकारी कर्मी निगरानी विभाग के हत्थे चढ़ रहे है, लेकिन फिर भी सरकारी बाबू अवैध वसूली से बाज नहीं आ रहे हैं. अब तो संविदा पर चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों की बहाली में भी बड़ी राशि वसूलने की घटनाएं सामने आ रही हैं. ऐसा ही एक मामला गया के अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में सामने आया है, जहां निर्वतमान प्रमंडलीय आयुक्त लियान कुंगा ने मनमाने ढंग से चयन समिति गठित कर मगध मेडिकल कॉलेज में 66 कर्मियों की बहाली कर दी. इसमें उन्हीं को बहाल किया गया जिसे चयन कमिटी के लोगों या निर्वतमान आयुक्त ने चाहा.

इस बहाली में उसी समय धांधली की बात सामने आई थी, लेकिन मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक ने आरोपों को सिरे से खारीज कर दिया और कहा कि मगध प्रमंडल आयुक्त के निर्देश पर नियमानुसार बहाली हुई है. इसके बाद लोगों की शिकायत पर भी कोई सुनवाई नहीं हुई. दरअसल, प्रमंडलीय आयुक्त ही मेडिकल कॉलेज शासी परिषद के अध्यक्ष होते हैं.

वर्तमान मगध प्रमंडल आयुक्त जितेन्द्र श्रीवास्तव को जब कुछ लोगों ने मेडिकल कॉलेज अस्पताल की बहाली अनियमितता से अवगत कराया, तब उन्होंने इस शिकायत को गंभीरता से लिया. इसके लिए उन्होंने तीन सदस्यीय जांच टीम गठित की. जब जांच कमिटी की रिपोर्ट में चौंकाने वाली जानकारियां सामने आईं. जांच टीम ने स्पष्ट कहा कि बहाली प्रकिया में स्थापित नियमों का उल्लंघन किया गया है और इसमें पारदर्शिता का भी पूर्ण अभाव रहा है.

जांच कमिटी ने इस बहाली और संविदा के लिए निमित एकरारनामे को तत्काल प्रभाव से रद्द करने की अनुशंसा की है. निर्वतमान प्रमंडलीय आयुक्त लियान कुंगा ने बहाली के लिए चयन समिति में आयुक्त के तत्कालीन सचिव आदित्य कुमार पोद्धार, मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य सह चयन समिति के अध्यक्ष डॉ सुशील प्रसाद महतो, फिजियोलॉजी के हेड डॉ. बीके प्रसाद, एनाटॉमी के प्रध्यापक डॉ. राजेन्द्र प्रसाद तथा कॉलेज प्रशासन के प्रभारी डॉ. एनके पासवान को सदस्य बनाया था. जांच टीम ने चयन समिति के इन सभी सदस्यों को दोषी मानते हुए कानूनी कार्रवाई की अनुशंसा की है.

नियुक्ति प्रकिया में अनियमिमताओं का अंबार पाया गया है. नियुक्ति से पहले 55 लोगों के लिए विज्ञापन निकाला गया था, लेकिन 86 को बहाल कर लिया गया. यही नहीं दर्जन भर से अधिक ऐसे मामले भी आए हैं कि आवेदन किसी और पद के लिए आया था लेकिन आवेदक को किसी और पद पर बहाल कर लिया गया. नियुक्ति के दौरान आरक्षण रोस्टर और विज्ञापन नियमावली का भी पालन नहीं किया गया.

अनियमितता की हद यह है कि नियुक्ति के लिए एक दिन में एक हजार अभ्यर्थियों का इंटरव्यू कर लिया गया. तत्कालीन प्रमंडलीय आयुक्त लियान कुंगा ने अपने रिटायरमेंट के कुछ दिनों पहले पूरी प्रकिया को आनन-फानन में पूरा कराया. प्रशासनिक पदाधिकारी के रूप में प्रशंखा पदाधिकारी को कथित तौर पर उपसमाहर्ता का दर्जा देकर चयन समिति ने नामित कर दिया. वर्तमान आयुक्त जितेन्द्र श्रीवास्तव ने इस संबंध में बताया कि मेडिकल कॉलेज में सविंदा पर की गई बहाली में लगातार मिल रही शिकायतों के बाद हमने तीन सदस्यीय कमिटी से जांच कराई है, जिसमें कई तरह की अनियमितता सामने आई है.

फिलहाल नियुक्त कर्मियों के एकरारनामा यानि अवधि विस्तार पर रोक लगा दी गई है. जांच रिपोर्ट के आधार पर हमने राज्य सरकार से अनुशंसा की है कि बहाली को रद्द करते हुए चयन समिति के विरूद्ध कानूनी कार्रवाई की जाय. सरकार से मार्गदर्शन मिलते ही जरूरी कार्रवाई की जाएगी. वहीं दूसरी ओर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य ने इस मामले में टकराव का रास्ता अपना लिया है. उनका कहना है कि इस संबंध में हम प्रमंडलीय आयुक्त नहीं, बल्कि सरकार के आदेशों का पालन करने को बाध्य हैं.

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