कानपुर में भारत ने श्रीलंका को दूसरे टेस्ट में हराकर एक नया कीर्तिमान बनाया. इस मैच एक ओर जहां भारतीय खिलाड़ियों में गौतम गंभीर, वीरेंद्र सहवाग और राहुल द्रविड़ ने शतक जड़े, वहीं इस जीत के साथ भारत ने टेस्ट मैचों में अपनी जीत का सैंकड़ा भी पूरा किया. शतक के साथ ही गौतम गंभीर टेस्ट क्रिकेट में नंबर एक बल्लेबाज़ भी बन गए और इस जीत के साथ भारत भी दक्षिण अ़फ्रीका के साथ संयुक्त रूप से नंबर एक पर पहुंच गई. इस मैच का यदि पहला और दूसरा दिन भारतीय बल्लेबाज़ों के नाम रहा तो तीसरे और चौथे दिन गेंदबाज़ों ने श्रीलंकाई बल्लेबाज़ों की अच्छी ख़बर ली. ख़ासकर भारतीय टीम में 19 महीने बाद शामिल किए गए एस श्रीसंथ ने. दरअसल, भारतीय तेज़ गेंदबाज़ों के एक के बाद एक निराशाजनक प्रदर्शन के कारण कई द़फा जीत की दहलीज़ पर आकर भी टीम इंडिया को हार का सामना करना पड़ा. पहले टेस्ट में ईशांत की कुंद पड़ती गेंदों से टीम को जब कुछ ख़ास फायदा नहीं हुआ तो मजबूरन श्रीसंथ को दूसरे टेस्ट के अंतिम ग्यारह में शामिल करना पड़ा. श्रीसंथ ने इस मौक़े को  जाया नहीं होने दिया. केरल एक्सप्रेस श्रीसंथ की आग उगलती गेंदों ने श्रीलंकाई बल्लेबाज़ी को न स़िर्फ बांधकर रख दिया, बल्कि उनके सामने किसी भी बल्लेबाज़ की चल नहीं पाई.  श्रीसंथ ने इस मैच में कुल छह विकेट चटखाकर भारत की जीत चौथे दिन ही सुनिश्चित कर दी. यह बेहद ही दिलचस्प बात है कि श्रीसंथ की जिन तेज़ और ख़तरनाक गेंदों ने भारतीय टीम को सौवें मैच में जीत दिलाई, वह बचपन में लेग ब्रेक गेंदबाज़ी करते थे और भारतीय लेग ब्रेक गेंदबाज़ अनिल कुंबले उनके आदर्श हुआ करते थे.  बदक़िस्मती से श्री संथ स्वाइन फ्लू से पीड़ित हो अस्पताल में भर्ती हैं. जब स्वस्थ होकर एक बार फिर वह वापस मैदान पर लौटेंगे तो उम्मीद की जानी चाहिए की भारतीय टीम का यह तेज़ गेंदबाज़ अपने ग़ैर ज़िम्मेदराना रवैये की वजह से कम और एक बेहतर तेज़ गेंदबाज़ के तौर पर अधिक जाना जाऐगा. श्रीसंथ में एक अव्वल दर्ज़े का गेंदबाज़ बनने की क़ाबिलियत और माद्दा दोनों है. सुनील गावस्कर सरीख़े महान बल्लेबाज़ भी इस बात से  इत्तेफाक़ रखते हैं. तभी तो वह कहते हैं कि कपिल देव के बाद श्रीसंथ ही एकमात्र विशुद्ध तेज़ गेंदबाज़ हैं. श्रीसंथ को यह साबित करने की ज़रूरत भी नहीं है, क्योंकि उनका प्रदर्शन इस बात की तस्दीक करता है. बात 2006 के दक्षिण अ़फ्रीका दौरे की है. इस दौरे पर भारतीय टीम में श्रीसंथ भी शामिल थे और श्रीसंथ की गेंदबाज़ी की बदौलत ही भारत ने पहली बार किसी टेस्ट में अ़फ्रीका को उसी की सरज़मीं पर मात दी थी. श्रीसंथ ने उस मैच में कुल पांच विकेट लेकर अफ्रीकी टीम को महज़ 84 रनों पर ही चलता कर दिया था. यानी श्रीसंथ को जब भी मौक़ा मिला अपनी अहमियत उन्होंने साबित की, लेकिन अब ज़रूरत है कि श्रीसंथ मैदान के बाहर और अंदर दोनों ही जगहों पर गंभीरता दिखाएं और स्वयं को तेज़ गेंदबाज़ी का एक चमकता सितारा साबित कर दिखाएं.

Adv from Sponsors

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here