साथियों यह जम्मू से श्रीनगर भारत पाकिस्तान बंगला देश फोरम के कुछ सदस्यों के साथ, मुहब्बत ए कारवा के कश्मीर चॅप्टर के निमंत्रण पर ! हम लोग बारह सितंबर से चौदह सितंबर तक कश्मीर की यात्रा पर गए थे ! मै आठ तारीख को ही जम्मू पहुंच गया था ! और अन्य साथियों को ग्यारह तारीख को आना था ! और 10 लोग आए, जिसमें बंगाल से पांच महिला साथी ! और तीन पुरुषों के अलावा, मध्य प्रदेश के पूर्व विधायक डॉ सुनिलम और मुझफ्फरपूर के शाहिद कमाल शामिल थे ! मुझे मिलाकर कुल संख्या ग्यारह सदस्यों का यह दल, ग्यारह सितंबर को जम्मू स्टेशन पर जम्मू के साथीयो के स्वागत जिसमें कश्मीर के सलिम, कठुआ के युवा नेता खजुरिया के अलावा, जम्मू के और भी कई साथी जम्मू स्टेशन पर आकर, हम सभी का स्वागत करने के बाद ! नास्ता खिलाकर हमे एक मीनी बस में बैठा कर, विदाई समारोह संपन्न होते – होते सुबह के साढ़े दस बजे जम्मू से श्रीनगर के लिए निकले ! जम्मू से श्रीनगर सौ किलोमीटर का रास्ता चार लेन का काम हो गया है ! उसीपर हमारी उम्रदराज मीनी बस का पिछला दाहिनी तरफ का टायर, मीनी बम फटने जैसा आवाज करते हुए ! हमारी गाडी पुरानी और अनुभवी होने के कारण, पचास से भी कम गति से चलने के कारण ! थोड़ी लहराते हुए चालक ने दाहिनी साईड पर रोक दी ! फिर उसके टायर बदलने तक हम लोग गाडी से उतरकर इधर-उधर टहलते रहे ! आधे घंटे बाद टायर बदलने के बाद, जैसे ही गाडी में बैठे तो बारिश शुरू हो गई ! और बस काफी उम्रदराज होने के कारण ! छत से पानी गिरने लगा ! तो सामान को इधर – उधर करने की कोशिश का कोई फायदा नहीं हुआ ! क्योंकि सभी तरफ से पानी गिर रहा था ! इस घटापट में उलझे हुए थे ! तबतक रामबन आ गया ! वहां शायद भुस्खलन या किसी और हादसे के कारण तीन घंटे तक फंसे रहे ! फिर सेना के जवानों ने आकर ट्राफिक संभालने के बाद आहिस्ता – आहिस्ता-आहिस्ता रामबन से निकलने के बाद, एक छोटी सुरंग में घुसते ही वहीं बदला हुआ टायर, उसी तरह की आवाज करते हुए फटा ! और सभीने बससे उतरकर, सुरंग के बाहर जाकर, आधा घंटा इधर-उधर टहलते हुए टाईम पास किया ! इस तरह बस के टायर ने एक घंटे का समय लिया ! और रामबन के ट्रेफिक जाम की वजह से, तीन मिला कर चार घंटे देरी के कारण हम लोग बनिहाल की अटल टनल के पास पहुंचते – पहुंचते अंधेरा हो गया ! अब पिछले बाई साईड का एकदम घीस – घीस कर सपाट टायर का डर बना हुआ था ! मैंने श्रीनगर रात के दस बजे पहुंचने के बाद ! उस घीसे हुए टायर को हाथ लगाकर कृतग्यता से प्रणाम किया ! अन्यथा वह फटने की संभावना ज्यादा थी ! लेकिन उसने अच्छा साथ दिया !


बंगाल के युवा मित्र सुदिप ने ली हुई फोटो है ! इस फोटो की वजह से याद आया ! “कि भले ही मेरे चेहरे पर मुस्कान दिखाई दे रही होगी ! लेकिन पांच मिनट पहले ही हम बाल-बाल बचे थे ! जम्मू – श्रीनगर हायवे जब बनेगा तब लेकिन उसके पहले कितना बली लेगा पता नहीं ! क्योंकि हायवे बनने का काम चलने के कारण ! भयानक अफरा-तफरी जारी है ! मुख्य रूप से रामबन से बनिहाल तक जिसमें हम लोगों को पचास किलोमीटर की दूरी तय करने के लिए तीन घंटों से ज्यादा समय लगा ! उसमें दो बार टायर के फटने का अनुभव !


गनिमत थी कि गाडी काफी अनुभवी और उम्रदराज होने के कारण ! हमें बच्चों के जैसे संभलकर, अहिस्ता-अहिस्ता ले जा रही थी ! अन्यथा इतनी उंचाईसे ! और निचे संग संग चल रही चीनाब मैया की गोद में समाने से वंचित रह गए ! कोई गडकरी (रोडकरी) नाम के, नागपुर के सुपुत्र ने समस्त भारत के रस्ते खोदकर रख देने के कारण ! हमारे पूर्व विधायक मित्र डॉ. सुनिलमजीने मुझे रोडकरी को लिखने के लिए कहां है ! “कि कभी जम्मू से श्रीनगर की यात्रा रोड से करेंगे तो शायद उन्हें पता चलेगा कि रास्ते की हालत कैसी है ?” उन्हें तो रास्ते बनाने की जगह उनके नाम बदलने की चिंता ज्यादा है ! पहले कभी जवाहर टनल हुआ करती थी ! अब नया रास्ता बनाते – बनाते नया नाम  ! श्यामा प्रसाद मुखर्जी, और अटल नाम के दो सुरंग बन गये हैं !
शायद राम मंदिर के लिए जितने लोगों की बलि ली है ! उतनी ही रोड बनाने के लिए भी संपूर्ण देश में लोगों की बलि ली जा रही है ! सबसे हैरानी की बात हिमालय पर्वत को तोड़कर यह रस्ता चौड़ा करने का काम चल रहा है ! हिमालय वैसेही बहुत कच्चा पहाड होने के कारण ! देश के सभी हिमालय के क्षेत्र में लॅन्डस्लाईडिंग के कारण, गांव के गांव विलुप्त होने की खबरें पढते – पढते हम लोग बड़े हो रहे हैं !


सभी हिमालय के क्षेत्रों में कहा चारों धामों को लिए जोड़ने का काम हो रहा है ! तो कहा देश की सुरक्षा के नाम पर, उत्तर बंगाल में सिलीगुड़ी से, तिस्ता के किनारे-किनारे से सिक्किम से होते हुए ! चीन की सिमा के तरफ जाने वाले रास्ता ! हो या जम्मू – श्रीनगर के रस्ते को, चार लेन बनाने की योजना हो ! उत्तराखंड में चारोधामो को जोडने वाली योजनाओं से लेकर,सभी आनेवाले दिनों में नये-नये संकटों को आमंत्रण देनेवाली  योजनाएं लगती है ! हमारे देश के कुछ लोगों को, हम बहुत तरक्की कर रहे हैं ! की भ्रांतियों ने जकड लिया है ! लेकिन अभी ताजा बंगलुरू के बारिश के कारण जलमग्न के हादसे के पहले, दस पंद्रह साल पहले मुबंई जलमग्न की बात लोग भुल गए हैं !
और केदारनाथ तथा उत्तराखंड, और हिमाचल प्रदेश के भुस्खलन में नष्ट हुए गांवों की खबरों को देखते हुए ! हमारे तथाकथित चार लेन के रोड हो ! या  बुलेट-ट्रेन की घोषणा करते हुए लोगों के महंगाई, बेरोजगारी तथा सत्ताधारी दल के भ्रष्टाचार (आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक भी ! ) लोगों का ध्यान इस तरह की परियोजनाओं की तरफ आकर्षित कर के मुख्य समस्याओं से ध्यान भटकाने के लिए सोची-समझी साजिश और कार्पोरेट जगत के लिए भारत के जल, जंगल और जमीन को प्रायवेट मास्टर्स को सौपने का काम बदस्तूर जारी है !

हमारे देश के बचे-खुचे जंगलों को कार्पोरेट सेक्टर को सौपने की जल्दबाजी, देखकर लगता है ! “कि इन्हें किसी ने सुपारी देकर सत्ताधारी बनाकर संपुर्ण देश की धरती पानी और हजारो साल पुराने चिनार, देवदार साल, और कई तरह के वृक्षों की कटाई करके ! और देवभूमि तथा धार्मिक प्रतिको का इस्तेमाल करते हुए ! यह सब विकास के नाम पर करने की कोशिश का फल, आनेवाली पिढी के लिए हम कौन-सी विरासत छोड़कर जा रहे हैं ?
जगह – जगह जहरीला पानी की खबरें देख रहे हैं ! अब आने वाले समय में जहरीले हवा की खबरें आने वाली है ! क्योंकि कोरोना के बाद काफी लोगों को अपने साथ अॉक्सिजन सिलेंडर रखने पड रहे हैं ! लेकिन 140 करोड लोगों में से कितने लोगों को यह संभव है ? और आगे चलकर अॉक्सिजन ही नहीं रहा तो ?
टायर बदलने के बाद थोड़ी देर में बारिश शुरू हो गई ! और उपरसे गिरते हुए पथ्थरोसे बचते हुए ! क्योंकि पानी की वजह से और पेड़ों की कटाई के कारण मलबा फिसलकर सिधा रस्ते पर गिर रहा था ! हमारी बस इतनी सुंदर और पर्यावरण के अनुकूल थी कि ! हम और हमारा सामान ने भी बस में बैठे – बेठे बारिश का आनंद लिया !

उस पहीये को बदलने के बाद रामबन से श्रीनगर के तरफ अग्रसर होनेवाली पहली सुरंग में घुसते ही चंद फासले पर ! बदले हुए पहीये ने सहयोग करने से इंकार कर दिया ! और सुरंगके बीचोंबीच पुनः फट गया ! सभी साथियों को गाडी से उतर कर सुरंगके बाहर पैदल आना पड़ा ! और आधे घंटे बाद हमारे चक्रधर ने, गाडी सुरंगके बाहर लाने के बाद ! फिर सवार होकर निकलते हुए, मैंने कहा “कि उम्मीद करते हैं कि आज श्रीनगर सहीसलामत पहुंचेंगे !”
हाँ पहुंचे भी ! लेकिन गिनकर बारह घंटे के बाद ! सुबह जम्मू से साडे दस बजे निकले थे ! और श्रीनगर सिर्फ रात के दस बजे पहुचें ! आगे का समय भिगोकर लाएं हुए सामान, मुखतः कपडोको सुखाने के लिए फुल स्पिड में पंखा चलाते हुए ! कपडो को पडदे टांगने के स्टेंड से लेकर सोफे खुर्ची और जहाँ – जहां जगह मिली वहां लटका कर ! सामान सुखाने की जद्दोजहद में रात के दो बज गए ! सुबह नास्ता करने के बाद तुरंत ही पुलवामा जिले के टिथवाल नामके भारत के हिस्से के आखिरी गांव जो जाना था ! – अगली किस्त में एलओसी की दास्तान !

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