आज 5 अगस्त 2022 कश्मीर के 370 खत्म करने को, और राज्य से केंद्र शासित करने को तीन साल होने के उपलक्ष्यमे !
कश्मीर पर बल द्वारा नहीं,केवल पुण्य द्वारा विजय की जा सकती है ! यहाँ के निवासी केवल परलोक से भयभीत होते है,न कि शस्त्रधारियोसे ! – ( पंडित कल्हण की राज तरंगिणी से ! )
यह भारत के प्रथम इतिहास लेखन करने वाले कश्मिरि पंडित कल्हण के राजतरंगिणी के शुरूआती कोटेशन का मतलब ! आज भारत की आजादी के पचहत्तर साल दस दिनों बाद पूरे हो रहे हैं ! और इन पचहत्तर सालों के दौरान कश्मीर की नदियों में से कितना पानी बह गया है ? यह बात मुझे एक कश्मिरि नेता ने पिछले मुलाकात में कहा कि खैरनार साहब भारत ने कश्मीर को कब्जे में तो कर लिया ! लेकिन कश्मिरियो के दिल नही जीते ! यह बहुत ही बडी अफसोस की बात है ! और खुद निरुत्तर होकर चुप हो गया !


5 अगस्त 2019 को वर्तमान बीजेपी के सरकारने, बिल्कुल नोटबंदी के तरह ही बहुत ही ! बहुत ही गोपनीय ढंग से, जुलाई के अंतिम सप्ताह से ही अतिरिक्त पचास हजार से अधिक सेना को कश्मीर में उतारा गया है ! हालांकि पहले से ही सेना मौजूद हैं ! वह अलग से ! 370 हटाने के बाद, कश्मीर के मित्रों के फोन बडी मुश्किल से ही लगते थे ! क्योंकि इंटर्नेट सेवा बंद होने के अनुभवों का, अब काश्मिरीयोको कोई नई बात नहीं है ! समय – समय पर वहाँ अचानक दूरसंचार सेवा तथा अखबार बंद करने के अनुभवों से वह अभ्यस्त हो गए हैं ! हालांकि कम-अधिक प्रमाण में संपूर्ण भारत में भी यही हाल है ! जैसे कल दिल्ली के ‘यंग इंडिया’ अखबार को बंद कर दिया ! वैसे ही कश्मीर का सबसे पुराना अखबार, कश्मीर टाईम्स को तीन साल से बंद कर दिया है !
हमारे सर्वोच्च न्यायालय को न ही कश्मीर टाईम्स की केस देखने की फुर्सत है ! और न ही 80 के आसपास 370 की याचिकाओं को देखने की ? एक तरफ चिल्ला – चिल्ला कर कहा जाता है कि, “कश्मीर हमारा अभीन्न अंग है !” और इस अभिन्न अंग के साथ ही ! सौतेला व्यवहार किया जाना कहाँ तक उचित है ? कम से कम हमारे देश की न्यायिक व्यवस्था ने तो दखल लेनी चाहिए ! प्रेस कौन्सिल अॉफ इंडिया, मानवाधिकार आयोग जितनी भी संस्थान है, सबके सब चुप्पी साधे हुए हैं !
जब किसी कौम को अभिव्यक्ती के सभी दरवाजे बंद हो जाने से ही आतंकवाद पनपता है ! क्योंकि किसी भी बात की एक हद होती है ! मैं हर तरह के आतंकवाद के खिलाफ, सिर्फ भारत में ही नहीं संपूर्ण विश्व में अपनी क्षमता के अनुसार लगभग तीस साल से अधिक समय से काम कर रहा हूँ ! और इसीलिए कश्मीर को लेकर चालीस साल से भी अधिक समय से कोशिश कर रहा हूँ ! जिसमें विस्थापित पंडित हो, या कश्मीर के अन्य कौम के लोगों के साथ, लगातार संवाद करते रहता हूँ ! और उसी कडिमे 5 अगस्त 2019 को 370 हटाने के बाद ही लगातार कश्मीर जाकर हालात देखकर आने के लिए एक महिने के भीतर ही मैंने अपनी कोशिश शुरू की थी !
24 – 25 सितंबर 2019 अंतिम सप्ताह में, कश्मीर के हालात का जायजा लेने के लिए जाने की कोशिश की ! लेकिन दिल्ली एअरपोर्ट से वापस भेज दिया ! मेरे एक दिन पहले राहुल गांधी को भी वापस भेज दिया गया ! ऐसा मुझे वापस भेजने वाली एजेंसी ने कहां ! फिर दिसंबर में बिकानेर किसी कार्यक्रम के लिए बुलावा आया ! तो दोबारा दिल्ली जाकर कोशिश की लेकिन वही आलम ! फिर आया कोरोना ! इस तरह तीन साल होने को आऐ ! तो एक जून 2022 को कोलकाता से, हमारी तीस साल पुरानी मित्र, मनिषा बॅनर्जी के साथ कोलकाता जम्मूतवी एक्सप्रेस से, पचास घंटों का सफर ! तय करने के बाद तीन जून को, जम्मू दोपहर दो बजे पहुंचने के बाद ! रेल्वे स्टेशन से शेयर सुमो गाडी से, श्रीनगर रात के दस बजे पहुंचे ! तो रास्ता चौडा बनाने का काम शुरू होने के कारण ! बीच – बीच में जाम के वजह से, तीन सौ किलोमीटर के अंतर को, सात घंटे से ज्यादा समय लगा ! चार जून से सात जून चार दिन श्रीनगर, बडगाम, और पंडितों के बारे में जहाँ पता चला वहां – वहां गए ! और मुख्यतः मंदिर कैसे हालात में है ? वह भी देखने के लिये जगह – जगह गऐ !


चरारे शरिफ गऐ ! 1995 में मस्तगूल नाम के आतंकवादी के खिलाफ कार्रवाई करने के साथ-साथ, पुराने चरारे शरिफ को आग लग जाने के कारण, वह जल चुका है ! अब नया बनाया गया है ! हुश्रु नाम के जगह एक मंदिर है ! उसी तरह बडगाम तथा और चार मंदिरों की खबर मिली तो देखने चले गए !


खानसराय नाम के जगह, चालिस के आसपास सिख परिवार चारसौ साल से रह रहे हैं ! और बहुत ही सुंदर गुरुद्वारा भी है ! कुल चालिस से पचास हजार की संख्या में सिख पूरे कश्मीर में रह रहे हैं !


हम तीन जून को जम्मू स्टेशन से जीस सुमो गाडीसे आए थे ! उसमें हमारे अलावा एक पच्चीस साल का सिख विद्यार्थि, गुरदासपुर के इंजीनियरिंग कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद, अपने घर त्राल, जिला अनंतनाग वापस जा रहा था ! रास्ते में उसके साथ बातचीत में पता चला, कि उसके पिता की मृत्यु हो गई है ! और घर में अकेली मां है ! जो सेब और अन्य फसलों की देखभाल करती है ! और त्राल में, और भी सिख परिवार शेकडो सालों से रह रहे हैं ! किसी के फलों के बगीचे है ! तो किसी के श्रीनगर में होटल, दुकाने है !


सिख धर्म के बारे में संघके दिर्घ काल प्रमुख पद पर रहे श्री. माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर गुरूजी अक्सर कहते थे ” कि इस धर्म की स्थापना हिंदु धर्म की रक्षा करने के लिए विशेष रूप से की गई है !” तो फिर उस धर्म के लोग संपूर्ण कश्मीर में आराम से रह रहे हैं ! और हजारों की संख्या में पंडितों को कश्मीर असुरक्षित महसूस हुआ ! इसलिए उन्हें कश्मीर छोड़कर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा ! हालांकि आज भी कश्मीर में चार से पांच हजार हिंदु रह रहे हैं ! बिल्कुल छोटे -छोटे गांव में भी मैने देखा है ! और श्रीनगर में भी ! हिंदुओ का पलायन होने की बात से काफी सवाल पैदा होते हैं ! क्योंकि कश्मीर की समस्या धार्मिक नही है ! कुछ लोग उसे जानबूझकर धार्मिक रंग देना चाहते हैं ! लेकिन संपत प्रकाश, प्रबोध, अनुराधा जमवाल और उनके पहले वेद भसीन, बलराज पुरी, नंदिता हक्सर जैसे कश्मीर के रहिवासीयो के लेख या किताबों में कहीभी धर्म के आधार पर कश्मीर की लड़ाई नही है ! हां प्रजापरिषद (कश्मीर की हिंदु महासभा) या वर्तमान समय में बीजेपी या आर एस एस उसे शुरू से ही धार्मिक रंग देने की कोशिश की है ! और अभिभी कर रहे हैं ! अगर कश्मीर की समस्या धर्म के आधार पर होती तो कश्मीर आजादी के समय के बटवारे में हर तरह से पाकिस्तान का हिस्सा होना चाहिए था ! क्योंकि पाकिस्तान बनने के जो आधार थे उसमें जनसंख्या सबसे पहले नंबर पर था ! और उस समय भी कश्मीर में नब्बे प्रतिशत से अधिक मुस्लिम जनसंख्या थी ! और भौगोलिक क्षेत्र के हिसाब से पाकिस्तानी इलाके से लगा हुआ क्षेत्रफल है ! मेरा इस तरह की दकियानूसी सोच वाले लोगों को इस लेख के बहाने सवाल है ! “कि क्यो कश्मीर 1947 के समय ही पाकिस्तान में शामिल नहीं हुआ ?” क्योंकि शतप्रतिशत पाकिस्तान बनने का कारण मुस्लिम बहुसंख्यक आबादी और भौगोलिक स्थिति ! यह दोनों मुद्दों पर कश्मीर पाकिस्तानी हिस्सा बन सकता था ? लेकिन क्यों नहीं बना ? इस सवाल पर तटस्थता से सोचने की आवश्यकता है ! सिर्फ हिंदु राजा था , यह बात बहुत ही कमजोर मुद्दा है ! अगर नब्बे प्रतिशत आबादी ने पाकिस्तान में शामिल होने का निर्णय लिया होता तो उसे कौन रोक सकता था ? और एक महत्वपूर्ण एतिहासिक तथ्य है कि लॉर्ड मौटबैटन ने जीना को कश्मीर में( Plebiscite) मतलब सार्वमत लेने की सूचना की थी ! लेकिन जीना को अच्छी तरह से मालूम था कि कश्मीर की जनता पाकिस्तान के पक्ष में नहीं है ! इसलिए वह सार्वमत लेने के बजाय कबायली के भेस में सेना के द्वारा कब्जा करने की कृती को अंजाम दिया !


क्योंकि उस समय शेख अब्दुल्ला कश्मीर के लोगों के सब से बडे नेता थे ! और वह खुद पाकिस्तान के खिलाफ थे ! और उनका दल नॅशनल कॉन्फरन्स भी ! अगर उस समय शेख मोहम्मद अब्दुल्ला पाकिस्तान के साथ जाने की पहल कीए होते तो ! शायद ही कोई कश्मीर को भारत में शामिल करने की कोशिश में कामयाब हुआ होता ! सरदार पटेल को भारत के छ सौ से अधिक संस्थानों को विलिन करने के लिए सराहा जाता है ! वह खुद कश्मीर की मुस्लिम बहुल आबादी को देखते हुए, मानकर चल रहे थे, कि कश्मीर पाकिस्तान में जा सकता है ! वह तो जिस जवाहरलाल नेहरू को लेकर वर्तमान समय के सत्ताधारी दल के लोग गाहे-बगाहे कोसते रहते हैं ! यह उन्हीकी कोशिश का और उनकी शेख मोहम्मद अब्दुल्ला के साथ दोस्ती का परिणामस्वरूप, आज कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है !


कम आधिक प्रमाण में कश्मीर में यह नजारा 75 साल से चल रहा है ! कबायली के बन्दोबस्त के लिए भेजी गई सेना वापस आना तो दूर ! उल्टा सेना,सी अर पी एफ,बी एस एफ,और विभिन्न प्रकार के सुरक्षा बलों की तैनाती बढते बढते अब हर एक काश्मिरी परिवार पर एक सेना के जवान का आनुपात हो गया है !


तीन साल पहले आज ही के दिन 370 हटाकर राज्य का दर्जा समाप्त कर उसे केंद्र शासित प्रदेश में बदलकर रख दिया ! जब की हमरे और कश्मीर के भारत के साथ हुए सामिलनामे की शर्तो में जबतक कश्मीर की विधान सभा कोई कानून या बदलाव सर्वसम्मति से पास नहीं करती ! तबतक कोई बदलाव माना नही जा सकता है ! और कश्मीर की विधान सभा पांच अगस्त 2019 के बहुत ही पहले से ही भंग की हुईं हैं ! और ऐसी स्थिति में सिर्फ भारत का मंत्रीमंडल कोई एक निर्णय लिया ! और उसे कश्मीर में लागू करने की प्रक्रिया ही संविधान के विपरित है ! और सर्वोच्च न्यायालय कश्मीर के 370 हटाने के खिलाफ अस्सी से भी ज्यादा याचिकाऐ सर्वोच्च न्यायालय में प्रलंबित पडी हुई है !


सामान्य रूप से केंद्र शासित प्रदेशों को राज्य का दर्जा देने की परंपरा देखी है ! लेकिन कश्मीर के लिए यह निर्णय ! उल्टा क्यो ? और तीन साल में लोकतांत्रिक प्रक्रिया क्यो नही शुरू हो पा रही है ? इसके कारण क्या है ? क्योंकि गृह मंत्रालय समय – समय पर बताते रहता है कि अब कश्मीर में स्थिति काफी अच्छी है ! आतंकवाद लगभग खत्म हो गया है ! और जिस तरह से मई में चार लोगों की हत्याएं हुई है ! और उसके पस्चात पांच हजार कश्मीरी हिन्दुओं ने जो प्रधानमंत्री पैकेज में सरकारी कर्मचारियों के रूप में बहाल हुए हैं ! वह अब मांग कर रहे हैं कि हमे सुरक्षित जगह पर पोस्टिंग चाहिए ! आज भी उनका धरना प्रदर्शन शुरू है !
दो दिन पहले, मैंने यू ट्यूब पर शिकारा नामकी फिल्म ! हा फुल्प्लेज फिल्म ! बिल्कुल कश्मीर फाईल्स की ही तरह ! लेकिन इन दोनों फिल्मों में कश्मीर के इतिहास और वर्तमान को तोडमरोडकर पेश किया है ! इसलिए मैं बलराज पुरी,ए जी नूरानी,ए एस दुलत,नंदीता हक्सर,सुमन्त बोस,अशोक सक्सेरिया, जवाहर कौल,शंकर सिंह, अशोक पांडे इत्यादि लोगों की किताबें खंगालने के बाद यह सब लिख रहा हूँ !
इन फिल्मों की शुरुआत वर्तमान प्रधानमंत्री के महिमामंडन से शूरू होकर ! कश्मीर के घटनाक्रमोको तोड मरोडकर रखे गए हैं ! उदाहरण के लिए सिनेमा में दर्शाया गया है कि “आर्टिकल 370, शेख अब्दुल्ला के कहनेपर नेहरू जी ने बनाया !” जो कि सारासार गलत है ! और सबसे हैरानी की बात इस फिल्म में मनुस्मृति लागू करने की मांग करने का पोस्टर अनुपम खेर के हाथ में है ! इसलिये मैं पुनाह 500 सालों के सिलसिलेवार घटना क्रम रखने की कोशिश कर रहा हूँ !


1586 में सम्राट अकबर ने कश्मीर को मुगल साम्राज्य का हिस्सा बनाया था ! उसके बाद सिख राजा रणजीत सिंह का राज था ! लेकिन 1846 के एंग्लो सिख युद्ध में अंग्रेजों ने जित लिया था ! और उस युद्ध में गुलाब सिंह ने (जो कि गुलाब सिंह रणजीत सिंह के राज में उनके कई सरदारों में से एक था ! ) उसके बावजूद उसने अंग्रेजों के तरफसे मदद करने के कारण !अंग्रेजो ने सोचा कि कश्मीर अपने को राज करने के लिए पहाड़ीयो वाले, और उबड-खाबड प्रदेश होने के कारण, कश्मीर पर राज करना अव्यवहारीक लगा ! तो उन्होंने गुलाब सिंह जो डोगरा सरदार थे ! तो उन्हें 75 लाख रुपये में अंग्रेजोने दे दिया ! और इस कारण वह अपने आप को महाराजा कहलाने लगे !


और जब 1947 मे भारत स्वतंत्र हो रहा था ! उस समय के छ सौ के आस पास के देशी रियासतों मेंसे कुछ रियासतें जुनागढ,हैदराबाद के नवाब और कश्मीर के हिंदु राजा राजा भारत में शामिल होने में आनाकानि कर रहे थे ! और बैरिस्टर विनायक दामोदर सावरकर उसका समर्थन करने वाले लोगों में एक थे ! तो जूनागढ़ और हैदराबाद में जनता हिन्दु बहुल ! और नवाब साहब मुसलमान होने के कारण ! जनता ने खुद इन दोनों रियासतों में भारत मे शामिल होने के लिए, आंदोलन करने के कारण ! वह देर से ही सही लेकिन भारत में शामिल हो गए थे ! बिल्कुल इसके उल्टा जम्मू कश्मीर की मुस्लिम आबादी नब्बे प्रतिशत ! और राजा साहब हिन्दु ! और शेख अब्दुल्ला की मुस्लिम कान्फ्रेंस जो 1935 से नैशनल कांफ्रेंस के रूप में तब्दील कर दिया था ! और कश्मीर के सभी जाति धर्म के लोग उसमें शामिल होने के कारण ! वह राजाशाही के खिलाफ ! और धर्म के आधार पर बटवारे के भी खिलाफ रहने के कारण ! बटवारे की प्रक्रिया में कश्मीर का कही भी नाम नहीं था ! भले ही नब्बे प्रतिशत से ज्यादा मुस्लिम आबादी होने के बावजूद 1946 – 47 के बटवारे में, कश्मीर का शुरू से ही श्यामिल नही होना किस बात का परिचायक है ?
जनतांत्रिक समाजवादी पार्टी के जैसे ही ! जो जोतेगा उस की जमीन जैसे आंदोलन के लिए नॅशनल कॉन्फरन्स जाने जाती है ! और आजादी के बाद उन्होंने जमीन को लेकर, भारत के अन्य प्रदेशों की तुलना मे जमीन जोतने वाले लोगों को जमीन का मालिकाना हक दिलाने का काम किया है ! वह भारत के और प्रदेशों से ज्यादा अच्छा काम किया है ! और सबसे महत्वपूर्ण बात कश्मीर तब भी 90% मुस्लिम बहुल प्रदेश होने के बावजूद कश्मीर की सबसे प्रभावशाली राजनीतिक दल नॅशनल कॉन्फरन्स बगल में ही मुस्लिम बहुल पाकिस्तान बन रहा है ! लेकिन शेख अब्दुल्ला के धर्मनिरपेक्ष भुमिका के कारण पाकिस्तान में जाने के बजाए भारत के पक्ष में थे ! उल्टा महाराजा हिंदु होने के बावजूद पाकिस्तान के साथ सौदेबाजी कर रहे थे ! क्योंकि जीना उन्हें राजा का दर्जा कायम रखने का और कश्मीर को स्वायत्त रखने का झुठमुठ का आश्वासन दे रहे थे ! और उधर पस्चिमी सिमा प्रदेश की तरफ से कबायलीयो के भेस में पाकिस्तानी सेना कश्मीर को कब्जे में करने के लिए भेज दिया था !


हैदराबाद (भारत वाले) में पुलिस कारवाई करने के बाद ! वह भारत में शामिल हो गया ! और जूनागढ़ भी ! लेकिन कश्मीर के महाराजा हरिसिंह स्वतंत्र रहना चाहते थे ! हालाकि 1944 में जीना छ हप्ता, श्रीनगर में तन्बू ठोककर बैठे थे ! लेकिन खाली हाथ लौट गये ! लेकिन उन्हे कामयाबी नहीं मिली ! हरिसिंह के प्रधान-मंत्री कश्मीरी पंडित रामचंद्र काक, भारत विरोधी थे ! और उनके बाद मेहरचंद महाजन भी उन्हिके जैसे थे ! और यह दोनों बैरिस्टर मोहम्मद अली जिना के साथ मीले हुए थे ! और महाराजा को खुद को भी भारत में शामिल होने में रुचि नहीं थी ! वह भी जीना की मीठी – मीठी बातो में उलझ गए थे !
1846 में अंग्रेजोसे 75 लाख रुपये में खरीदनेके बाद ! 1947 तक याने 101 सालो में 90 %मुसलमान आबादी वाले कश्मीर के 28 दिवानों में डोगरा महाराजा ने, एक भी मुसलमान या, गैर डोगरा दिवान नियुक्त नहीं किया था ! वही हाल अन्य सरकारी महकमों में भी था !


कश्मीर में इस्लाम बादशाहो के द्वारा नहीं फैला ! 12 वी सदी में सूफी संतों के कारण, और वह भी जाति व्यवस्था के कारण फैला है ! हालाकि यह बात पूरे भारतीय उपमहाद्वीप के इस्लामी करण को लागू हैं ! उसका सबसे ताजा उदाहरण, डॉ बाबा साहब आंम्बेडकरजी के येवला की सभा में ! 1936 के अक्तूबर में की गई घोषणा ! ” की मैं हिन्दु के रूप में पैदा जरुर हुआ हूँ ! लेकिन मैं हिन्दु के रूप में मरूँगा नहीं !” और 20 साल बाद उन्होंने अपने लाखो अनुयाइयों के साथ 14 अक्तुबर दशहरे के दिन 1956 में नागपुर की दिक्षाभूमी के मैदान पर, बौद्ध धर्म की दीक्षा ली है ! इसका कारण क्या है ? और सातवीं शताब्दी में केरल के कालिकत के किनारे स्थित भारत की पहली मस्जिद कुट्टीकुरा और उसी तरह भारत के पहले चर्च का निर्माण उन दोनों धर्म के निर्माण होने के आसपास की यह गतिविधि है ! जबकि नहीं कोई बादशाह पैदा हुआ था ! और न ही कोई क्रिस्चियन साम्राज्य ! उस समय भारत में इन धर्मों का आगमन के समय, एक हाथ में तलवार और दुसरे हाथ में कुरान या बायबल लेकर कोई नही आया था ! भारतीय जातीव्यवस्था से तंग आकर लोगों ने खुद होकर इस्लाम या क्रिस्चियन धर्म को अपनाया है ! और यही बात स्वामी विवेकानंद ने अपने दक्षिण भारत के प्रवास के दौरान कही है !


कश्मीर की समस्या को बढ़ाने के लिए वहाके हिन्दु महाराजा मुख्य रूप से जिम्मेदार है ! और जब जीना ने कहा की अगर कश्मीर पकिस्तान में शामिल हुआ तो पकिस्तान कश्मीर की स्वायत्तता में हस्तक्षेप नहीं करेगा 14 अगस्त 1947 को यथास्थिति (standstill) का समझौता किया है ! और मजेदार बात महाराजा ऐसाही समझौता भारत के साथ करना चाहते थे ! लेकिन भारत ने कहा कि जनताकि इच्छा के अनुसार काम करेंगे ! और यही बुनियादी फर्क है ! कि मुस्लीम लीग महाराजा को झूठे आश्वासन देकर फुसला रही थी ! और उधर कबायली के नाम पर सेना की तरफ से आक्रमण करने की तैयारी जारी थी ! 15 अगस्त 47 से 27 अक्तूबर 47 तक, दो महीने से ज्यादा समय कश्मीर के महाराजा के कारण ! पकिस्तान को मुजफ्फराबाद की तरफ से कबायली के नाम पर सेना की तरफ से आक्रमण करने का मौका मिला है ! और आजका पी ओ के लगभग 84000 स्क़ेअर कीलोमिटर, कश्मीर का हिस्सा हथियालिया है ! जिसे अब पकिस्तान आझाद कश्मिर बोलता है ! और भारत पी ओ के याने पाक आक्युपाई कश्मीर ! इसके अलावा अक्साई चीन पाकिस्तान ने चीन को दे दिया वह अलगसे !


90 प्रतिशत आबादी मुसलमान होने के बावजूद, कश्मीर में सांप्रदायीक राजनीति देश के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान बिल्कुल नहीं थी ! और यह बात महात्मा गाँधी जी को पता चली तो वह अगस्त के प्रथम सप्ताह में 1947 खुद रावलपिंडी के रास्ते से होते हुए कश्मीर जाकर देखे कि भारत के पस्चिम तथा पूर्व भागों में भयंकर सांप्रदायिक हिंसा जारी थी और मुस्लिम बहुल कश्मीर शांत था ! हालाकि प्रजा परिषद के नाम से , संघ परिवार के लोग जिन्हे राजा की शह थी ! और मुस्लीम लीग के नाम से, छ सप्ताह कश्मीर में जिनाने खुद कोशिश करने के बावजूद ! दाल नहीं गली तो उन्होने भी मुस्लीम कॉन्फ्रेस के नाम से ! और सबसे संगिन बात यह दोनो धड़े राजा के समर्थक थे ! याने अंग्रेजोकी बाटो और राज करो की नीति राजा साहब भी बखूबी चला रहे थे ! लेकिन इन दोनों को अपेक्षाकृत कामयाबी, नेशनल कॉन्फ्रेस की तुलनामे कोई खास नहीं मिली ! और यही कश्मीरियत है ! भारतीय उपमहाद्वीप के इस्लामी पहचान को देखकर लगता नहीं कि कश्मीर में उस तुलनामे फर्क है !


1990 के 19 जनवरी को जगमोहन नामके राज्यपाल ने, कार्यभार संभालने के तुरंत बाद ! 17 को अल्पमत वाली वी पी सिंह की सरकारने जो कि बीजेपी के बाहरी समर्थन से बनी हुई थी ! इस कारण बीजेपी ने जगनमोहन को कश्मीर के राज्यपाल की सिफारिश की थी और वी पी सिंह ने जगमोहन की राज्यपाल की घोषणा 17 जनवरी को की जगनमोहन अठारह जनवरी को कश्मीर पहुचने के तुरंत बाद सी आर पी एफ की तैनाती और श्रीनगर के घर – घर की तलाशी अभियान के दौरान महिलाओं के साथ बदसलूकी की और संपूर्ण श्रीनगर शहर 19 जनवरी की रात में सड़कों पर प्रदर्शन करने की शुरुआत की है ! और उन्होने खुद सेना के ट्रक लेजाकर कश्मीरी पंडितों को कहा “कि कुछ समय के लिए ! आप लोगों को मै सुरक्षात्मक उपाय के लिए कही और लेजा रहा हूँ ! और बादमे वापस लाकर छोड़ूंगा !” लेकिन यह बाद अबतक नहीं आया ! कलही पूर्व मुख्यमंत्री फारूख अब्दुल्ला ने 90 के कश्मीरी पंडितों के विस्थापन को लेकर सर्वोच्च न्यायालय के कोई इन्टीग्रेटेड रिटायर जज द्वारा जांच की मांग की है ! क्यौंकि भारत के इतिहास में जगमोहन पहले राज्यपाल होंगे जिसे सिर्फ पांच महीने के अंदर ! तुरंत वापस बुलाया गया है !
और मैने मॉडरेट हुरियत के नेताओं से (मिरवाईज उमर फारूक) इस बारे में 5-6 घंटा उनके मुख्यालय में 2006 के मई के प्रथम सप्ताह में, जाकर बात की हैं ! और उन्होने साफ शब्दों में कहा ! “कि कश्मीरी पंडितों के बगैर कश्मीरीयत बेमानी है ! और जगमोहन को जिम्मेदार ठहराया” और मुझे अशवस्त किया की आपको अगली कश्मिर यात्रा पर यहाँ पंडित अपने अपने पुस्तैनी घरोमे मिलेंगे यह 2006 की बात है !


2016 में दोबारा मै गया ! और सबसे पहले जाग्रति नामके जम्मू से 15 किलोमीटर की दूरी पर,कश्मीरी पंडितों के कॅंम्प में गया ! तो पण्डितोके नेता त्रिलोकिनाथ पंडितजी के घर पर काफी समय बैठे थे ! वह कॅंम्प 2007 में डॉक्टर मनमोहन सिंह के करकमलों से उद्घाटित हुआ था ! उद्घाटन समारोह का फोटो त्रिलोकनाथजिकी दिवारपर टंगा था ! तो उनके घर में उनके अलावा कोई नहीं था ! तो सामनेवाले फ्लेट की तरफ देख कर, आवाज दी की “अंजली जरा दो तीन कप चाय देना !” कुछ समय के बाद, एक 30-35 साल की महिला, हाथमे ट्रे लेकर आई, और मेरेही बगलमे बैठते हुए बोली ” की आप डॉ सुरेश खैरनार है ! और 2006 में भी आप हमारे पहले वाले टिन के केम्प में आये थे ! और वापस वैली में चलने की बात कर रहे थे ! और अब तो आप देख रहे हैं ! भारत सरकार ने कितने अच्छे-खासे मकान बनाकर दिये हैं ! हम मुस्लमानोको म्लेच्छ (अछुत) मानते हैं ! और हम उनके लिये अलग बर्तन रखते हैं ! और हम यहा पर खुश हैं ! हमे नहीं आना वैलिफैलीमे ! उल्टा अगली बार जब आप आओगे तो मैं आपको यहा नहीं मिलेंगी, मेरी बेटी पुनेमे आय टी सेक्टर में काम करती है ! और उसने इससे भी बडा फ्लैट बुक किया है ! वह जैसे ही तैयार हो जाएगा, तो मै भी पुणे शिफ्ट हो रही हूँ ! हम पंडित पढने लिखनेवाले लोग है ! हमारी कुल आबादी साठ लाख है ! जिसमें से सिर्फ तीन लाख इन कैंपों में रह रहे हैं ! बचे हुए 57 लाख देश – विदेश में रहते हैं ! हमारे काफी लोग विदेशो मे बस गये ! और बचे खुचे पुणे,बंगलोर,हैदराबाद,चेन्नई,दिल्ली,कोलकाता जैसे महानगरोमे बस गये हैं ! हमे नहीं रहना मुसलमानो के साथ ! और यह बात सिर्फ अंजली रैना की नही, कम अधिक प्रमाणमे काफी कश्मीरी पंडितों के जेहन में है ! इसीलिए कई लोगों को लगता है ! “कि हम सिर्फ मुसलमानोकी बात करते है !” तो मै इतने सालोमे जब जब कश्मिर गया हूँ कश्मीरी पंडितों को मिले बगैर नहीं लौटा हूँ ! हालाँकि मैं तो गाव,देहात सुदूर पहाडो पर और बारह महीने सतत अपनी भेड बकरियां लेकर चलने वाले बकरवाल,गुज्जर जैसी जनजतियोके साथ भी काफी समय रहा हूँ ! और यही लोगों की सात साल की बच्ची के साथ, जम्मू के एक मंदिर में बलात्कार कर के मार डाला है ! और सबसे हैरानी की बात इस कांड को अंजाम देने वाले लोगों के समर्थन में भारत का राष्ट्रीय झंडा के साथ जम्मू में जुलूस निकाला गया है ! और अब बीजेपी 9 अगस्त से पंद्रह अगस्त तक हरेक व्यक्ति को आजादी के पचहत्तर साल के जश्न में तिरंगा फहराने के लिए कह रहे हैं ! तिरंगा झंडा का इससे बड़ा अपमान और क्या हो सकता है ?


कश्मीर के रीति रिवाजों को देखकर लगता नहीं कि कौन हिन्दु हैं ? और कौन मुसलमान ? वहा के नाम ही देख लीजिये ! ऋषी परवेज,मौहम्मद पंडित,जफर भट, ! और यह नाम मै मेरे दोस्त लोगों के दे रहा हूँ ! इसके अलावा दर्जनो उदाहरण है !
अडवाणी जी ने 6 दिसंबर 1992 के बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद, 300 से ज्यादा मंदिर कश्मीर में तोड़े गए ऐसा आरोप किया था ! तो इंडिया टुडे पत्रिका ने बाकायदा सर्वेक्षण किया ! और छापा है ! ” की इस तरह के एक भी मंदिर की तोडनेकी घटना नहीं मिली !” मैं खुद 2006 के मई माह में और दस साल बाद, 2016 के अक्तूबर में बुरहान वानी की हत्या के बाद ! दो हप्ते कश्मीर और जम्मू में परिस्तिथि का आकलन करने के लिए, घूम रहा था ! तो बडगाव नामके गावं में सबेरे के समय कुछ भजन,कीर्तन कानपर आये ! तो जिनके पास ठहरा था, उनकी पत्नी को पुछा कि ” आपके गाव में कितने हिन्दु घर है ?” तो वह बोली पाँच घर है ! लेकिन सभी बंद है ! और क्यो चले गये पता नहीं ? वो हमारे रिस्तेदार जैसे ही थे ! तो मैंने पूछा कि यह भजनों की आवाज कहासे आ रही है ? तो उन्होने कहा की” हमारे गाँव में दुर्गादेवी का मंदिर है ! और अभि नवरात्र का समय है ! तो वहा जगृता चल रहा है ! मै दंग रह गया कि एक भी हिन्दु गाव में है नहीं है ! और यह क्या माजरा है ? तो मैंने पूछा कहाँ पर मंदिर है ? तो उन्होने गावके बाहर एक छोटा टीले पर है करके कहा ! तो मै शामको उनके पतिके साथ मंदिर में गया ! तो मंदिर परिसर बहुत ही साफ सुथरा, और मंदिर में दिया जल रहा था ! लेकिन पुजारी कही दिख नहीं रहा था ! कोई सेवादार जैसा साफ सफाई करने वाले को नाम पुछा तो अजिज ! पंडित जी कहा हैं ? तो बोला बगल के गाँव में पूजा करने गये हैं ! मैने उसे पंडित जी का मोबाइल नंबर पुछा तो उसने बताया ! और मैने पंडित जी से बात की “पहले पुछा कि आप कहाँ पर है ? और यहा कब तक पाहूचनेकी संभावना है ?” “तो उन्होने बताया कि वे आज जागरण करने के लिए उसी गाँव में रहेंगे”! फिर मैने पूछा कि आपकों अकेले यहाँ पर डर नहीं लगता ! तो उन्होने बताया कि आप यह सब क्या पुछ रहे हो ? हम बिल्कुल ठीक है ! और पूरे गाववाले हमारा ख्याल रखते हैं !


इसीतरह श्रीनगर के डाऊन टाऊन एरिया में एक मंदिर वॉर्ड है ! मै वहा भी गया एक रिटायर प्रो धर हिन्दु पंडित जी के घर पर एक घंटे से ज्यादा समय रुका ! और काफी बातचीत की ! उनको एक बेटी है जो कॉलेज में पढ रही है ! मैने उसे भी पुछा “कि बेटा आपको यहा कोई तकलिफ या डर!” “तो उसने बताया कि बिल्कुल भी नहीं उल्टा जब भी कभी बवाल होता है, तो सभी मोहल्ले वाले हमारी मदद करने के लिए आधी रात को आ जाते है !” और अभी जून की यात्रा के दौरान भी इन सभी जगहों पर दोबारा गए तो 370 और शिकारा, कश्मीर फाईल्स जैसे सिनेमाओ के कारण अब तक कश्मीर के पंडितों के मुहसे हिंदु – मुस्लिम शब्द नहीं सुना था ! लेकिन अब वह मुसलमानों को अस्पृश्य (म्लेंछ) बोल रहे हैं ! पहले एकाध अंजलि थी ! अब लगभग सभी एक ही भाषा में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ जो आज संपूर्ण भारत में भी बोला जाता है ! कश्मीर के पंडितों की भाषा में का यह बदलाव बीजेपी तथा संघ का प्रचार और इन दोनों सिनेमाओ ने जिस तरह से अतिरंजित, भड़काने वाले दृष्य, मसाला लगा कर उकसाने के ही उद्देश्य से ! इन सिनेमाओ का निर्माण किया है ! और इसिलिये प्रधानमंत्री और उनके समस्त मंत्रीमंडल ने इन फिल्मों को प्रमोट करने के लिए ! विशेष रूप से टैक्स फ्री और खुद भी उनके देखने – दिखाने के लिए विशेष कोशिश कर रहे हैं ! इसका एकमात्र कारण है कि, इस तरह एक तरफा और तथ्यों को तोडमरोडकर पेश करने का एकमात्र कारण, संपूर्ण देश में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ, लोगों को और अधिक भड़काने का काम करेंगी ! और कश्मीर के पंडितों के वापसी का रास्ता हमेशा – हमेशा के लिए बंद कर देने से ! जिंदगी भर कश्मीर के पंडितों के आड में मतों का ध्रुवीकरण करते रहना ! वैसे भी 32 सालों से यही करते आ रहे हैं ! क्योंकि इस दौरान बीजेपी को दो बार सत्ता में आने का मौका मिला ! तब कुछ भी नहीं किया ! और अभी आठ साल से आए हैं ! लेकिन कश्मीर फाईल्स जैसे सिनेमा निकाल कर पंडितों को बीजेपी के चुनाव प्रचार में इस्तेमाल करने के काम में लाने के अलावा और कोई काम नहीं है !


कश्मीर की फिजा बहुत ही अलग है ! जहा पर सांप्रदायिकता की बात दूर दूर तक नजर नहीं आती है ! जो कुछ लढाई चल रही है ! वह कश्मीरीयत की है ! जैसे आसाम आन्दोलन की बात है ! आसामीयत की बात है ! पिछ्ले सितंबर में मै 25 दिन आसाम में घूमकर यह लिख रहा हूँ !
जब हम कश्मीर के 370 के जैसा ही उत्तर पूर्व के प्रदेशो में 371,372 जैसे ही विशेष प्रावधान बनाने के बाद ही आज का भारत जिसका पचहत्तर साल के आजादी के जश्न मनाने की चहल-पहल चल रही है ! उसी परिप्रेक्ष में हम कश्मीर के बारे में क्यों नहीं सोचते हैं ? आदिवासियों के लिए पांचवी और छठी अनुसूची बनाकर उन्हें कुछ विशेष प्रावधानों के अंतर्गत कूछ विशेष अधिकार दिए हैं ! बंगाल,आसाम,महाराष्ट्र,गुजरात,कर्नाटक,आंध्र,तमिलनाडु,ओरिसा,पंजाब,राजस्थान के प्रश्न समझ सकते है ! तो क्यो कश्मीर को नहीं समझते ? उसे एक कोढ़ी के जैसा बनाकर रख दिया है ! क्यौंकि 90 प्रतिशत आबादी मुसलमान है इसलिये ?

फिर भारत की मुख्य धारा में लाने के लिए बन्दूक,बख्तरबंद गाडिया,टैंक,और हर एक परिवार पर एक सिक्यूरिटी का जवान वह भी हाथमे एके 47 या 56 लेकर ! हमारी आजादिको आनेवाले 15 अगस्त को 75 साल पूरे हो रहे हैं ! मैने देखा कि आसाम,मणिपुर,नगालैंड,त्रिपुरा,मेघालय,अरुणा चल और सबसे हैरानी की बात मध्य भारत के छत्तीसगढ,झारखंड,ओरिसा के कुछ हिस्से,महाराष्ट्र के गढ़चिरौली,चन्द्रपुर,भण्डारा,गोंदिया,यवतमाल जिले,तेलंगाना के क्षेत्र को मिला कर, मोटा मोटी भारत का एक चौथाई आबादी के लिए, कश्मीर जैसे हालात बने हुए हैं ! कारण भले अलग अलग है ! पर उपाय सुरक्षा बलों की तैनाती यह आजादीके 75 साल की उप्लब्धता है ? शायद ही दुनियाके किसी सिविल एरिया में, इतने बड़े स्तर पर सेना तैनात करने का यह अकेला उदाहरण होगा ! यह सभी प्रदेशोमे कश्मिर जैसे हालतों को मै देखकर यह सब लिख रहा हूँ ! भले कोई नक्सली समस्या है ! और कोई पहचान की तलाश कर रहे हैं ! तो कोई अपने भाषा,संस्कृतिक आक्रमणों की बात कर रहे हैं ! और करे तो क्यो ना करे ! क्योकिं आजादीके बाद सभीको अपने अधिकार अपने सम्मान और सबसे बड़ी बात जीने का अधिकार !
जब तक लोगों के सवालों को ठीकसे समझकर सुलझानेकी कोशिश नहीं कि जाती तब तक यह असंतोष बकरार रहेगा और सुरक्षा बलों की तैनाती यह कोई उपाय नहीं है ! और आजादी के पचहत्तर साल के मायने भी !
डॉ सुरेश खैरनार 5 अगस्त 2022 ,नागपुर

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