kashmirसंपूर्ण सेवा संघ, राजघाट, वाराणसी में 30-31 जुलाई, 2016 को संपन्न दो दिवसीय  सम्पूर्ण क्रांति मित्र-मिलन आयोजन के मौके पर सम्पूर्ण क्रांति के सिपाहियों ने देश की मौजूदा हालत को 1974 से भी अधिक चुनौतीपूर्ण बताते हुए फिर से एक शांतिपूर्ण संघर्ष शुरू करने का निर्णय लिया. सम्मेलन में निर्णय लिया गया कि देश की भावनात्मक एकता को मजबूत करने के लिए सर्व सेवा संघ के तत्वाधान में आगामी 3 सितम्बर से 3 नवम्बर 2016 के दौरान 60 दिवसीय साइकिल यात्रा,  मोहब्बत का पैगाम नाम से और इसी संदेश के साथ असम के कोकराझार से जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर तक आयोजित की जाएगी. यह यात्रा 8 प्रदेशों-असम, पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और जम्मू-कश्मीर से होकर गुजरेगी. हाल ही में गुजरात के उना में दलितों के उत्पीड़न की घटना के अलावा देश के अन्य इलाकों में दलित उत्पीड़न की तमाम घटनाओं के प्रतिवाद में सामाजिक समता सुनश्चित करने के उद्देश्य से गुजरात के साबरमती आश्रम से एक यात्रा शुरू करने का फैसला भी इस सम्मेलन में लिया गया. यह यात्रा 11 अगस्त से शुरू होकर 15 अगस्त को उना के निकट स्थित मोटा समधियाला गांव में संपन्न होगी.

सर्व सेवा संघ और सम्पूणर्र् क्रांति राष्ट्रीय मंच द्वारा आयोजित इस मित्र मिलन में 1974 के सम्पूणर्र् क्रांति आंदोलन में सक्रिय भागीदारी करने वाले 100 से अधिक प्रतिनिधि शामिल हुए. सम्मेलन में पिछले दिनों देश के अलग-अलग इलाकों में दलितों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं के खिलाफ दमन और उत्पीड़न की शर्मनाक घटनाओं में जो बढ़ोत्तरी हुई है, उसकी तीखी भर्तस्ना की गई. यह बात निकल कर सामने आई कि पिछले दो वर्षों में अंध राष्ट्रवाद, गोरक्षा और छद्म देशभक्ति के नाम पर जातीय-साम्प्रदायिक विद्वेष को भड़काने की योजनाबद्ध कोशिशें की गई हैं, जिन्हें मौजूदा केंद्रीय व कई प्रांतीय सत्ता केंद्रों का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष समर्थन हासिल है. इस सम्मेलन में देश की एकता को तोड़ने वाली ऐसी तमाम गतिविधियों और उन्हें संरक्षण देने वाले तत्वों के खिलाफ सक्रिय शांतिमय प्रतिरोध संगठित करने का फैसला किया गया.

सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए वयोवृद्ध 92 वर्षीय गांधीवादी डॉ. रामजी सिंह ने कहा कि भारत की गंगा-जमुनी संस्कृति को बचाने और मजबूत बनाने का प्रभावी अभियान चलाने की जरूरत है. गांधी-विनोबा-जयप्रकाश नारायण के विचारों को अपनाने वाली जमात को इसमें खुद को खपाने की जरूरत है. वक्ताओं ने अपनी यह चिंता साझा की कि देश में अति केंद्रीकरण के जरिए लोकतांत्रिक माहौल को खत्म करने की प्रक्रिया जारी है. यह बात भी उभरकर आई कि जनता के विरोध जताने के लोकतांत्रिक अधिकारों की उपेक्षा करने वाले ऐसे तमाम राजनीतिक दल व समूह खुद को 1974 के सम्पूर्ण क्रांति आंदोलन का भागीदार बताते हैं, जबकि असलियत यह है कि उस आंदोलन का इस्तेमाल उन्होंने सत्ता पाने की सीढ़ी के रूप में किया है.

चौथी दुनिया के प्रधान संपादक संतोष भारतीय और वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी ने मीडिया और खासकर सोशल मीडिया के महत्व को रेखांकित करते हुए जनता के हकों की लड़ाई के अभियान में इन माध्यमों के सार्थक और सुनियोजित उपयोग पर बल दिया. सर्व सेवा संघ के अध्यक्ष महादेव विद्रोही ने अपने समापन वकतव्य में देश के विभिन्न इलाकों से 1974 के सम्पूर्ण क्रांति आंदोलन के साथियों सहित मौजूद प्रतिनिधियों का आह्वान किया कि मौजूदा समय 1974 के दौर से ज्यादा चुनौतीपूर्ण है, जब विकास के नाम पर गरीबों, वचिंतो के हक-हुकूक छीनने और उन्हें हाशिये पर पहुंचाने का काम ज्यादा चालाकी और होशियारी के साथ किया जा रहा है. इसलिए, 1974 वाले जज्बे और समर्पण के साथ शांतिमय जनसंघर्ष के एक नए दौर को शुरू करने की जरूरत है.

गांधी विद्या संस्थान को अवैध क़ब्ज़ेदारों से मुक्त कराओ…

देश के तमाम गांधी और जेपी के अनुयायियों ने बनारस के राजघाट स्थित दि गांधियन इंस्टिट्यूट ऑ़फ स्टडीज (गांधी विद्या संस्थान) पर प्रदर्शन करके संस्था को अनाधिकृत कब्ज़े से मुक्त करके पुनः संचालित करने की मांग की है. प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व 92 वर्षीय प्रो. रामजी सिंह ने किया जो जेपी के निकट सहयोगी थे. देश भर से अहिंसा में विश्वास रखने वाले 100 से अधिक लोग संस्था के मुख्य भवन व अतिथि भवन तक नारे लगाते हुए पहुंचे. विभिन राज्या से यहां पहुंचे लोकनायक के सिपहसालारों ने राजघाट स्थित लोकनायक जयप्रकाश नारायण द्वारा वर्ष 1962 में स्थापित दि गांधियन इंस्टिट्यूट ऑ़फ स्टडीज (गांधी विद्या संस्थान) की दुर्दशा पर गहरी चिंता व्यक्त की. ज्ञात हो कि संस्था पर गत कई वर्षों से अवैध लोगों का कब्ज़ा है जो मुख्य भवन में संस्कृत की पाठशाला चला रहे हैं. संस्था से निष्कासित कर्मचारी इन लोगों से एक लाख रुपये महीना किराया वसूल रहे हैं. गांधी विद्या संस्थान मुक्तइभियान की संयोजिका मुनीज़ा खान ने बताया कि इस मुद्दे पर अगली बैठक व धरना 27 अगस्त को लखनऊ में गांधी प्रतिमा के सामने प्रो. रामजी सिंह के नेतृत्व में किया जाएगा.

सम्पूर्ण क्रांति राष्ट्रीय मंच चलायेगा नया सर्वोदय अभियान

सम्पूर्ण क्रांति राष्ट्रीय मंच ने गांधी, विनोबा भावे और जय प्रकाश नारायण के विचारों के प्रचार प्रसार के लिए आगामी ग्यारह सितंबर से ग्यारह अक्टूबर तक देशव्यापी नया सर्वोदय अभियान चलाने का निर्णय किया है. सर्वोदय आंदोलन के इन तीनों नेताओं के जन्मदिन इस एक माह की अवधि में हैं. यह निर्णय हाल ही में सर्व सेवा संघ के तत्वावधान में वाराणसी में आयोजित सम्पूर्ण क्रांति मंच मित्र मिलन में लिए गए. अपने कार्यक्रमों को गति देने के लिए मंच ने नयी संचालन समिति गठित की है, जिसके संयोजक जयपुर के भवानी शंकर कुसुम हैं. मंच ने बाताया कि एक माह तक चलने वाले इस अभियान में सत्ता के विकेंद्रीकरण, ग्राम स्वराज, स्वरोजगार के लिए खेती, खादी और कुटीर उद्योग, सर्वधर्म समभाव, सामाजिक समरसता, जल, जंगल, जमीन और पर्यावरण की रक्षा, प्रशासन की जवाबदेही, भागीदारी, लोकतंत्र पर बल दिया जायेगा, जिससे न्याय संगत और समता मूलक समाज की स्थापना हो सके.

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