jharkhandबेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ का कागजी नारा देने वाली भाजपा सरकार बेटियों की आबरू बचाने में पूरी तरह से विफल है. एक तरफ हर दिन कहीं न कहीं से दुष्कर्म की घटना सामने आ रही है, वहीं राज्य के मुख्यमंत्री किसी भी अपराधी को नहीं बख्शने का रटा-रटाया बयान दे रहे हैं. पहले मुख्यमंत्री को यह बताना चाहिए कि बुटी मोड़ की छात्रा से दुष्कर्म के बाद की गयी हत्या और ऐसे पूर्व के तमाम मामलों में उनकी सरकार ने कितने अपराधियों को सजा दिलवायी है.

झारखंड में अब बेटियां सुरक्षित नहीं हैं. आए दिन छेड़खानी, अपहरण एवं दुष्कर्म की घटनाओं के कारण लड़कियां भयभीत हैं. हाल के दिनों में दुष्कर्म के बाद जिंदा जला दिए जाने की भयावह घटनाओं ने लोगों को झकझोर कर रख दिया है. बीते कुछ दिनों में ही करीब आधा दर्जन ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें बहसी दरिंदों ने सामूहिक दुष्कर्म के पीड़िता को जिंदा जला दिया, लेकिन इन सबके बावजूद, राज्य सरकार यह दावा कर रही है प्रदेश में विधि-व्यवस्था की हालत में तेजी से सुधार हो रहा है. सूबे में हर दिन तीन से ज्यादा दुष्कर्म के मामले दर्ज हो रहे हैं, यानि हर माह 109 से ज्यादा मामले.

मार्च 2017 से फरवरी 2018 तक के आंकड़ों पर गौर करें, तो 1317 ऐसे मामले सामने आ चुके हैं. अब तो अपराधियों का मनोबल इतना बढ़ गया है कि वे पुलिस से भी नहीं घबराते. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी का कहना है कि दुष्कर्मियों को ऐसा लगता है कि अगर दुष्कर्म के बाद वे युवती को जलाकर मार डालेंगे, तो सारा साक्ष्य नष्ट हो जाएगा और अगर वे पकड़े भी गए, तो गवाह नहीं रहने के कारण छूट जाएंगे. यही कारण है कि ऐसी घटनाओं में तेजी आती जा रही है.

बढ़ रहीं दुष्कर्म के बाद जलाने की घटनाएं

राजधानी में बूटी मोड़ के पास रहने वाली इंजीनियरिंग की छात्रा को अकेले पाकर अपराधियों ने सामूहिक दुष्कर्म किया और फिर जिंदा जलाकर मार डाला. इस घठना के बाद बहुत शोर-शराबा हुआ, विपक्ष ने इस मामले में सरकार को घेरा. लोगों ने कैंडच मार्च निाकला, विरोध-प्रदर्शन हुआ. जांच के लिए दर्जनों टास्क फोर्स का गठन किया गया. राज्य का पूरा खुफिया तंत्र लग गया, पर पुलिस अपराधियों का सुराग तक नहीं लगा सकी. विपक्षी दलों एवं जनता के भारी दबाव के बाद इसकी जांच की जिम्मेदारी सीबीआई को सौंपी तो गई, लेकिन सीबीआई भी अभी हाथ-पैर ही मार रही है. इस घटना के कुछ दिन बाद ही राजधानी के ही पुंदाग मोहल्ले की रहने वाली कॉलेज छात्रा अफसाना का जला हुआ शव लोहरदगा जिले से बरामद हुआ. छात्रा के साथ सामूहिक दुष्कर्म के बाद उसे जिंदा जला दिया गया था. अफसाना 6 अप्रैल 2018 से गायब थी. पुलिस इस घटना के बाद से हर रोज दावा करती है कि दुष्कर्मियों की पहचान कर ली गई है और जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा.

इस मामले में एसआईटी का भी गठन हुआ, पर नतीजा अभी तक सिफर ही है. इसी तरह की एक घटना रांची के ही रातू में हुई. 11 अप्रैल को 12 साल की एक नाबालिग के साथ दुष्कर्म कर उसकी बेरहमी से हत्या कर दी गई. उसका चेहरा बड़ी बेदर्दी से पत्थर से बुरी तरह कुचल दिया गया था. इससे पहले, 23 मार्च को जगन्नाथपुर थाना क्षेत्र में 18 साल की युवती की हत्या सामूहिक दुष्कर्म के बाद कर दी गई थी. सबसे दर्दनाक घटना सूबे के पाकुड़ एवं चतरा में घटी. चतरा के ईटखोरी स्थित कोनी पंचायत में सम्मत रविदास की नाबालिग बेटी अपनी चचेरी बहन की शादी की खुशियां मना रही थी, उसी बीच गांव का ही युवक छुन्नु भुईयां ने दो बाईक पर सवार अपने चार साथियों के साथ आया और लड़की को जबरन बाईक पर बिठाकर जंगल की ओर ले गया. फिर बारी-बारी से सभी ने उसके साथ दुष्कर्म किया.

इस घटना के बाद, गांव में पंचायत बैठी और पंचायत ने दुष्कर्म के मामले में मुख्य आरोपी छुन्नु भुईयां पर 50 हजार रुपए का दंड लगाया. इस अर्थदंड से आक्रोषित छुन्नु भुईयां अपने साथियों के साथ पीड़िता के घर गया, वे खिड़की तोड़कर घर में घुसे और सबके सामने ही लड़की पर केरोसीन छिड़ककर उसे जिंदा जला दिया. इस घटना को लेकर गांव में भारी आक्रोश को देखते हुए पुलिस ने घटना में शामिल दोनों बाईक तो जब्त कर लिया, पर अपराधी अभी भी पुलिस की पकड़ से दूर हैं. अतिरिक्त पुलिस महानिदेषक आरके मल्लिक का कहना है कि ‘चतरा के एसपी अखिलेश बरियार खुद गांव में कैम्प कर रहे हैं और पुलिस मुख्यालय से भी आरक्षी महानिरीक्षक शंभु ठाकुर को ईटखोरी भेजा गया है. सीआईडी और फॉरेंसिक टीम भी पहुंच गई है.

आरोपियों की पहचान कर ली गई है और उनकी गिरफ्तारी के लिए सघन छापेमारी जारी है, जल्द ही सभी को गिरफ्तार कर लिया जाएगा.’ चतरा वाले मामले को लोग भूले भी नहीं थे कि पाकुड़ में भी दुष्कर्म के बाद युवती को जलाकर मारने की एक घटना सामने आ गई. युवती अपने मामा के घर रहकर पढ़ाई कर रही थी. एक सुबह करीब 10 बजे उसका पड़ोसी बच्चन मंडल घर में घुसा और उसके साथ जबरन दुष्कर्म किया. जब नाबालिग लड़की ने कहा कि वह सभी को बता देगी, तो आरोपी उसे खींचकर बाथरुम में ले गया और केरोसिन छिड़कर आग लगा दिया. युवती 95 प्रतिशत तक जल गई थी और अस्पताल ले जाने के दौरान ही उसकी मौत हो गई. इस मामले के आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है.

बदतर विधि-व्यवस्था

अब इतनी घटनाओं के बाद भी क्या हमें अन्य उपलब्धियों पर गर्व करने का नैतिक अधिकार है? अदालतों में बेशुमार पीड़ित इंसाफ के इंतजार में हैं. कई मामलों में तो पुलिस अपराधियों तक पहुंच भी नहीं पाती है. सुरक्षा और जांच के लिए जवाबदेह पुलिस या तो लापरवाह है या फिर अपराधियों के बचाव में खड़ी दिखती है. आलम यह है कि वकील से लेकर मंत्री विधायक और नेता पीड़िता के पक्ष में खड़े होने के बजाय बलात्कारियों का साथ देने लगे हैं.

इस तरह की घटना में पुलिस अपराधियों तक पहुंचने में पूरी तरह से विफल रही है और इसके रोकथाम को लेकर भी कोई गंभीर और ठोस पहल नहीं हो रही है. पहले इस तरह की घटनाओं से निबटने के लिए टास्क फोर्स काम करती थी, अब बड़ी वारदात के बाद एसआईटी का गठन तो किया जाता है, पर इसमें भी कोई दम-खम नहीं है. ऐसी वीभत्स घटनाओं के बाद भी राज्य सरकार यह दावा करती है कि प्रदेश में विधि-व्यवस्था की स्थिति बेहतर है और महिलाओं को पूरी सुरक्षा दी जा रही है. लेकिन हकीकत इससे उलट है. पुलिस सूत्रों की मानें, तो केवल राजधानी रांची में ही 40 महिला शक्ति कमांडो, 30 पीसीआर और 40 टाईगर मोबाईल तैनात हैं. लेकिन फिर भी ऐसे दुष्कर्मियों के हौसले बुलंद हैं.

ऐसे कई मामलों में तो आरोपी पीड़िता के आस-पास का ही होता है. राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, दुष्कर्म के 95 फीसदी मामलों में आरोपी पीड़िता का परिचित होता है. आंकड़े बताते हैं कि इन परिचितों में 27 प्रतिशत पड़ोसी भी शामिल थे, जबकि 22 प्रतिशत मामलों में शादी का वादा करने के बाद आरोपी ने दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया, वहीं नौ प्रतिशत दुष्कर्म के मामलों में परिवार के सदस्य और रिश्तेदार शामिल थे. दुष्कर्म की कुल घटनाओं में दो प्रतिशत लिव इन पार्टनर या पूर्व पति, जबकि 1.6 प्रतिशत घटनाओं में नियोक्ता या सहकर्मी एवं 33 प्रतिशत अन्य परिचित या सहयोगियों द्वारा अंजाम दिए गए थे.

विपक्ष के निशाने पर सरकार

मुख्यमंत्री रघुवर दास ने दुष्कर्म के इन बढ़ते मामलों पर कहा कि ये घटनाएं समाज के लिए चिंता का विषय हैं. दुष्कर्म के मामले में कोई भी हो, सरकार केवल आरोपी को गिरफ्तार करने तक सीमित नहीं रहेगी, स्पीडी ट्रायल कराकर सजा भी दिलवाएगी और ऐसे मामलों में किसी को बख्शा नहीं जाएगा. इधर, मुख्यमंत्री के दावों से इतर विपक्ष ऐसे मामलों को लेकर सरकार पर हमलावर है. पूर्व मंत्री सह झारखंड राजद की प्रदेश अध्यक्ष अन्नपूर्णा देवी का कहना है कि राज्य में मासूम बच्चियों के साथ जिस तरह हैवानियत का नंगा नाच हो रहा है, वह मन को विचलित कर देने वाला है.

उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि संवेदना को किनारे कर मासूम बच्चियों के साथ न्याय किया जाय. जबतक ऐसे लोगों के खिलाफ कठोर कार्रवाई नहीं होगी, इस तरह की घटनाएं होती रहेंगी. उन्होंने कहा कि जिस तरह से चतरा और पाकुड़ में बच्चियों के साथ बलात्कार कर उन्हें जिंदा जला दिया गया, वह हृदयविदारक है. चतरा के मामले में वहां के मुखिया और पुलिस का जैसा व्यवहार रहा, वह पूरी तरह से निंदनीय है. जिस तरह से चतरा की घटना के बाद पंचायत ने दुष्कर्मियों को 50 हजार का दंड और 100 बार उठक-बैठक करने की सजा दी, वह लोकतांत्रिक व्यवस्था पर तमाचा है.

क्या एक पिता के लिए उसकी बेटी की अस्मत की कीमत 50 हजार रुपए है. वहीं झाविमो भी इस मामले में सरकार को घेर रहा है. झाविमो के केंद्रीय प्रवक्ता योगेंद्र प्रताप सिंह ने कहा है कि झारखंड में एक के बाद एक लगातार हो रहे दुष्कर्म से पूरा प्रदेश शर्मसार है. बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ का कागजी नारा देने वाली भाजपा सरकार बेटियों की आबरू बचाने में पूरी तरह से विफल है. एक तरफ हर दिन कहीं न कहीं से दुष्कर्म की घटना सामने आ रही है, वहीं राज्य के मुख्यमंत्री किसी भी अपराधी को नहीं बख्शने का रटा-रटाया बयान दे रहे हैं. पहले मुख्यमंत्री को यह बताना चाहिए कि बुटी मोड़ की छात्रा से दुष्कर्म के बाद की गयी हत्या और ऐसे पूर्व के तमाम मामलों में उनकी सरकार ने कितने अपराधियों को सजा दिलवायी है.

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