gate_d50आज कल चोरी और लूट बढ़ते अपराधों को देखते हुए गांव हो या शहर हर जगह लोग अपने घरों की सुरक्षा के लिए तमाम इंतजाम करते हैं. वहीं उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद जिले में एक ऐसा गांव है, जहा के लोग अपने घरों में दरवाजे नहीं लगाते हैं. वहां के लोगों का कहना है कि गांव के बाहर काली मां का मांदिर है और मंदिर में विराजमान काली मां उनके घरों की रक्षा करती हैं. जिले के सिंगीपुर गांव के सभी लोग अपने घरों में दरावाजा नहीं लगाते हैं. यह सभी घरों में देखा जा सकता है. पक्के मकान हो, कच्चे मकान हों या झोपड़े हर तरह के इस गांव तकरीबन 150 घर हैं. ग्रामीणो कहना है कि यह जानकारी बाकी लोगों को चौंकाने वाली हो सकती है, लेकिन हमारे लिए ये एक परंपरा बन चुकी है. हम दशकों से बिना दरवाजों के घरों में रह रहे हैं. इलाहाबाद शहर से करीब 40 किलोमीटर दूर सिंगीपुर गांव की आबादी लगभग 500 है. गांव में लोअर मिडिल क्लास और गरीब तबके के लोग रहते हैं, जो फेरी लगाने, छोटी-मोटी दुकानें चलाने और मजदूरी करके परिवार चलाते हैं. गांव में दलितों, जनजातियों और पिछड़ा वर्ग के लोगों की संख्या ज्यादा है. कोरांव थाना प्रभारी सुरेश कुमार सैनी ने कहते हैं कि मुझे नहीं लगता कि कोई दूसरा इस तरह का गांव होगा, जहां लोग घरों में दरवाजे नहीं लगाते हों. वे कहते हैं कि जब मुझे पहली बार इस गांव के बारे में पता चला तो मैं चकित रह गया. सैनी ने कहा कि उन्होंने गांव के किसी भी घर में पूरी तरह से लगे दरवाजे नहीं देखे. हां, कुछ घरों में ये देखा कि वे खस (घास) के पर्देनुमा चटाई लटकाए थे, ताकि घर के अंदर बाहर से न झांका जा सके. उन्होंने कहा कि गांव में पिछले कई सालों से चोरी की कोई घटना नहीं हुई है. ग्रामीणों का विश्‍वास है कि मां काली उनके घरों की रक्षा करती हैं और जो भी उनके घरों में चोरी का प्रयास करेगा, मां उसे दंड देंगी. ग्रामीण बड़े लाल निषाद बसंत लाल का कहना है कि गांव के बाहर बने मंदिर में विराजमान मां काली पर हमें पूरा भरोसा है, इसीलिए हम अपने घरों की चिंता नहीं करते. निषाद के अनुसार उनके बुजुर्ग कहा कहते थे कि जिन लोगों ने इस गांव में चोरी की, उनकी या तो मौत हो गई या वे गंभीर बीमारियों से ग्रस्त हो गए.
 
असली मालिक का फैसला करेगी गाय
lyoncharacterआज तक हम देखते आए हैं कि विवादों पर फैसला या तो कोर्ट में होता है या पंचायतों में. यह जानककर शायद आप चकित रह जाएं कि एक गाय अपने मालिक का फैसला करेगी. मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले में एक गाय को अपने मालिक फैसला करने का अधिकार दिया गया है. यहां दो लोगों के बीच एक गाय असली मालिक कौन है इसे लेकर विवाद था. इस विवाद को सुलझाने के लिए पुलिस ने यह समझौता कराया. यह विवाद कोतवाली तक जा पहुंचा था. प्रभुदेवा नाम के एक व्यक्ति कहना था कि उसकी गाय जंगल में चरने गई थी और चेतन नाम का एक आदमी अपने मवेशियों के साथ उसकी गाय को अपने घर ले गए. वहीं चेतन गाय का मालिक स्वयं होने का दावा कर रहा है. यह विवाद पिछले कई दिनों से चला आ रहा था, आखिर में यह मामला रविवार को कोतवाली जा पहुंचा. दोनों पक्ष कोतवाली पहुंचे और गाय पर अपना-अपना दावा पेश करने लगे. दोनों के बीच पुलिस ने समझौता कराया, जिसपर वे राजी हो गए. इस समझौते में तय हुआ कि गाय को 15 दिन तक प्रभुदेवा अपने घर पर रखकर उसकी देखभाल करेंगे और गाय को 16वें दिन दोनों दावेदारों के घर से समान दूरी पर जंगल में छोड़ दिया जाएगा. गाय जिसके भी घर पर पहुंचेगी वही उसका असली मालिक होगा. दोनों पक्षों के बीच समझौता कराने में अहम भूमिका निभाने वाले सहायक उपनिरीक्षक के.एल.प्रजापति का कहना है कि यह मामला उनके लिए भी अनोखा है. दोनों पक्ष इस बात के लिए राजी हो गए हैं कि गाय जिसके घर जाएगी वही मालिक होगा. अच्छी बात यह रही कि बगैर किसी विवाद के यह समझौता हो गया.
 
तकिया चार्ज करेगा मोबाइल और लैपटॉप
power-pillowआप को जानकर हैरानी होगी कि अब आप अपना मोबाइल और लौपटॉप तकिया से चार्ज कर सकते हैं. कनाडा के दो डिजाइनरों मिलकर ऐसा तकिया बनाया है, जिससे मोबाइल और लैपटॉप को चार्ज कर सकते हैं. यह तकिया पावर पिलो के नाम से जाना जाता है. तकिया लोगों के सोफे या बिस्तर पर रखा रहता है. यह साधारण तकिए जैसा ही दिखता है और कई प्रकार के डिजाइनों में उपलब्ध है. इसमें इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को चार्ज करने के लिए इसमें यूएसबी के अलावा लिथियम-पॉलिमर बैट्री लगी होती है. यूजर्स की मदद के लिए  इस तकिए के सात राशप तैयार किए गए हैं. इससे मोबाइल या लैपटॉप चार्ज करने में लोगों को सुविधा होगी. इस तकिए के प्रयोग का एक अन्य लाभ यह होगा कि लोगों को महत्वपूर्ण फोन फोन या ईमेल का इंतजार करते समय चार्ज करने के लिए मोबाइल या लैपटॉप को किसी अन्य कमरे में नहीं छोड़ना होगा.

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