नगरीय प्रशासन विभाग के एक अव्यवहारिक फैसले ने प्रदेश भर के नगरीय निकायों में असंतोष के हालात बना दिए हैं। राजस्व वसूली के लिए पदस्थ किए गए निरीक्षकों और उप निरीक्षकों को सीएमओ की कुर्सी थमाने के बाद अब राजस्व की कमी का रोना रोने वाले विभाग के सामने नई समस्या खड़ी हो सकती है। नाराजगी का आलम यह है कि इस फैसले को लेकर प्रदेशभर के निकायों से पोस्टकार्ड अभियान चल पड़ा है, जिसमें इस फैसले को बदलने की मांग की जा रही है।

जानकारी के मुताबिक नगरीय प्रशासन विभाग ने ताजा फैसले में प्रदेशभर के करीब 50 नगर पालिकाओं के सीएमओ बदल दिए हैं। फैसले के दौरान इस बात का ख्याल भी नहीं रखा गया है कि जिन निरीक्षकों और उप निरीक्षकों को सीएमओ के पद पर नियुक्त किया जा रहा है, उनकी शैक्षणिक योग्यता आठवीं या दसवीं से ज्यादा नहीं है। इससे हटकर इनकी नियुक्ति मुख्य रूप से राजस्व वसूली के लिए की गई है, नई पदास्थपना का असर इन निकायों की राजस्व वसूली पर भी पड़ने वाला है।

बदला नहीं जा सकता कैडर
नगरीय निकाय विभाग के तीन मुख्य कैडर हैं, जिनमें कार्यपालिक, राजस्व और जनकार्य से जुड़ी जिम्मेदारियां होती हैं। तीनों कैडरों के लिए अलग-अलग शैक्षणिक योग्यताओं और अलग-अलग जिम्मेदारियां होती हैं। ऐसे में किसी एक कैडर में पदस्थ किए गए किसी व्यक्ति को दूसरे कैडर में स्थानांतरित नहीं यिा जा सकता। गौरतलब है कि नगरीय निकाय पालिका/परिषद सेवा अधिनियम-1973 के मुताबिक सीएमओ के पद पर भर्ती पीएससी परीक्षा के माध्यम से किए जाने का प्रावधान है। साथ ही विभागीय परीक्षा के माध्यम से की जाने वाली पदोन्नति में भी कम से कम स्रातक परीक्षा उत्तीर्ण होने की बाध्यता लगाई गई है। ऐसे में 23 सितंबर को नियमों से बाहर जाकर की गई पदोन्नितयां चर्चा का विषय बनी हुई हैं।

होगी वसूली प्रभावित
हमेशा कम वसूली और राजस्व की कमी का रोना रोने वाले नगर पालिकाओं में अचानक हुए इस बदलाव ने यहां की राजस्व वसूली को प्रभावित कर दिया है। बताया जा रहा है कि बदली जिम्मेदारियों के बाद वसूली का काम निचले कर्मचारियों पर आ गया है, जिसके चलते यहां की वसूली का टॉरगेट 25 फीसदी से भी कम पर सिमट गया है। कम वसूली का सीधा असर इन नगर पालिकाओं के विकास और मूलभूत सुविधाओं के मुहैया कराने पर पड़ने वाला है।
चला पोस्टर अभियान, फैसला बदलने की मांग ,नगरीय प्रशासन विभाग से जुड़े कर्मचारी संगठनों ने इस फैसले को लेकर मुख्यालय के विमुख खड़ा कर दिया है। सभी प्रभावित नगर पालिकाओं से इस फैसले के खिलाफ पोस्टर अभियान चल पड़ा है। विभाग को लिखी जा रही इन चिट्ठियों में मांग की जा रही है कि इस गैर तार्किक फैसले को तत्काल बदला जाए। आंदोलन की यह धीमी शुरूआत आगे चलकर किसी बड़े आंदोलन की शक्ल भी ले सकती है।

खान अशु

भोपाल

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