भोपाल (हरेकृष्ण दुबोलिया) कोलार स्थित सर्वधर्म कॉलोनी निवासी (दामखेड़ा ए-सेक्टर) निवासी ओमप्रकाश राजपूत की 17 वर्षीय बेटी बीते 3 माह से गायब है। पूरा परिवार उसकी तलाश के लिए थाने से लेकर मुख्यमंत्री निवास तक कई चक्कर काट चुका है, लेकिन नतीजा अब तक सिफर है। यह कहानी अकेले राजपूत परिवार की नहीं है, बल्कि प्रदेश के हर शहर में हर साल औसतन 300 परिवार ऐसी घटनाओं का शिकार हो रहे हैं। भोपाल से 2018 में 386 नाबालिग लड़कियां गायब हुई थीं। 2019 में जनवरी से जून तक 256 नाबालिग लड़कियां गायब हुईं।

बीते 7 साल में किसी एक साल और छह माह में गायब होने वाली लड़कियों की यह संख्या सर्वाधिक है। यह बेचैन कर देने वाला खुलासा 2012 से 2019 (जून माह तक) के हर जिले से गायब हुए बच्चों के आंकड़ों के विश्लेषण में हुआ है। पुलिस मुख्यालय के अपराध अनुसंधान विभाग से उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में सबसे ज्यादा नाबालिग लड़कियां शहरी इलाकों से गायब हो रही हैं। इंदौर, भोपाल, जबलपुर और ग्वालियर समेत रीवा, सागर, सतना और उज्जैन जैसे शहरों में भी हर साल गायब होने वाली नाबालिग लड़कियों की संख्या बढ़ रही है।

ग्रामीण आबादी वाले जिलों में लड़कियों के गायब होने की संख्या या तो कम हो रही है या स्थिर है। 2018 में इंदौर से 593 लड़कियां गायब हुईं। वहीं 2019 में जनवरी से जून तक 349 लड़कियां गायब हुईं, जो किसी एक साल में व छह माह में प्रदेश के किसी भी जिले से गायब होने वाली लड़कियों की सर्वाधिक संख्या है।

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