मेरे अजिज दोस्त और गुजरात आॅल इंडिया सेक्युलर फोरम के वरिष्ठ साथी प्रोफेसर जूझर बंदुकवाला के 29 जनवरी 2022 के दिन हमारे बीच नहीं रहने पर भावपूर्ण श्रद्धांजली !

साथियों शनिवार 29 जनवरी 2022 के दिन प्रोफेसर जूझर बंदुकवाला वडोदरा के महाराजा सयाजिराव विश्वविद्यालय के न्यूक्लियर फिजिक्स के शिक्षक अब इस दुनिया में नहीं रहे ! सबसे अहम बात वह वडोदरा शहर के मेरे अच्छे मित्रों में से एक थे ! ऑल इंडिया सेक्युलर फोरम की शुरुआत करने वाली टीम के सदस्यों में से एक थे !
बायालाॅजिकल अ‍ॅक्सीडेंट से दाऊदी बोहरा समाज में जन्मे ! लेकिन जीवन के अंतिम क्षणों तक रिफार्मिस्ट(सुधारवादी) होने के कारण ! दाऊदी बोहरा समाज के धार्मिक नेता सैयदना के फतवे के कारण ! उन्हें अजगर अलि एंजीनियर के जैसे ही तथाकथित सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ा !

और सबसे हैरानी की बात 27 फरवरी 2002 को भारत के इतिहास के सबसे बदनाम, और राज्य पुरस्कृत दंगे में ! अपने घर, गाड़ी को अपने आखो के सामने राख होते हुए देखा है ! बड़ी मुश्किल से उन्हें पडोसीयोने अपने घर में छुपाने के कारण वह बच गए थे ! अन्यथा बीस साल पहले ही गुजरात के हजारों लोगों के साथ उन्हें भी, एहसान जाफरी की तरह जलाकर मार डाला होता !

लेकिन उनके घर पर हमला करने के एक दिन पहले ही विश्व हिंदु परिषद के लोगों ने उन्हें सावरकर के पुण्यस्मरण दिवस के 26 फरवरी के वडोदरा के कार्यक्रम में एक वक्ता के रूप में भाषण देने के लिए बुलाया था ! और दुसरे ही दिन ! उनके घर पर का हमला 27 फरवरी 2002 तारीख को सुबह गोधरा कांड के बाद गुजरात में फैलाएं गए दंगे की भेंट चढते हुए देखना पड़ा था !

इसके बाद ही उन्होंने कीसी अंग्रेज़ी अखबार में कहा था कि ! वैसे भी मै अमेरिका में मेरा विषय पर बहुत महत्वपूर्ण कार्य कर रहा था ! लेकिन मेरे अपने देश और जन्मभूमि की युनिवर्सिटीने मुझे सम्मान के साथ बुलवा भेजा ! और बार – बार आग्रह कर रही है ! तो मैंने अमेरिका से वडोदरा के महाराजा सयाजिराव विश्वविद्यालय के न्यूक्लियर फिजिक्स के विभाग में काम करने की शुरूआत की !

और दाऊदी बोहरा समाज में पैदा होने के बावजूद धर्मगुरु की तानाशाही के खिलाफ चल रहे आंदोलन में शामिल था ! क्योंकि हर बोहरा को जन्म से लेकर मृत्यु तक धर्मगुरु को कुछ न कुछ पैसे देने की शर्त पर, और बिजनेस वाले लोगों को अपने मुनाफा कमाने के बाद कुछ हिस्सा ! भी धर्मगुरु को देने की परंपरा के खिलाफ चल रहे आंदोलन में, शामिल होने के कारण मुझे काफी समय पहले ही ! एक्सकम्युनिकेट (सामाजिक बहिष्कार) करके रखा था !

और ऑल इंडिया सेक्युलर फोरम तथा जयप्रकाश नारायण द्वारा स्थापित पीयूसीएल के गुजरात चॅप्टर के प्रमुख रहे हैं ! लेकिन अपने घर पर हुए हमले के कारण उन्होंने निर्णय लिया था ! कि अब मैं भारत छोड़कर वापस अमेरिका जाता हूँ !
तो यह सब पढ़ने के तुरंत बाद आल इंडिया सेक्युलर फोरम की मुंबई की बैठक में शामिल होने के लिए, मै जैसे ही बैठक की जगह पहुचा ! तो सामने ही लंबे चौड़ा देहधारी जुझरभाई खड़े है ! तो मैंने उन्हें गले लगाते हुए कहा “कि जुझरभाई आप आगे भले कभी अमेरिका जाइए लेकिन अभी मत जाइए नरेंद्र मोदी की यह और एक जीत होगी ! मुझे वडोदरा के आपके घर के हमले से आप कैसे बचे ? लेकिन इस समय किसी भी हाल में आप को अमेरिका नही जाना चाहिए !”
और यह सुनकर उन्होंने मुझे गले लगाते हुए वह फुटफुटकर रो पड़े और मै भी ! अजगर अली इंजीनियर यह नजारा आँखों में आसुओं के साथ देखते हुए जुझरभाई को बोले कि सुरेशभाई सही कह रहे हैं !

अपने घर नही होने के बाद ! वह वडोदरा के महाराजा सयाजिराव विश्वविद्यालय के प्रोफेसर कालोनी में रहने के लिए गए ! लेकिन चंद दिनों के भीतर उस बिल्डिंग से एक – एक क्वार्टर खाली होना शुरू हुआ ! और क्वार्टर छोड़कर जाने वाले फेलो प्रफेसर कहने लगे कि हमारे अपने घर बन गया है ! लगभग उस पूरी इमारत में अकेले जुझरभाई रह गए !
आज से अठ्ठाईस दिन के बाद ! गुजरात की इस स्थिति को बनाने के बीस साल पूरे हो रहे हैं ! जुझरभाई, मुकुल सिन्हा, दिगंत ओझा, चुन्नीभाई वैद्द , नारायण देसाई जैसे गुजरात के कांशसकिपर एक – एक करते हुए आज इस दुनिया से विदा हो गए !

कल महात्मा गाँधी की 74 वी पुण्य तिथि थी ! और यह साल हमारे देश की आजादी का पचहत्तर साल मनाने जा रहा है ! लेकिन सांप्रदायिक शक्तियों ने इस देश की आबोहवा कितनी बिगाडकर रखी है ? और सबसे हैरानी की बात इस परिस्थिति पर लिखने – बोलने वाले लोगों को नरेंद्र मोदी मेरे सबसे बडे प्रचारक बोलते हैं ! मतलब संसदीय जनतंत्र में वर्तमान समय के प्रधानमंत्री कीस मट्टी के बने है ?
जिन्हें जुझरभाई और हमारे जैसे सेक्युलर लोग अपने प्रचार – प्रसार के लिये उपयोगी लगते है ! तो भारत के आजादी के बाद हमारे देश की बहुआयामी संस्कृति को मिटाने वाले ! और एकरंगी (तथाकथित हिंदुत्ववादी!) सावरकर – गोलवलकर के सपनों को साकार करने के लिए कोशिश कर रहे हैं ! और ऐसे फासीस्ट निजाम को बदलना यही जुझरभाई के लिए सही श्रद्धांजली होगी !

डॉ सुरेश खैरनार,

संयोजक ऑल इंडिया सेक्युलर फोरम,

31 जनवरी 2022, नागपुर

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