पांच महीने से रुकी हुई थी भोपाल रियासत की तनख्वाह

करीब पांच माह से रुका हुआ ईमाम मुअज्जिन का वेतन उनके बैंक खातों में पहुंचना शुरू हो गया है। पिछले सप्ताह अल्पसंख्यक कल्याण विभाग द्वारा जारी की गई राशि के बाद शुक्रवार को भोपाल जिले के करीब २६० ईमाम मुअज्जिन का वेतन उनके बैंक खातों में पहुंचा दिया गया है।

मसजिद कमेटी के प्रभारी सचिव यासिर अराफात ने बताया कि कई महीनों से अपने वेतन के लिए परेशान ईमाम मुअज्जिन साहेबान को राहत मिल गई है। शुक्रवार को बैंक खातों में पहुंचाई गई राशि के मुताबिक प्रत्येक ईमाम के खाते में २५ हज़ार और इमाम हजरात के खाते में साढ़े २२ हज़ार रुपए की राशि जमा करवाई गई है।

अराफात ने बताया कि इस प्रक्रिया के अगले चरण में रायसेन और सीहोर जिलों के ईमाम मुअज्जिन का रुका हुआ वेतन भी जल्दी ही उनके बैंक खातों में पहुंचा दिया जाएगा। गौरतलब है कि कांग्रेस के अल्प शासन काल में ईमाम मुअज्जिन की तनख्वाह के लिए बैंक खातों की अनिवार्यता लागू की गई थी। जिसके बाद भाजपा सरकार आने के बाद भी इसी वेंडर सिस्टम को जारी रखने की बात कही गई।

कुछ तकनीकी दिक्कतों के चलते ये प्रक्रिया पूरी नहीं हो पा रही थी, जिसके चलते करीब पांच माह तक ईमाम मुअज्जिन को वेतन नहीं मिल पाया था। इसी व्यवस्था के चलते शहर काजी, मुफ्ती और मसजिद कमेटी के ओहदेदारों और कर्मचारियों का वेतन भी अटका हुआ था। मामले की जानकारी अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री रामखेलावन पटेल को दी गई तो उन्होंने मामले को गंभीरता से लिया और ईमाम मुअज्जिन की तनख्वाह जारी करवाने में महती भूमिका निभाई।

कलेक्टर रेट से मिले तनख्वाह

मसजिद कमेटी के प्रभारी सचिव यासिर अराफात ने बताया कि आने वाले बजट के लिए नया प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। जिसमें शासन से मांग की गई है कि अन्य प्रदेशों की तरह मप्र के ईमाम मुअज्जिन को भी कलेक्टर रेट पर तनख्वाह दी जाए, ताकि वे अपने परिवार का पालन पोषण आसानी से कर सकें। उन्होंने उम्मीद जताई है कि सरकार इस मामले में उचित कदम उठाकर धार्मिक विद्वानों और उलेमाओं की समस्याओं को दूर करने के लिए उचित कदम उठाएगी। गौरतलब है कि दिल्ली, चंडीगढ़ हरियाणा आदि प्रदेशों में ईमाम मुअज्जिन को वेतन सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के मुताबिक दिया जा रहा है।

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