IAS

  • योगी ने की सीबीआई से जांच कराने की सिफारिश
  • कर्नाटक का बड़ा घोटाला खोलने की थी तैयारी
  • डिलीट पाए गए ई-मेल संदेश और कॉल डिटेल्स
  • यूपी कैडर के बैच-मेट अफसर की संदिग्ध भूमिका

कर्नाटक कैडर के आईएएस अफसर अनुराग तिवारी की लखनऊ में पिछले दिनों हुई संदेहास्पद मौत पूरे प्रदेश में चर्चा के केंद्र में है. अनुराग के परिजनों का भी कहना है कि अनुराग की सुनियोजित तरीके से हत्या की गई है. उत्तर प्रदेश के बहराइच के रहने वाले अनुराग तिवारी की लाश पिछले दिनों लखनऊ के मीरा बाई मार्ग स्थित राजकीय अतिथि गृह के सामने सड़क पर पाई गई थी, उसी दिन आईएएस अफसर का जन्मदिन भी था. बहराइच के रहने वाले सामान्य मध्यवर्गीय परिवार के लिए अनुराग का आईएएस बनना पूरे क्षेत्र के लिए गौरव का विषय था, लेकिन उनका इस तरह मारा जाना प्रदेश के लोगों के लिए आज क्षोभ और नाराजगी का विषय बना हुआ है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले की सीबीआई से जांच कराने की औपचारिक अनुशंसा कर दी है. सीबीआई से जांच कराने की मुख्यमंत्री की सिफारिश ने प्रथम द्रष्टया यह बता दिया है कि आईएएस अफसर अनुराग तिवारी की मौत हत्या है और इसके पीछे बहुत सुनियोजित साजिश है. लखनऊ विकास प्राधिकरण में तैनात आईएएस प्रभु नारायण सिंह संदेह के घेरे में हैं. उनसे पूछताछ भी हुई है, लेकिन जो पूछताछ हुई है, वह काफी लचर है, पूछताछ की केवल औपचारिकता निभाई गई है.

आईएएस अफसर अनुराग तिवारी के परिजन अनुराग के बैच-मेट रहे एलडीए वीसी प्रभु नारायण सिंह का पूरा सहयोग चाहते हैं ताकि मौत के रहस्य से पर्दा उठ सके. कर्नाटक कैडर के आईएएस अफसर अनुराग तिवारी और यूपी कैडर के आईएएस अफसर प्रभु नारायण सिंह, दोनों ही मीराबाई मार्ग के राजकीय अतिथि गृह में रुके हुए थे.

अनुराग के भाई मयंक तिवारी ने आधिकारिक तौर पर कहा कि उनके पास कई महत्वपूर्ण तथ्य हैं जो वे सीबीआई के सामने रखेंगे. मयंक बोले कि आईएएस अफसर प्रभु नारायण सिंह उनके भाई के बहुत निकट थे और उनका परिवार उन पर भरोसा करता था. अब हम चाहते हैं कि सिंह सामने आकर पूरी बात बताएं और इस मामले में अपनी सारी जानकारी परिवार को दें.

अनुराग तिवारी की मां सुशीला तिवारी, भाई मयंक तिवारी और भाभी सुधा तिवारी 22 मई को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिले और मामले की सीबीआई से जांच कराने का अनुरोध किया. मुख्यमंत्री ने पहले उन्हें एफआईआर कराने की सलाह दी. एफआईआर के साथ लखनऊ के एसएसपी दीपक कुमार ने सीबीआई से जांच कराने सम्बन्धी अपना मंतव्य भी संलग्न कर दिया. एफआईआर दर्ज हो जाने के बाद मुख्यमंत्री ने मामले की सीबीआई से जांच कराने की औपचारिक सिफारिश केंद्र सरकार को भेज दी. गृह विभाग के प्रमुख सचिव अरविंद कुमार और प्रदेश के पुलिस महानिदेशक सुलखान सिंह ने इसकी आधिकारिक पुष्टि की.

अनुराग तिवारी के भाई मयंक तिवारी की तहरीर पर हजरतगंज कोतवाली में हत्या का केस दर्ज कर लिया गया. गृह विभाग के प्रमुख सचिव अरविंद कुमार ने कहा कि जरूरी कार्रवाई शीघ्र पूरी कर मामले की जांच सीबीआई को ट्रांसफर कर दी जाएगी. अनुराग तिवारी के भाई मयंक तिवारी की तहरीर पर दर्ज एफआईआर के मुताबिक 17 मई की अल्ल सुबह सड़क पर उनकी लाश का पाया जाना पूरी तरह संदेहास्पद है, क्योंकि अनुराग सुबह नौ बजे के पहले कभी उठते ही नहीं थे. अनुराग की ईमानदारी उनके लिए हमेशा संकट का सबब बनती रही.

10 वर्ष में उनका आठ बार तबादला हुआ. अनुराग ने अपने भाई को बताया था कि वे कर्नाटक का एक बड़ा घोटाला खोलने पर काम कर रहे हैं. उन पर दबाव बनाया जा रहा है कि वे घोटाले की जांच दबा दें. अनुराग ने यह भी कहा था कि कुछ लोग उन पर कुछ कागजों पर हस्ताक्षर करने के लिए भी दबाव बना रहे हैं. दो महीने पहले अनुराग ने कहा था कि उनकी जान को खतरा है. इन तथ्यों के बाहर आने से यह स्पष्ट हो रहा है कि आईएएस अफसर अनुराग तिवारी सुनियोजित षडयंत्र का शिकार हुए.

मामले की पहले से जांच कर रही एसआईटी की भूमिका भी संदेह से परे नहीं है. एसआईटी ने एलडीए के वीसी प्रभु नारायण सिंह का बयान दर्ज किया, लेकिन दर्ज बयान को लचर और आधा-अधूरा बताया जा रहा है. फिर से बताते चलें कि मीराबाई मार्ग स्थित स्टेट गेस्ट हाउस में आईएएस अनुराग तिवारी अपने बैच-मेट प्रभु नारायण सिंह के साथ एक ही कमरे में रुके हुए थे.

17 मई की सुबह उनका शव संदिग्ध हालात में गेस्ट हाउस के सामने सड़क पर मिला था. परिवार के लोग पहले दिन से ही अनुराग की हत्या की आशंका जता रहे हैं. संदेहास्पद यह भी है कि एसआईटी ने अनुराग के शव का पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टरों के पैनल से कोई पूछताछ नहीं की.

जबकि डॉक्टरों के पैनल का बयान इस मामले में काफी अहम है. इसके अलावा एसआईटी ने पीड़ित परिजनों से भी बातचीत नहीं की. एसआईटी ने गेस्ट हाउस के कर्मचारियों से पूछताछ की और यह जानने की कोशिश की कि कमरा नम्बर-19 में फीकी चाय किसके लिए जाती थी, लेकिन यह जानने की कोशिश नहीं की कि कमरे में ढेर सारे सिगरेट के बड क्यों जमा थे. कमरे से सिगरेट के इतने बड मिले, जिन्हें कोई चेन-स्मोकर भी एक रात में पी नहीं सकता. अनुराग गेस्ट हाउस से कब बाहर निकले और उस समय ड्यूटी पर मौजूद कर्मचारी ने क्या देखा.

अनुराग तिवारी की संदेहास्पद मौत के तार कितने लंबे और गहरे हैं कि प्रदेश की फॉरेंसिक साइंस लैबोरेट्री की जांच को भी संदेह में लिपटा पाया गया और अचानक एफएसएल से जांच वापस ले ली गई. सरकार ने यह तय किया कि स्टेट एफएसएल से जांच नहीं कराई जाएगी. लखनऊ के एसएसपी दीपक कुमार ने कहा कि आईएमएस बीएचयू, एम्स और सेंट्रल फॉरेंसिक लैब को इस जांच में शामिल किया जाएगा.

ऐसा पहली बार हुआ कि किसी मामले की जांच स्टेट एफएसएल से वापस ले ली गई. संदेहास्पद तथ्य यह है कि अनुराग के शव के पोस्टमॉर्टम के लिए चार डॉक्टरों का पैनल होने के बावजूद स्टेट एफएसएल का एक अधिकारी पोस्टमॉर्टम कक्ष में हाजिर था और डॉक्टरों को निर्देश दे रहा था. वह अधिकारी कौन था, उसकी पहचान हो चुकी है और वह जांच के रडार पर है.

अनुराग के परिजनों ने भी कहा था कि वे स्टेट एफएसएल के निदेशक की देख-रेख में अनुराग की मौत की जांच नहीं चाहते. अनुराग के परिजनों ने ऐसा क्यों कहा था, इसके भी सूत्र तलाशे जा रहे हैं. अनुराग के बड़े भाई मयंक का कहना है कि अनुराग ने उनको फोन करके उन्हें और परिवार के लोगों को सतर्क रहने के लिए कहा था. अनुराग ने यह आशंका जाहिर की थी कि सबके मोबाइल सर्विलांस पर हैं और उनकी बातें कहीं से सुनी जा रही हैं. अनुराग की मां सुशीला तिवारी ने कहा कि अनुराग ने उनसे नौकरी छोड़ने की बात कही थी. अनुराग के परिजनों ने पुलिस को कुछ वॉट्‌सऐप संदेश और एसएमएस भी दिखाए, जो धमकियों के रूप में कहीं से भेजे गए थे.

हजरतगंज के आर्यन होटल का सीसीटीवी फुटेज भी सामने आया है जिसमें अनुराग तिवारी और लखनऊ एलडीए के वीसी प्रभु नारायण सिंह साथ-साथ दिख रहे हैं. जिस गेस्ट हाउस में अनुराग रुके थे, वहां का कमरा भी सिंह के नाम पर ही बुक था. विचित्र बात यह है कि इन सारी जानकारियों के बावजूद लखनऊ पुलिस ने एलडीए वीसी से गहराई से कोई पूछताछ नहीं की. अनुराग के भाई मयंक तिवारी जोर देकर कहते हैं कि उनके भाई की हत्या करवाई गई. मयंक का कहना है कि अनुराग तिवारी की फोन कॉल हिस्ट्री भी गायब है.

अनुराग को उनकी मां व घर के अन्य सदस्यों ने फोन करके जन्मदिन की अग्रिम बधाई दी थी, लेकिन ये कॉल्स फोन की कॉल-हिस्ट्री से गायब हैं. अनुराग तिवारी हमेशा अपने मोबाइल में पैटर्न-लॉक लगा कर रखते थे. लेकिन जब मोबाइल बरामद हुआ तो वह अनलॉक पाया गया. अनुराग हमेशा अपना मोबाइल अपने साथ ही रखते थे, जबकि पुलिस को उनका फोन गेस्ट हाउस के कमरे से मिला. अनुराग तिवारी ने घर के सदस्यों के सामने ही कर्नाटक के चीफ सेक्रेटरी को ई-मेल भेजा था. यह मेल सेंट आइटम से डिलीट है. अनुराग तिवारी का वेतन स्टेट बैंक ऑफ मैसूर के अकाउंट में जाता था.

अनुराग के भाई कहते हैं कि अनुराग का डेबिट कार्ड उसके पर्स में ही रहता था, वह भी गायब है. मयंक तिवारी का कहना है कि अनुराग के मोबाइल पर दुबई से फोन आया था. कॉल रिसीव नहीं हुई थी. मयंक कहते हैं कि अनुराग उनसे कोई बात नहीं छुपाता था. अनुराग का कोई दोस्त या परिचित दुबई में नहीं रहता है. लिहाजा, दुबई से आने वाले फोन की जांच होनी चाहिए.

अनुराग के भाई ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात के दौरान भी कहा कि अनुराग किसी बड़े घोटाले की जांच कर रहे थे और उन पर किसी कागज पर साइन करने का दबाव बनाया जा रहा था. इसी वजह से उनकी हत्या कर दी गई. लखनऊ पुलिस की जांच पर सवाल उठाते हुए मयंक तिवारी ने मुख्यमंत्री को जानकारी दी कि संदेहास्पद मामला होने के बावजूद पुलिस ने गेस्टहाउस का कमरा सील नहीं किया. अनुराग के मोबाइल फोन की तमाम जानकारियां व ई-मेल डिलीट कर दिए गए हैं.

आईएएस-माफिया ने कराई अनुराग की हत्या

कर्नाटक के पूर्व आईएएस अधिकारी एमएन विजय कुमार ने खुल कर कहा है कि कर्नाटक के आईएएस-माफियाओं ने कर्नाटक कैडर के आईएएस अधिकारी अनुराग तिवारी की लखनऊ में हत्या करा दी. विजय कुमार ने कहा कि कर्नाटक में घोटाले का खुलासा करना बहुत ही जोखिम का काम है. घोटाला पकड़ने की वजह से ही कई वरिष्ठ अधिकारी अनुराग से नाराज थे, इनमें कर्नाटक के मुख्य सचिव एससी कुंठिया भी बराबर के शरीक हैं. कर्नाटक के रिटायर्ड आईएएस अधिकारी विजय कुमार ने बंगलूरू में बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर सीधे तौर पर कर्नाटक सरकार और वहां की शीर्ष नौकरशाही को कठघरे में खड़ा कर दिया.

विजय कुमार ने साफ-साफ कहा कि कर्नाटक में घोटाला उजागर करने वाले आईएएस अधिकारियों की मौत हो जाती है. अनुराग तिवारी की मौत भी इसी की कड़ी है. विजय कुमार ने बताया कि अनुराग तिवारी खाद्य एवं रसद विभाग का 2000 करोड़ रुपए का घोटाला उजागर करने जा रहे थे. अनुराग ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को इस बारे में जानकारी दी थी, इसीलिए सीनियर आईएएस अनुराग से खफा थे. मामला दबाने के लिए उन्हें मोटी रकम देने की पेशकश भी की गई थी.

इन्कार करने पर उन्हें धमकियां मिल रही थीं. ट्रेनिंग पर जाने से दो दिन पहले उन्होंने घोटालों से जुड़े दस्तावेज कर्नाटक सरकार को सौंपे थे, लेकिन शासन ने इस पर कोई सुनवाई नहीं की. विजय कुमार ने कहा कि उन्होंने अनुराग और कर्नाटक सरकार से जुड़े कई अहम दस्तावेज उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव, डीजीपी और आईजी समेत कई अन्य अधिकारियों को भेजे हैं, लेकिन इस बारे में यूपी की शीर्ष नौकरशाही भी चुप्पी साधे बैठी है.

किसने पी इतनी ढेर सारी सिगरेट!

लखनऊ के मीराबाई मार्ग स्थित गेस्ट हाउस के रूम नम्बर-19 से सिगरेट के ढेर सारे बड्स बरामद किए गए. सिगरेट में कहीं ड्रग्स या कोई जहरीला पदार्थ तो नहीं मिलाया गया था? यह सवाल अभी अधूरा ही है. कोई चेन-स्मोकर भी इतनी अधिक मात्रा में सिगरेट नहीं पी सकता, कहीं उस रात कमरे में एक से अधिक लोग तो नहीं थे? गेस्ट हाउस के कर्मचारियों से पूछताछ हुई तो सबने एक सुर में जवाब दिया कि उन्होंने साहब को बाहर जाते नहीं देखा. स्पष्ट है कि यह रटा-रटाया जवाब था. अनुराग की लाश का सड़क पर पाया जाना ही एक सुर के जवाब की पोल खोलता है. मंगलवार 16 मई की रात 10 बजे से बुधवार सुबह 6 बजे तक मीराबाई मार्ग स्थित स्टेट गेस्ट हाउस के कनिष्ठ सहायक जितेंद्र वर्मा और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी कृष्णा चतुर्वेदी ड्यूटी पर थे.

ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा से समाज की तस्वीर बदलना चाहते थे

कर्नाटक कैडर के आईएएस अफसर अनुराग तिवारी में ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा से समाज की तस्वीर बदलने की चाहत थी. अनुराग जिस जगह तैनात रहते थे, वहां के लोगों के काफी चहेते रहते थे. जानकार बताते हैं कि अनुराग ने सूखे से जूझते बिदार जिले की तस्वीर बदल दी थी.  कर्नाटक के बिदार जिले के लोग वर्ष 2015-16 को कभी नहीं भूल सकते. उस साल बिदार में भयंकर सूखा पड़ा था. उस समय अनुराग तिवारी बिदार में ही तैनात थे.

बिदार के लोग कहते हैं कि अनुराग तिवारी के योगदान को कोई कभी भूल नहीं सकता. अनुराग ने महज 18 महीने के अथक प्रयास से बिदार के लोगों को सूखे से राहत दिला दी थी. ‘बेटर इंडिया’ की रिपोर्ट भी इस बात की तस्दीक करती है कि सदियों पुराने भूमिगत जलसेतु बावी-सुरंग के पुनरुत्थान के अलावा अनुराग ने 130 से ज्यादा तालाबों और 110 से ज्यादा खुले कुओं की सफाई कराई जिससे ज़िले के लोगों को पानी की कमी की समस्या से न जूझना होना पड़े. बिदार के लिए यह काम नए जीवन की तरह था.

फिर बारिश हुई तो सारे तालाब और कुएं पानी से भर गए. लंबे समय तक के लिए बिदार के लोगों को पानी की भयंकर किल्लत से मुक्ति मिल गई. मध्यकालीन युग का एक ऐतिहासिक कुआं ‘जहाज की बावड़ी’ लगभग पूरा सूख चुका था और इसमें लोग कूड़ा डालने लगे थे. अनुराग ने 80 फीट गहरे इस कुएं से कूड़ा निकलवाकर उसे साफ कराया.

इसी का नतीजा है कि 500 साल पुराना कुआं अब इतना साफ है कि लोग इसका पानी पीने और घर के बाकी काम के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं. अनुराग तिवारी ने राज्य सरकार की योजना ‘केरे संजीवनी’ के माध्यम से भी कई टैंकों को साफ करवाया. जिले में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कर्नाटक कैडर के अधिकारी अनुराग तिवारी ने हैदराबाद-कर्नाटक क्षेत्र में एक टूरिस्ट सर्किट बनवाया और बिदार का किला देखने के लिए आने वाले पर्यटकों के लिए ऑडियो विजुअल गाइड्स की व्यवस्था भी की थी.

बिदार जिले के स्थानीय निकायों और मजिस्ट्रेट कोर्ट को पूरी तरह से कम्प्यूटरीकृत करने का श्रेय भी अनुराग तिवारी को ही जाता है. कर्नाटक के लोग अनुराग तिवारी को ‘जलपुरुष’ कहते हैं. आम लोग कहते हैं कि ऐसे ईमानदार और कर्तव्यपरायण अधिकारी को सिस्टम सहन नहीं करता और उसे रास्ते से हटा देता है. अनुराग के साथ भी ऐसा ही हुआ.

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