कब्रस्तान भूमि विवाद में नया अध्याय, वक्फ ट्रिब्यूनल में लगी अर्जी

राजधानी के कबाड़खाना स्थित कब्रस्तान की जमीन को लेकर एक दिन पहले उठे विवाद में सोमवार को नया ट्विस्ट आ गया है। इस मामले को लेकर अदालती कार्यवाही से जुड़े मोहम्मद सुलेमान की तरफ से एडवोकेट रफी जुबैरी ने वक्फ ट्रिब्यूनल में याचिका दायर की है। अर्जेंट हियेरिंग को लेकर लगाई गई यह याचिका अदालत ने स्वीकार करते हुए 21 जनवरी को इस पर सुनवाई के लिए समय दिया है।

सोमवार को वक्फ ट्रिब्यूनल पहुंचे मोहम्मद सुलेमान और एडवोकेट रफी ने याचिका में कहा है कि रविवार को प्रशासन द्वारा की गई कार्यवाही उचित नहीं है। इस मामले को लेकर वक्फ ट्रिब्यूनल और हाईकोर्ट में मामले लंबित हैं, जिसके चलते एकतरफा कार्यवाही किया जाना मुनासिब नहीं है। उन्होंने इस बात पर भी एतराज उठाया है कि अदालत के जिस आदेश को लेकर यह कार्यवाही की गई है, उसकी प्रतिलिपि उन्हें नहीं सौंपी गई है। उन्होंने वक्फ ट्रिब्यूनल से इस आदेश की बारीकियों और दिए गए प्रावधानों का अध्ययन करने की मांग भी की है।

मुजाविरों ने कर दिया सौदा

जानकारी के मुताबिक खसरा नंबर 268 की करीब 6.51 एकड़ जमीन सुल्तान जहां बेगम ने सन् 1926 में कुंजीलाल को हिबा (दान) की थी। इसी जमीन के एक 2.88 एकड़ जमीन पर कब्रस्तान मौजूद है। जिसपर कल्ले पीर सानी की दरगाह भी मौजूद है। जमीन के इस हिस्से को बाग कुंजीलाल के नाम से भी जाना जाता है। दरगाह की देखभाल करने वाले फैयाज अली ने वर्ष 1964 में इस विवादित जमीन का सौदा किया था। इस जमीन के दस्तावेज में भू-स्वामी के नाम के आगे फैयाज का नाम दर्ज था, इसके चलते उसने यह सौदा कर दिया। विवादित 37 हजार स्केयर फीट जमीन के अलावा बाकी की 2.88 एकड़ का जमीन भी उसने ही किया है।

वक्फ रिकार्ड में आई 10 साल बाद

सूत्रों का कहना है कि कबाड़खाना की विवादित जमीन का सौदा सन् 1964 में हो चुका था। जबकि इसका वक्फ में रजिस्ट्रेशन वर्ष 1974 में कराया गया है। बताया जाता है कि कब्रस्तान जमीन करार देते हुए इस जमीन को लेकर वर्ष 2001 में विवाद शुरू हुआ। इस दौरान बिगड़े हालात के चलते करीब 60-65 लोगों के खिलाफ कार्यवाही भी की गई थी। इसके बाद से यह मामला अदालत पहुंचा और तभी से इसके स्वामित्व को लेकर विवाद चल रहा है। बताया जाता है कि इस दौरान अदालत ने विवादित जमीन पर रिसीवर नियुक्त कर दिया था, जो व्यवस्था अब तक जारी थी।

6.51 एकड़ बिक गई, विवाद महज आधे एकड़ पर

जानकारी के मुताबिक जमीन बिक जाने के करीब दस साल बाद वक्फ रिकार्ड में दर्ज हुई इस जमीन का करीब 6.51 एकड़ क्षेत्र इसके निगराह और संरक्षकों ने सौदा कर दिया। धीरे-धीरे यहां आबादी बसती गई और कबस्तान की जमीन एक घनी आबादी में तब्दील हो गई। इस पर बसने वाले अधिकांश लोग मुस्लिम धर्म से ताल्लुक रखते हैं।

लेकिन महज आधे एकड़ जैसी जगह पर विवाद के हालात उस समय बने, जब इसका सौदा किसी दूसरे धर्म के व्यक्ति को कर दिए जाने की बातें सामने आई । विवाद उस समय अधिक गहराने लगा, जब लोगों को इस बात की जानकारी मिली कि यह जमीन खरीदने वाले व्यक्ति ने इसको राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को दान कर दी है और यहां पर संघ का एक कार्यालय निर्मित किया जाना है। हालांकि संघ से जुड़े जिम्मेदारों ने इस बात को स्पष्ट कर दिया है कि उनका इस जमीन पर किसी तरह का अधिकार नहीं है और उनका यहां कोई निर्माण करने का इरादा नहीं है।

हालात होने लगे सामान्य
रविवार को कर्फ्यू के साए में रहे पुराने भोपाल के तीन थाना क्षेत्र रविवार की रात को इससे मुक्त कर दिए गए थे। देर रात कलेक्टर ने इसके आदेश जारी कर इन क्षेत्रों में महज धारा 144 लागू रहने की बात कही थी। इसके साथ ही जिन बाकी 8 थाना क्षेत्रों में धारा 144 लागू की गई थी, उस आदेश को भी शिथिल कर दिया गया है। बावजूद इसके कबाड़खाना के आसपास के अधिकांश क्षेत्र सोमवार को भी बंद दिखाई दिए।

किसी तरह की अप्रिय घटना से निपटने के लिए प्रशासन ने विवादित स्थान के आसपास पूरी तरह बैरिकेटिंग कर रखी है। बड़ी तादाद में मौजूद पुलिसकर्मियों ने इस इलाके को घेर रखा है और सतत निगरानी रखी जा रही है। इधर पुलिस और प्रशासन के आला अफसरों की मौजूदगी में यहां बाउंड्री वॉल का निर्माण तेजी से किया जा रहा है। एसडीएम जमील खान ने बताया कि रविवार से लेकर सोमवार शाम तक किसी तरह के विवाद के कोई हालात नजर नहीं आए हैं। सोमवार देर रात या मंगलवार दोपहर तक बाउंड्री वॉल का काम पूरा होने के बाद पुलिस की निगरानी हटा दी जाएगी और क्षेत्र में लागू धारा 144 की स्थिति भी समाप्त कर दी जाएगी।

खान अशु

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