घास कटवा लो घास!! सफाई करा लो सफाई!!
भाई सहाब!! घास कटवा लो, बहुत दिनों से कुछ ठीक से खाया नहीं है। जैसा आप कहोगे वैसी सफाई भी कर दूँगा।
अरे! रुको। कितना लोगे?

सहाब जो ठीक लगे, दे देना। बताओ किधर है?
अरे! पहले दाम तय कर लो। मुझे बाद में खिच खिच पसंद नहीं।
ठीक है साहब 500 रुपये दे देना।

बहुत, ज्यादा हैं, 500 बहुत होते हैं, 400 ले लेना। थोड़ी सफाई तो करनी है।
सहाब, बहुत दोनों से ठीक से कुछ खाया नहीं, काम भी ज्यादा है…
नहीं, बस होगया तय. तुम काम खत्म करो. 400 में तय ठीक है.

ठीक है, सहाब. धूप बहुत है थोड़ा पानी पिला देते?
अरे! वो लॉन का पाइप खोल लो, पानी के लिए।

गला सूख गया था, सारा शरीर पसीने से तर हो रहा था।  उसके एक साथ प्यास भी बुझाई और चेहरा भी गीला कर लिया।
आह! अब सहाब का गार्डन साफ कर दु। इस लॉक डाउन में लगता है, ठीक से सफ़ाई हुयी नहीं।

सहाब! ओ साहब! मेम सहाब!! कोई है?
एक छोटा बच्चा बाहर आया।
पापा सो रहे हैं। काम हो गया?
जी, बेटा जी। एक बार पापा को बता दो। कहीं कोई कमी न रह गयी हो।
जी दादा। अभी आया। पापा ! पापा!! चिल्ला कर वो अंदर चला गया।
थोड़ी देर में ऊपर बाल्कनी से अवाज आयी- क्या हुआ? हो गया? सब ठीक से कर दिया? पुराने पत्ते फेंक दिए। गमले की सफ़ाई कर दी? पौधों के नीचे

गुढआयी कर दी? बेले फैल गयी थी ठीक कर दिया?…

अरे साहब,  सभी कुछ कर दिया है, आप को कोई शिकायत नहीं होगी
ठीक है,  पैसे भेज रहा हूं।
छोटा बच्चा फिर दौड़ते हुए आया और 300 रुपये दादा के हाथ में रख दिया।
अरे! बेटा कहीं पैसे गिरा तो नहीं दिए? ये तो 300 ही हैं।
वन, टू, थ्री…थ्री नोट ही दिए थे पापा ने। ये कहकर बच्चा फिर दौड़ कर अंदर भाग गया।
एक हाथ को अपने सिर पर फिराते और दूसरी हाथ में तीन सौ के नोट पकड़ कर वह, वही खड़ा रह गया।
लौटते हुए फिर से गार्डन के पाइप को खोल कर पानी अपने चेहरे पर जोर से चलाया।
इसबार पानी उसके पसीने को नहीं उसके आंसुओं को धो रहा था. ..

सब कुछ तय था फिर ऐसा क्यों?
काम तो जैसा तय था उससे अच्छा हुआ, फिर ऐसा क्यों?

आज भारत में ऐसी हालत, हर कामगार का है।
चाहे computer graphics वाला हो, designer हो, architect हो, चित्रकार हो, सफ़ाई वाला हो, कोई भी मेहनत मजदूरी करता हो।

जब तक हम दूसरे के काम की कदर नहीं करेंगे तो अपनी भी कोई कदर नहीं करेगा।

लेखक
 
जी वेंकटेश (27 July 2021)
लेखक, 1973 में भोपाल में जन्मे,  और 1997 से, भारत में, एक वास्तुविद एवं नगर निवेशक हैं। वह एक शिक्षाविद, समाज सेवी, कलाकार एवं दार्शनिक भी हैं।

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