abu-bakr-baghdadi-jsw-12आईएसआईएस या इस्लामिक स्टेट के सरगना और स्वयंभू खलीफा अबूबक्र अल-बगदादी, जिसके सिर पर अमेरिका ने 1 करोड़ डॉलर का इनाम रखा है, की मौत की खबर एक बार फिर दुनिया भर के समाचार माध्यमों की सुर्ख़ियों में है. इस बार इस खबर का श्रोत रेडियो ईरान है. रेडियो ईरान के वेबसाइट पर यह खबर दो इराकी समाचार एजेंसीयों अल-गद प्रेस और अल-यौम अल-समेन और मोसुल में एक इराकी अधिकारी के हवाले से प्रकाशित की गई है. इस रिपोर्ट में यह कहा गया कि इजराइल के कब्जे वाले गोलान हाइट के किसी अस्पताल में अल-बगदादी का इलाज हो रहा था. उसका इलाज कर रहे इजराइली सर्जन ने उसे मृत घोषित कर दिया है. हालांकि इस रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया है कि वह कब मरा, लेकिन यह ज़रूर कहा गया है कि इस संगठन ने अब्दुल रहमान अल शिज्लर उ़र्फ अबू अल-अ़फ्री को अपना नया मुखिया चुन लिया है. बगदादी की मौत की पिछली सभी अफवाहों की तरह इस बार भी न तो इराकी सरकार ने और न ही आईएसआईएस ने या किसी अन्य तीसरे पक्ष ने इस खबर की पुष्टि की है. पिछले दिनों आईएसआईएस के एक सूत्र के हवाले से यह खबर भी आई कि 18 मार्च को अमेरिका द्वारा किए गए एक हवाई हमले में बगदादी गंभीर रूप से ज़ख़्मी हो गया है. साथ में यह खबर भी आई कि बगदादी का आईएसआईएस के रोजाना की कार्रवाई पर नियंत्रण नहीं है. रेडियो ईरान ने जिन ज़ख्मों की वजह से बगदादी की मौत की खबर चलाई थी, उसी खबर के हवाले से न्यूयॉर्क के अख़बार डेली न्यूज़ ने यह खबर प्रकाशित की कि अब बगदादी अपने ज़ख्मों से उबर आया है. दरअसल, एक बार फिर अटकलों का बाज़ार गर्म है. बहरहाल, बगदादी के गंभीर रूप से ज़ख़्मी होने और संगठन की कार्रवाई पर नियंत्रण नहीं होने की बात को अगर सच मान लिया जाए और उसकी मौत के बाद भी उसके संगठन के क्रियाकलापों में कोई तब्दीली नहीं आई और यह भी सच मान लिया जाए कि आईएसआईएस का ऑपरेशन पहले जैसा ही चल रहा है तो इससे ज़ाहिर होता है कि बगदादी के जिंदा रहने या नहीं रहने से इस संगठन पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा. आईएसआईएस के ऑपरेशन उसी वक़्त बंद हो सकते हैं, जब इसका पूरा तंत्र ख़त्म हो जाए, तो फिर यह सवाल उठना लाज़मी हो जाता है कि बार-बार बगदादी की मौत की खबर सुर्ख़ियों में क्यों आ जाती है? क्या ये ख़बरें किसी रणनीति के तहत फैलाई जाती हैं? एक सवाल यह भी है कि रेडियो ईरान द्वारा चलाई गई खबर में इजराइल का नाम जानबुझ कर नहीं डाला गया?

आईएसआईएस या इस्लामिक स्टेट का नाम दुनिया के सामने आने के बाद से ही यह संगठन एक पहेली बना हुआ है. इसके बारे में यह कहा गया कि यह इराक में अल्पसंख्यक सुन्नियों का संगठन है, जिसमें सद्दाम हुसैन की सेना के जवान शामिल हैं. यह भी कहा गया कि इसे सऊदी अरब द्वारा क्षेत्र में शियायों के बढ़ते हुए असर व रसूख को कम करने के लिए तैयार किया गया है, जबकि बाद में सऊदी एयर फोर्स आईएसआईएस के ठिकानों पर हमले करती नज़र आई. हालांकि यह अलग सवाल है कि सऊदी अरब के हमलों का आईएसआईएस पर कोई नकारात्मक प्रभाव पड़ा या नहीं. आईएसआईएस के खिलाफ हवाई हमलों में जॉर्डन भी शामिल था, जिसका एक लड़ाकू विमान मार गिराया गया और पायलट को जिंदा जला दिया गया. कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो इस संगठन को इजराइली षड़यंत्र का नतीजा करार देता है. रेडियो ईरान की खबर को इसी नजरिये से देखना चाहिए. इन अफवाहों में एक अफवाह यह भी है कि बगदादी के कम से कम चार हमशक्ल हैं, इसलिए उसको मारना आसान नहीं होगा.
बगदादी के ज़ख़्मी होने के बाद उसके इलाज के दो ठीकानों की खबरें हैं. पहली खबर बरतानवी अख़बार द गार्डियन की है, जिसके अनुसार वह मोसुल से 200 मील दूर अल-बाज के मुकाम पर आराम कर रहा है. अखबार के मुताबिक, उसने इस इलाके को इसलिए चुना है, क्योंकि यहां अमेरिकियों की पहुंच बहुत कम है. साथ ही यह सुन्नी बहुल इलाका है, जो सद्दाम हुसैन के शासनकाल में भी सरकरी पहुंच से बाहर था. इसलिए यह इलाका 2004 के बाद जिहादियों के लिए एक महफूज़ पनाहगाह बना हुआ है. रेडियो ईरान के मुताबिक, बगदादी की मौत इजराइल के कब्जे वाले गोलन हाइट के किसी अस्पताल में हुई. दरअसल, यह खबर ईरान के इस दावे से मेल खाती है, जिसमें पिछले साल नवम्बर महीने में ईरान के उपविदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान ने यह आरोप लगाया था कि इजराइल ने न केवल आईएसआईएस को खड़ा किया है, बल्कि इजराइली खुफिया एजेंसी मोसाद अब भी उसकी मदद कर रही है.
दरअसल, इजराइल अरब दुनिया में अत्यधिक अलोकप्रिय देश है. इसलिए ईरान की यह कोशिश है कि आईएसआईएस को इजराइल से जोड़ कर उसे जितना अलोकप्रिय बनाया जा सकता है, बनाया जाए. रेडियो ईरान कि खबर में बगदादी के इजराइली अस्पताल में इलाज को उसी सिलसिले की कड़ी के रूप में देखा जाना चाहिए. दूसरी तरफ यह माना जाता है कि आतंकवादी संगठनों के सरगना की मौत पूरे संगठन पर एक मनोवैज्ञानिक प्रभाव डालती है और ख़ु़िफया एजेंसियां कभी-कभी ऐसे सरगनाओं की खोज के लिए भी इस तरह की अफवाहें फैलाती हैं. जैसे, अलकायदा नेता ओसामा बिन लादेन की मौत की कई बार ख़बरें आईं और हर खबर के बाद उसकी तरफ से कोई न कोई ऑडियो पैगाम आ जाता था. यहां भी शायद इन देशों की खुफिया एजेंसियां अल बगदादी का सुराग खो चुकी हैं. इसलिए हो सकता है कि खुफिया एजेंसियां इस उम्मीद में हों कि अफवाह के बाद उसकी तरफ से कोई बयान आए, जिसके ज़रिये उसकी स्थिति का पता लगाया जा सके.
दरअसल, इसमें कोई शक नहीं कि आईएसआईएस द्वारा ऐसे कायरतापूर्ण कारनामे अंजाम दिए गए हैं, जिसे देख कर इंसानियत शर्मिंदा हो जाए और जिसकी वजह से इस संगठन को दुनिया का सबसे खौफनाक आतंकी संगठन माना गया है. जहां तक इस संगठन के सरगना की मौत की खबर की बात है, तो जब तक इराकी सरकार, अमेरिका या खुद आईएसआईएस की तरफ से इसकी पुष्टि नहीं हो जाती है, तब तक इसे किसी रणनीति का हिस्सा समझा जाना चाहिए या कोरी अफवाह.

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