भोपाल। सुविधाओं की मंशा के साथ सड़कों पर उतारी गईं लाल बसें पुराने भोपाल के यातायात के लिए नासूर बन गई हैं। तंग सड़कों पर बड़े आकार की इन बसों से जाम के हालात बन रहे हैं। जिम्मेदारों की कोशिशों से भी स्थिति में सुधार की उम्मीदें नहीं जाग पा रही हैं।

मिसरोद से भैंसा खेड़ी के बीच लोकल ट्रांसपोर्ट आसान करने के लिए बीसीएलएल द्वारा करीब 225 बसों का संचालन किया जा रहा है। हालांकि कोरोना काल के इन बसों की तादाद में कमी होकर इनकी संख्या करीब 165 के आसपास रह गई है। शहर के विभिन्न मार्गों में पुराने भोपाल के कई रास्ते भी शामिल हैं। जिनसे गुजरकर मंडीदीप, न्यू मार्केट, त्रिलंगा, एमपी नगर, रायसेन रोड आदि क्षेत्रों का सफर होता है।

मुश्किल पुराने भोपाल की
ताजुल मसाजिद से शुरू होकर हमीदिया रोड और कमला पार्क की तरफ जाने वाले रास्तों में कई तंग सड़कें शामिल हैं। जिनसे इन बसों के गुजरने के दौरान अक्सर के हालात बन जाते हैं। बसों का आकार और क्षेत्र में यातायात की अधिकता के चलते ये स्थिति बनती है।

ये हैं जाम के हॉट स्पॉट
ताजुल मसाजिद से होकर तीन मोहरे, शाहजहानाबाद, नादरा बस स्टैंड, अल्पना तिराहा, भारत टाकीज तिराहा, बरखेड़ी फाटक पर। दूसरी तरफ रॉयल मार्केट, इमामी गेट, पीर गेट, मोती मस्जिद के आसपास से भी इन बसों के गुजरने के दौरान यातायात जाम के हालात बनते हैं।

लाल में छोटे वाहनों का घालमेल
बड़ी संख्या में लो फ्लोर बसों के सड़क पर होने के साथ शहर में करीब 9700 मिनी बसें संचालित हो रही हैं। इसके अलावा 2 हजार से ज्यादा ऑटो भी सड़कों पर दौड़ते हैं। साथ ही अब बड़ी तादाद में इलेक्ट्रिक ऑटो भी पुराने शहर की सड़कों पर मौजूद हैं।

अतिक्रमण ने बिगाड़े हालात
हमीदिया रोड, सुल्तानिया रोड़ और कमला पार्क की तरफ जाने वाले मुख्य मार्गों पर अधिकांश स्थानों पर सड़क के दोनों तरफ अतिक्रमण घिरा हुआ है। जिसके कारण यहां आम यातायात का गुजरना ही मुश्किल होता है। ऐसे में बड़े आकार की लो फ्लोर बसों के गुजरने में हालात विकट बन जाते हैं।

इनका कहना
यातायात व्यवस्थित करने के लिए यातायात पुलिस लगातार प्रयास करती है। बसों के समय पालन का ध्यान न रखने के कारण अक्सर चौराहों पर बसों का जमावड़ा हो जाता है। समझाइश देकर इनको व्यवस्थित करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
नागेंद्र पटेरिया
सीएसपी

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