सुप्रीम कोर्ट ने केरल में कथित ‘लव जिहाद’ केस में अपना फैसला दे दिया है. कोर्ट ने हादिया को होम्योपैथी डॉक्टर की अधूरी पढ़ाई पूरी करने के लिए तमिलनाडु के सेलम भेजने का आदेश दिया है. हादिया ने पति के साथ जाने और हॉस्टल में पति को अपना अभिभावक बनाने की मांग की थी. लेकिन कोर्ट ने कहा कि पत्नी कोई जायदाद नहीं है, पति उसका अभिभावक नहीं बन सकता. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने हादिया के पिता अशोकन केएम को 27 नवंबर को उसे कोर्ट में लाने का निर्देश दिया था. जब सुप्रीम कोर्ट ने उससे पूछा कि परिवार में सबसे ज्यादा लगाव किससे था? इस पर हादिया ने कहा कि माता-पिता से, खास कर पिता से.

हादिया के पिता का कहना था कि केरल में साजिश के तहत लड़कियों का धर्म परिवर्तन करवाया जाता है. एनआईए का कहना था कि यह अकेला ऐसा मामला नहीं है. केरल पुलिस ने ऐसे 11 मामले दिए हैं. जांच में साबित हुआ है कि यह कितना गंभीर मामला है. इस मामले में शादी पहले हुई और वेबसाइट पर शादी का ब्योरा बाद में डाला गया. सत्य शालिनी संस्था धर्मपरिवर्तन कराती है, ब्रेन वॉश किया जाता है. हमने कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल की है. जबकि हादिया के पति ने कहा कि यहां मुद्दा धर्म परिवर्तन और शादी का नहीं है. एक बालिग व्यक्ति की इच्छा और आजादी से जुड़ा है.

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