नई दिल्ली : गाड़ियों को चलाने में होने वाले खर्च और देश के ईंधन आयात बिल में कमी लाने की दिशा में भारत में अब एक नई योजना पर विचार चल रहा है. अगर ये योजना सफल रही तो वो दिन दूर नहीं जब भारत की सड़कों पर सिर्फ बिजली से चलने वाली कारें नज़र आएंगी और पेट्रोल-डीज़ल से चलने वाली कारों का नामो-निशान मिट जाएगा.

इस योजना के तहत भारत चाहता है कि 2030 तक उसके यहां सिर्फ इलेक्ट्रिक कारें ही बिकें। बिजली मंत्री पीयूष गोयल ने उद्योग मंडल CII के सालाना सत्र 2017 को संबोधित करते हुए यह जानकारी दी।

गोयल ने कहा, ‘हम बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रिक वाहन पेश करने जा रहे हैं। हमारा मानना है कि है कि 2030 तक देश में एक भी पेट्रोल या डीजल कार नहीं बिकनी चाहिए।’ गोयल के अनुसार शुरू में सरकार दो-तीन साल इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग की मदद कर सकती है ताकि यह स्थिर हो सके। मारुति का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि सरकार ने देश की इस सबसे बड़ी कार कंपनी की शुरू में मदद की जिससे अंतत: देश में विशाल ऑटोमोटिव उद्योग की नींव पड़ी।

मारुति ने इस साल 30 प्रतिशत से अधिक मुनाफा कमाया है। गोयल ने बताया कि भारी उद्योग मंत्रालय व नीति आयोग इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रोत्साहन के लिए एक नीति पर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि इलेक्ट्रिक गाड़ियों को चलाने में कम से कम खर्च हो और वह सस्ते हों, तभी लोग इन्हें खरीदेंगे।

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