पहले लॉक डाउन को लेकर सारंग को देना पड़ी थी सफाई, अब शिवराज घिरे
भोपाल। फील्ड में काम करने वाले, दफ्तरों में सेवाएं देने वाले श्रमजीवी और खबरों की जरूरी खेप पहुंचाने में महति भूमिका निभाने वाले विभिन्न मीडियाकर्मियों का महत्व प्रदेश सरकार ठीक से आंकलन नहीं कर पा रही है। महज अधिमान्य पत्रकारों को मीडिया मानने की गलती प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान द्वारा की गई थी। इससे पहले ऐसा ही एक बयान चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने दिया था, जिसे बाद में उन्हें बदलना पड़ गया था। इस बार मुख्यमंत्री के दिए बयान को लेकर न सिर्फ मीडिया में तीखी बहस जारी हो गई है, बल्कि विपक्षी कांग्रेस ने भी इस मुद्दे को लपक लिया है और बयानबाजी शुरू कर दी है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को ट्वीट के जरिये पत्रकारों को फ्रंटलाइन वर्कर्स में शामिल करने का ऐलान किया है। इस दौरान उन्होंने खासतौर से अधिमान्य पत्रकारों को इस परिधि में शामिल करने की बात कही है। जिसे लेकर पत्रकार बिरादरी में नाराजगी और रोष के हालात पनपने लगे हैं। वजह यह है कि बड़े मीडिया संस्थानों में उसके आकार-प्रकार के लिहाज से अधिमान्यता कोटा निर्धारित होता है। जिसके चलते आमतौर पर वास्तविक पत्रकारों तक कोटे का लाभ पहुंचने से पहले ही इसकी सीमा खत्म हो जाती है। इधर अखबार और न्यूज चैनलों में खबरों के लिए जूझने वालों के अलावा भी ऐसे कर्मचारी बड़ी तादाद में होते हैं, जिनकी मौजूदगी के बिना खबरों की पूर्णता संभव नहीं है। जबकि ऐसे अधिकांश लोगों तक अधिमान्यता की रेवड़ी पहुंच ही नहीं पाती है।

इधर यह भी देखने में आया है कि साप्ताहिक, मासिक या सिर्फ दिखावे के मीडिया संस्थान संचालित करने वालों में भी अधिकांश लोगों को अधिमान्यता हासिल हो जाती है। इनके जनसंपर्क विभाग के ताल्लुकात और विभाग में टेबल के नीचे से चलने वाली कहानी के चलते बड़े मीडिया संस्थानों की बजाए छोटे और मंझले संस्थानों के पत्रकारों तक आसानी से अधिमान्यता पहुंच जाती है। हालांकि यह भी देखने में आता है कि वास्तविक रूप से इनका न तो फील्ड में कोई योगदान होता है और न ही इनमें से अधिकांश को खबर लिखने या दिखाने की कोई महारत ही हासिल होती है।

सारंग भी कर चुके ऐसा ऐलान

इससे पहले कोरोना कफ्र्यू की पाबंदियों के ऐलान के बीच चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने भी इस बात को रेखांकित किया था कि लॉक डाउन के दौरान महज अधिमान्य पत्रकारों को कवरेज करने की छूट दी जाएगी। हालांकि अपने इस ऐलान के कुछ देर बाद ही उन्हें अपने बयान को संशोधित करना पड़ गया था।
शिव के ऐलान पर सियासी जंग

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा सोमवार को किए गए ऐलान को लेकर प्रदेश कांग्रेसाध्यक्ष कमलनाथ ने तत्काल ट्वीट कर इस ऐलान की आलोचना कर डाली है। उनका कहना है कि फील्ड में काम कर रहे कई पत्रकारों के पास अधिमान्यता नहीं है। जबकि यह पत्रकार भी दिनरात जान जोखिम में डालकर काम कर रहे हैं। गौरतलब है कि इससे पहले कमलनाथ ने भी मीडिया को फ्रंट लाइन वर्कर्स में शामिल किए जाने की मांग उठाई थी और मुख्यमंत्री से इसके लिए निवेदन किया था।

नाराजगी सांसद लालवानी को लेकर भी

इधर इंदौर सांसद शंकर लालवानी द्वारा मीडिया को लेकर दिए गए एक बयान ने प्रदेशभर के मीडिया को नाराज कर दिया है। उन्होंने कोरोना संक्रमण फैलने के लिए मीडिया को जिम्मेदार करार देते हुए मीडिया को उनसे दूर रहने की ताकीद कर डाली है। मामले को लेकर इंदौर के पत्रकार संगठन अपनी रणनीति तैयार करने में जुटे हैं। इसका असर राजधानी भोपाल में भी दिखाई दे रहा है। उम्मीद की जा रही है कि लालवानी द्वारा सार्वजनिक तौर से माफी न मांगे जाने तक उन्हें खबरों से बाहर किए जाने की नीति पर प्रदेश मीडिया काम कर सकता है।

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