बहुत दिनो से Pleasure गाड़ी का उपयोग नही होने से, वह पडी पडी खराब होने जैसी स्थिति में पहुंच रही थी।
विचार आया Olx पे बेच दे,Add डाला किमत Rs 30000/-बहुत ऑफर आए 15 से 28 हजार तक। मुझे लगा यदि 28 मिल रहे तो, कोई 29-30 देगा भी।एक का 29 का प्रस्ताव आया। उसे भी waiting में रखा।एक सुबह काल आया, उसने कहा साहब नमस्कार , आपकी गाड़ी का add देखा। पसंद भी आई  है। परंतु 30 जमाने का बहुत प्रयत्न किया, 24 ही इकठ्ठा कर पाया हूँ। बेटा इंजिनियरिंग के अंतिम वर्ष में है। बहुत मेहनत किया है उसने। कभी पैदल, कभी सायकल, कभी बस, कभी किसी के साथ। सोचा अंतिम वर्ष तो वह अपनी गाडी से ही जाये। आप कृपया Pleasure मुझे ही दिजीएगा। नयी गाडी दुगनी किमत से भी ज्यादा है। मेरी हैसियत से बहुत ज्यादा है। थोडा समय दिजीए। मै पैसो का इंतजाम करता हूँ। मोबाइल बेच कर कुछ रुपये मिलेंगें। परंतु हाथ जोड़कर कर निवेदन है साहब, Pleasure मुझे ही दिजीएगा।

मैने औपचारिकता में मात्र Ok बोलकर फोन रख दिया। कुछ विचार मन में आये। वापस काल बैक किया और कहा -आप अपना मोबाइल मत बेचिए, कल सुबह केवल 24 हजार लेकर आईए,गाडी आप ही ले जाईए वह भी मात्र 24 में ही,,मेरे पास 29 का प्रस्ताव होने पर भी 24 में किसी अपरिचित व्यक्ति को मै Pleasure देने जा रहा था। सोचा उस परिवार में आज कितने Pleasure या आनंद का निर्माण हुआ होगा। कल उनके घर Pleasure आएगी। और मुझे ज़्यादा नुकसान भी नहीं हो रहा था।ईश्वर ने बहुत दिया है और सबसे बडा धन समाधान है जो कूट-कूटकर दिया है।

अगली सुबह उसने कम से कम 6-7 बार फोन किया ,साहब कितने बजे आऊ, आपका समय तो नही खराब होगा।पक्का लेने आऊं, बेटे को लेकर या अकेले आऊ। पर साहब Pleasure गाडी किसी को और नही दिजीएगा।वह 2000,500,200,100,50 के नोटों का संग्रह लेकर आया, साथ में बेटा भी था। ऐसा लगा, पता नही कहा कहा से निकाल कर या मांग कर या इकठ्ठा कर यह पैसे लाया है। एकदम आतुरता और कृतज्ञता से Pleasure को देख रहा था। मैने उसे दोनो चाबियां दी, कागज दिये। बेटा गाडी पर विनम्रतापूर्वक हाथ फेर रहा था। रुमाल निकास कर पोछ रहा था।
उसनें पैसे गिनने कहा, मैने कहा आप गिनकर ही लाये है, कोई दिक्कत नहीं।

जब जाने लगे, तो मैने उन्हे 500 का एक नोट वापस करते कहाँ, घर जाते मिठाई लेते जाएगा । सोच यह थी कि कही तेल के पैसे है या नही। और यदि है तो मिठाई और तेल दोनो इसमें आ जायेंगें। आँखों में कृतज्ञता के आंसु लिये उसने हमसे विदा ली और अपनी Pleasure ले गया। जाते समय बहुत ही आतुरता और विनम्रता से झुककर अभिवादन किया। बार बार आभार व्यक्त किया।हम लोग सहज भाव में कहते है it’s my pleasure परंतु आज Pleasure बेचते समय ही पता चला कि वास्तव में Pleasure होता क्या है। जीवन में कुछ व्यवहार करते समय नफा नुकसान नहीं देखना चाहिए।

अपने माध्यम से किसी को क्या सचमें कुछ आनंद प्राप्त हुआ यह देखना भी होता है। करबद्ध निवेदन है कि ईश्वर ने आपको कुछ देने लायक बनाया हो या नही,किसी एक व्यक्ति को सुख देने या खुशी देने लायक तो बनाया ही है।
आज सब्जी वाली किसी बुजुर्ग महिला या पुरुष को अपनी ओर से केवल 5 या 10 रुपये अधिक देकर देखिएगा,
वही Pleasure न आए तो कहना।

संजीव कुमार गुप्ता

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