BOI Gayaनोटबंदी के बाद जहां एक तरफ हर आम और खास व्यक्ति परेशान है, वहीं दूसरी ओर वर्षों से कालाधन के रूप में करोड़ों की राशि जमा करने वाले लोग उसे सफेद करने से बाज नहीं आ रहे. बैंक कर्मियों की मिलीभगत से कालेधन वाले अपने करोड़ों की राशि को विभिन्न बेनामी और नामी खातों के सहारे सफेद करने में सफल भी हो गये हैं.

फर्जीवाड़े का यह रूप भी सामने आया है कि खाता धारक को कोई जानकारी नहीं है और उनके खाते में करोड़ों का ट्रांजेक्शन भी हो गया. ऐसा ही एक मामला सामने आया है, बिहार का मैनचेस्टर कहे जाने वाले गया के मानपुर पटवाटोली में.

जहां एक बड़े वस्त्र कारोबारी द्वारा सरकारी राजस्व को करोड़ों का चूना लगाये जाने का मामला प्रकाश में आया है. आयकर विभाग की टीम ने जब अचानक मानपुर के वस्त्र व्यापारी मोतिलाल पटवा के घर सहित तीन स्थानों पर छापामारी की, तब पता चला कि नोटबंदी के बाद 40 करोड़ रुपये को 36 विभिन्न खातों के सहारे सफेद कराया गया है. गौर करने की बात यह है कि जिन खातों में करोड़ों का कालाधन जमा किया गया, उनकी जानकारी खाता धारकों को भी नहीं थी.

आयकर की छापेमारी में यह भी पता चला कि वर्षों से कारोबार कर रहे मोतिलाल पटवा न तो सेल्स टैक्स दे रहे थे और न ही इनकम टैक्स. मोतिलाल पटवा के द्वारा बेनामी खातों में कालाधन जमा कराने में एंट्री ऑपरेटरों की भूमिका की बात भी सामने आ रही है. मानपूर में मोतिलाल पटवा के 800 से अधिक पावरलूम हैं.

वे बिना एंडवांस टैक्स चुकाए काम कर रहे थे. साथ ही कारोबार के लिए दूसरों के खातों का भी इस्तेमाल किया जा रहा था. मोतिलाल पटवा का कारोबार कोलकाता और झारखंड में भी फैला है. कोलकाता में इनकी गद्दी है, जबकि झारखंड में इन्होंने पहाड़ खरीदकर पत्थर का कारोबार शुरू किया है. मानपुर में इनके 5 मकान हैं. गाड़ियों के शौकीन मोतिलाल के पास तीन एसयूबी है.

आयकर विभाग की टीम ने जब 13 दिसम्बर 2016 को मानपुर पटवाटोली में मोतिलाल के घर छापामारी की, तो उस समय नोटबंदी के बाद 20 करोड़ के कालेधन को सफेद करने का मामला सामने आया. लेकिन जैसे-जैसे जांच बढ़ती गई, वैसे-वैसे उस कालेधन की राशि भी बढ़ती गई, जिसे सफेद करने के तमाम उपाय किए जा रहे थे. इनकम टैक्स विभाग ने बताया कि मोतिलाल पटवा ने अपने कारोबार के लिए बैंक ऑफ इंडिया के जीबी रोड, गया ब्रांच में 36 खाते खुलवा रखे थे. कई खाते उनके ड्राइवर और कई रिक्सा चालकों के नाम पर भी थे. सभी खातों का एकाउंट अपडेटेशन मोतिलाल पटवा खुद करते थे.

कालेधन को सफेद करने के इस बड़े खेल में बैंक ऑफ इंडिया के मैनेजर की भूमिका की भी जांच की जा रही है. आयकर विभाग की टीम इस मामले के सभी पहलूओं की जांच कर रही है. आयकर विभाग के अधिकारी मोतिलाल पटवा द्वारा विभिन्न खातों में जाम किये गये रुपयों की पूरी जानकारी ले रहे हैं. माना जा रहा है कि जांच का दायरा बढ़ेगा तो बेनामी खातों की संख्या भी बढ़ सकती है. आयकर विभाग के निदेशक एके सिन्हा ने बताया कि कालेधन को सफेद बनाने के लिए कई बेनामी व जनधन खातों का इस्तेमाल किया गया है. सबकी जांच की जा रही है.

जांच में बैंक ऑफ इंडिया की इस शाखा में आधा दर्जन फर्जी खातों का भी पता चला है. आयकर विभाग की टीम इन खातों में किये गये लेन-देन में बैंक कर्मियों की संलिप्तता की भी जांच कर रही है. शक के दायरे में आने वाले खाताधारकों से जब आयकर विभाग ने पूछताछ शुरू की, तो सभी ने न्यायालय का शपथ पत्र देते हुए जांच में सहयोग करने और सरकारी गवाह बनने पर सहमती जता दी. बैंक ऑफ इंडिया की इस शाखा में पांच अन्य ऐसे खातों का पता चला है, जिनमें 12 करोड़ रुपये का ट्रांजेक्शन खाताधारक की जानकारी के बिना ही हो गया.

हालांकि यह अब तक पता नहीं चल पाया है कि ये 12 करोड़ रुपये किसके हैं. पुलिस को शक है कि यह बड़ी राशि माओवादियों की हो सकती है. बैंक ऑफ इंडिया की जीबी रोड गया शाखा के ऐसे लगभग 60 खातों को आयकर विभाग ने फ्रीज कर दिया है, जिनमें नोटबंदी के बाद लाखों-करोड़ों के ट्रांजेक्शन हुए हैं. बहरहाल, करोड़ों के कालेधन को सफेद करने का मामला सामने आने के बाद पूरे जिले के बैंककर्मियों और कालाधन को विभिन्न रूपों में सफेद कराने वालों में हड़कंप मचा हुआ है.

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