gandhi-004लोकनायक जयप्रकाश नारायण द्वारा वाराणसी में स्थापित गांधी विद्या संस्थान को अवैध कब्जे से मुक्त करा कर उसे फिर से शुरू करने की मुहिम तेज हो गई है. गांधी और जेपी के देशभर से बनारस आए समर्थकों और चिंतकों ने बनारस के राजघाट स्थित गांधी विद्या संस्थान (दि गांधियन इंस्टिट्यूट ऑ़फ स्टडीज) पर पिछले दिनों प्रदर्शन किया और संस्था को अनधिकृत कब्ज़े से मुक्त करके उसे पुनः संचालित करने की मांग की. प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व प्रख्यात गांधीवादी चिंतक 92 वर्षीय प्रो. रामजी सिंह ने किया. प्रो. रामजी सिंह जेपी के निकटतम सहयोगी रहे हैं.

गांधी और अहिंसा पर विश्र्वास रखने वाले देश भर से आए सैकड़ों लोगों ने संस्था के मुख्य भवन, अतिथि भवन और जेपी की मूर्ति के सामने जयप्रकाश अमर रहे, गांधी विद्या संस्थान को अवैध कब्जेदारों से मुक्त करो, पुस्तकालय हमारी धरोहर है उसे मुक्त करो के नारे लगाए. वक्ताओं ने जेपी की प्रतिमा को साक्षी मानकर संस्था को पुनः उसकी खोई हुई ख्याती वापस दिलाने का संकल्प लिया. लोकनायक जयप्रकाश के विभिन्न राज्यों से आए हुए समर्थकों ने गांधी विद्या संस्थान की दुर्दशा पर गहरी चिंता व्यक्त की. इस मुक्ति अभियान से जुड़े लोगों का कहना है कि संस्था पर गत कई वर्षों से अवैध लोगों का कब्ज़ा है जो मुख्य भवन में संस्कृत की पाठशाला चला रहे हैं. संस्था से निष्कासित एक कर्मचारी इनलोगों से एक लाख रुपए महीना किराया वसूल रहा है. जेपी द्वारा बनाई गई यह संस्था गत कई वर्षों से उन अवैध लोगों के हाथ में है जो गांधी और जयप्रकाश के विचारों के विरोधी हैं.

गांधी विद्या संस्थान मुक्ति अभियान की शुरुआत के मौके पर गांधी विद्या संस्थान के पूर्व निदेशक प्रो. रामजी सिंह, अखिल भारत सर्व सेवा संघ के अध्यक्ष महादेव विद्रोही, सर्व सेवा संघ के राष्ट्रीय प्रवक्ता भवानी शंकर, जेपी आंदोलन से सक्रिय तौर पर जुड़े रहे वरिष्ठ पत्रकार रामदत त्रिपाठी समेत राम धीरज सिंह, शिव विजय सिंह, मुनीज़ा ऱफीक खान, टीआरएन प्रभु, गोरखनाथ यादव, अशोक मोती, अरविन्द अंजुम, विजय भाई, शेख हुसैन प्रमुख रूप से शामिल थे. जेपी आन्दोलन के प्रमुख नेता, पूर्व सांसद और वरिष्ठ पत्रकार संतोष भारतीय ने भी गांधी विद्या संस्थान मुक्ति आन्दोलन के प्रति अपना सम्पूर्ण समर्थन जताया है. गांधी विद्या संस्थान मुक्ति अभियान की संयोजिका मुनीज़ा खान ने यह भी बताया कि गांधी विद्या संस्थान मुक्ति अभियान को और प्रगाढ़ करने के इरादे से मशहूर गांधीवादी प्रो. रामजी सिंह के नेतृत्व में देशभर से आए गांधी-जेपी के समर्थकों ने 27 अगस्त को लखनऊ में गांधी प्रतिमा के समक्ष धरना दिया.

उल्लेखनीय है कि चार-चार विश्वविद्यालयों से सुशोभित सर्व विद्या की राजधानी वाराणसी के काशी में गंगा किनारे राजघाट पर गांधी विद्या संस्थान स्थित है. यहां विश्व के कई देशों के विद्यार्थी गांधी पर शोध करने और उनके जिंदगी के संघर्ष को करीब से पढ़ने और समझने आते हैं. यहां महात्मा गांधी की तस्वीरों का ऐसा संग्रह रखा गया है, जिससे उनके बचपने से लेकर बलिदान तक की कहानी विस्तार से अभिव्यक्त होती है. गांधी विद्या संस्थान का निर्माण लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने वर्ष 1962 में कराया था. साल 1995 में यहां बापू के छाया चित्रों का संग्रह बनाया गया, जिसमें उनके जीवन संघर्ष की कहानी दर्शाई गई है. यहां बापू के बचपन से मृत्यु तक की तस्वीरें मौजूद हैं.

गांधी विद्या संस्थान की प्रो. कुसुम लता केडिया का कहना है कि यहां गांधी जी के मौलिक चित्रों का संग्रह शोध छात्रों और पर्यटकों के लिए रखा गया है. इन दुर्लभ तस्वीरों में गांधी जी के जन्म से लेकर मृत्यु तक का सफर मौजूद है. इसके साथ ही, उनके सत्याग्रह और उस समय की हस्तियों के साथ उनके मुलाकात की भी तस्वीरें गांधी विद्या संस्थान में मौजूद हैं. यहां बापू के बचपन की, विदेश में बैरिस्टर की पढ़ाई के दौरान की, सूट पहने हुए, किसान के वेश में, नमक आंदोलन में नेहरू और पटेल से गुफ्तगू करते हुए, सुभाष चंद्र बोस से मुलाकात की, कुष्ठ रोगियों की सेवा करते हुए और भारत-पाकिस्तान विभाजन के मसले पर जिन्ना से बात करते हुए समय की दुर्लभ तस्वीरें रखी गई हैं. गांधी विद्या संस्थान की देख-रेख पहले केंद्र सरकार और राज्य सरकार की मदद से होती थी, लेकिन 1999 से यहां फंड आना बंद हो गया और दोनों सरकारों के मतभेद की वजह से कई कर्मचारियों ने भी नौकरी छोड़ दी. इसके बाद मामला अदालत में पहुंच गया. अब बहुत मुश्किल से इस शोध संस्थान को चलाया जा रहा है.

गांधी विद्या संस्थान के पुनरुद्धार की मांग करते हुए लोगों ने यह आरोप लगाया कि सरकार ने इस संस्था को भगवान भरोसे छोड़ दिया है. यहां लोक नायक जयप्रकाश नारायण से जुड़े अनेक बहुमूल्य दस्तावेज बर्बाद हो रहे हैं, जिनका कोई खैरख्वाह नहीं है. इस संबंध मे जेपी एसोसिएट्स से जुड़े प्रो. रामजी सिंह, सर्व सेवा संघ के अध्यक्ष महादेव विरोधी और संपूर्ण क्राति राष्ट्रीय मंच से भवानी शंकर कुसुम ने कहा कि लोकनायक जयप्रकाश नारायण की पहल पर सर्वोदय आंदोलन की शीर्ष संस्था सर्व सेवा संघ ने राजघाट पर गांधी विद्या संस्थान की स्थापना की थी. यह 50 साल पुरानी संस्था है. यहीं पर महान अर्थशास्त्री शूमाकर ने अपनी पुस्तक मस्मॉल इज ब्यूटीफुलफ तैयार की थी. वर्ष 2007 में संस्थान के मार्गदर्शक मंडल को भंग कर दिया गया था. आरोप है कि इन नौ साल में यह संस्थान पूरी तरह बर्बाद हो गया. यहां जेपी की हजारों पुस्तकें खराब हो चुकी हैं. इन लोगों ने देशभर के गांधिवादियों और समाजवादियों से अपील की है कि वे इस अभियान का हिस्सा बनें और गांधी विद्या संस्थान को मुक्त कराएं.

गांधी विद्या संस्थान पचास वर्ष पुरानी प्रतिष्ठित स्वायत्तशासी संस्था है. संस्था को जमीन सर्व सेवा संघ ने दी और आर्थिक सहयोग गांधी स्मारक निधि ने दिया था. सन 2007 में तत्कालीन सरकार ने निहित स्वार्थ के दबाव में सोसायटी विघटित कराकर अदालत के जरिए संस्था को उच्च शिक्षा विभाग के अधीन कर दिया. सर्व सेवा संघ के अध्यक्ष महादेव विद्रोही कहते हैं कि सरकार ने इस आदेश की आड़ में एक ऐसा बोर्ड बना दिया, जिसका गांधी विचार में निष्ठा नहीं थी. इन लोगों के संरक्षण में संस्थान में गांधीविरोधी गतिविधियां संचालित होने लगीं. अगस्त 2012 में इस बोर्ड ने त्याग पत्र दे दिया.

वाराणसी के आयुक्त ने भी सरकार के संरक्षण में संस्थान की बर्बादी की रिपोर्ट दी और नया संचालन मंडल गठित करने की सिफारिश की, लेकिन वह सत्ता गलियारे में दबी रह गई. रजिस्ट्रार सोसायटीज ने इस बीच गांधी विरोधियों की एक फर्जी संस्था का पंजीकरण इसी पते पर कर दिया. इस वजह से संस्थान के एक हिस्से पर अनधिकृत लोगों का कब्जा हो गया है, जो खुलेआम अवैध कमाई कर रहे हैं और गांधी विरोधी गतिविधियां चला रहे हैं. पिछले नौ साल में संस्थान सरकार की कैद में बर्बाद हो रहा है.

मंत्री ने कहा, संस्थान की मर्यादा बहाल करेंगे

उत्तर प्रदेश के उच्च शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) शारदा प्रताप शुक्ला का कहना है कि उन्होंने वाराणसी के जिलाधिकारी और आयुक्त दोनों को गांधी विद्या संस्थान के बारे में अद्यतन स्थिति की पड़ताल करने को कहा है. शुक्ला ने कहा कि सरकार इस संस्थान की मर्यादा फिर से बहाल कराएगी. उन्होंने यह भी कहा कि वे खुद और मंत्री रामगोविंद चौधरी संस्थान का हाल देखने जल्दी ही वाराणसी जाएंगे. उच्च शिक्षा राज्य मंत्री ने कहा कि जिलाधिकारी को यह स्पष्ट कह दिया गया है कि गांधी विद्या संस्थान को अवैध कब्जे से मुक्त कराएं. मंत्री ने यह माना कि पुराना संचालक मंडल फर्जी है. उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को नया संचालन मंडल गठित करने का भी निर्देश दे दिया गया है.

गांधी-जेपी समर्थकों की सत्याग्रही मांगें

  1. गांधी विद्या संस्थान सर्वोदय समाज को वापस हो
  2. फर्जी संस्था को संरक्षण देने वालों के खिलाफ कार्रवाई हो
  3. गांधियन इंस्टीट्‌यूट ऑफ स्टडीज यानि गांधी विद्या संस्थान का रजिस्ट्रेशन बहाल कराया जाए. फर्जी संस्था का पंजीकरण रद्द कर दोषी अधिकारियों को दंडित किया जाए.
  1. अंतरिम तौर पर फिलहाल उच्च शिक्षा विभाग सर्व सेवा संघ के परामर्श से संस्था को संचालित कराया जाएरामर्श से संस्था को संचालित कराया जाए.
  2. जेपी की प्रतिमा खुले आसमान से हटाकर यथास्थान वापस लगाई जाए और पुस्तकालय खुलवाया जाए.
  3. अनधिकृत लोगों को परिसर से तत्काल हटाया जाए.
  4. सर्वोदय नेताओं, आंदोलनकारियों और कर्मचारियों पर कायम फर्जी मुकदमे समाप्त किए जाएं.
  5. संस्थान के कर्मचारियों को वेतन, पीएफ और ग्रेच्युइटी का भुगतान किया जाए.

संस्थान की मुक्ति के लिए विधानसभा अध्यक्ष भी आगे आए

वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी की पहल पर अब उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय भी गांधी विद्या संस्थान की मुक्ति के लिए प्रदेश सरकार से आवश्यक कार्रवाई का अनुरोध कर रहे हैं. विधानसभा अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से बनारस में लोकनायक जयप्रकाश नारायण की संस्था गांधी विद्या संस्थान को अवैध कब्जेदारों से मुक्त कराने का अनुरोध किया है. उन्होंने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा है, तथ्यों की जांच कराकर जेपी की संस्था को अवैध कब्जेदारों से मुक्त कराने के लिए उचित निर्देश देने का कष्ट करें. विधानसभा अध्यक्ष ने वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी के पत्र का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है.

रामदत्त त्रिपाठी ने विधानसभा अध्यक्ष को बताया कि पचास साल पहले यह संस्था महात्मा गांधी के कार्यों और विचारों पर शोध के लिए बनाई गई थी. लेकिन गांधी विरोधी तत्वों ने अधिकारियों से साठगांठ कर के संस्थान पर अवैध तरीके से कब्जा जमा लिया. संस्थान में गांधी विरोधी कार्य हो रहे हैं. गांधी विरोधी तत्वों ने जेपी की प्रतिमा को भी अपमानजनक ढंग से पुस्तकालय से निकालकर खुले में रख दिया है. शासन के आदेश पर वाराणसी के कमिश्नर ने तीन साल पहले अपनी जांच रिपोर्ट में पूरा विवरण देते हुए उच्च शिक्षा विभाग को एक संचालन समिति बनाने की सिफारिश की थी. लेकिन मुख्यमंत्री के आदेश के बावजूद वह फाइल उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने दबा रखी है. समाज कल्याण मंत्री राम गोविन्द चौधरी ने भी इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई का मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है.

Adv from Sponsors

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here