यह नारा देकर देश की राजनीति में सत्ता सम्भालने वाले दल की सातवीं वर्ष गाँठ मना कर आज एक महिने से भी ज्यादा समय हो रहा है ! अगर इस विकास का आलेख लिया जाए तो महंगाई के खिलाफ आंदोलन करने वाली पार्टी के सत्ता में आने के बाद आयकर और कार्पोरेट टैक्स से ज्यादा कमाई तो पेट्रोल-डीजल से करने वाले दल का रेट कार्ड से पता चलेगा कि भारत के सभी नागरिकों का कितना विकास हुआ है ?

पेट्रोल-डीजल: राज्यो से भी ज्यादा केंद्र सरकार ने कितने कमाये ! एक्साइज ड्यूटी 2014-15 मे 99,068 ,2019-20 मे 2,23,057 रूपये ! और 2020-21 सिर्फ आधा साल मे 3,89,662 रूपये कमाने का रिकार्ड तोड़ काम किया है जो कि आज पेट्रोल-डीजल की कीमतोमे भारत के अबतक के इतिहास मे यह काम किसी भी दल के द्वारा नहीं हो सका !
पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाने का मतलब हर चीज के दाम मे बढोतरी क्योकिं हर वस्तु जिसका विनिमय होता है उसे एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए जो ढुलाई का खर्च होता है वह बढने से किसी भी वस्तु का दाम बढेंगे ही बढेंगे !

आश्चर्य की बात है कि विश्व के बाजारों में तेल की कीमतों में गिरावट चल रही है तो भारत के दाम बढ़ाकर लोगों की जेब से पैसे निकालने के लिए सोफिस्टिकेटेड डाका डालने का नया तरीका वर्तमान सरकार ने गत सात साल से लगातार जारी किया है ! साथ में गैस सिलेंडर के 2014 से अबतक कि रेट तालिका से पता चलेगा कि लगभग दोगुना दाम बढे है !
और यह वही लोग है जिन्होंने 1972-73 के समय गुजरात के मोरवी इंजीनियरिंग कॉलेज की मेस के भोजन मे एक रूपये की जगह सवा रूपये की वृद्धि होती है तो गुजरात नवनिर्माण आंदोलन पैदा होता है और उसकी नेतृत्व करने वाले लोगों के कमिटी के एक सचिव वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी भी रहे हैं और वह भी एक तेल घोटाला ही था लेकिन खाने के तेल की कीमतों में डबल की वृद्धि तत्कालीन मुख्यमंत्री चिमनभाई पटेलके कार्यकाल में मूंगफली के तेल के कारखानों और व्यापार करने वाले लोगों से उन्होंने पैसे खाकर दाम दोगुना किया ऐसा प्रचार किया गया था और उस आंदोलन के कारण पहली बार गैर कांग्रेस सरकार की गठन की शुरुआत और उस सरकार का नाम जनता सरकार जो इसी जून के 1975 की बात है और बाबुभाई पटेलके नेतृत्व में वह सरकार बनी थी ! लेकिन आपातकाल की आपाधापी में वह बात दब गई !

उसी तरह के महाराष्ट्र में मृणाल गोरे, अहिल्याबाई रांगणेकर, जयवंतीबेन मेहता और हमारे नागपुर में सुमती ताई सुकळीकर के नेतृत्व में महिलाओं का एल्गार महंगाई के खिलाफ बेलन और थालियो के साथ शुरू हुआ है और तत्कालीन कांग्रेस के सरकार की निंद हराम की है और उसी कडी मे 1974 जार्ज फर्नांडिस के नेतृत्व में रेल्वे का बंद और इतिहास प्रसिद्ध नवनिर्माण आंदोलन के ही कडी मे बिहार का संपूर्ण क्रांति आंदोलन जिसका नेतृत्व सत्तर साल के जयप्रकाश नारायण जैसे बुजुर्ग ने किया है और मुझे फक्र है कि मै महाराष्ट्र में इसका एक हिस्सा रहा हूँ और हमारे साथ प्रमोद महाजन जैसे जनसंघ के तरफसे साथी सामील थे और देश के अन्य हिस्सों में भी संघ परिवार के लोग शामिल हुए हैं !

 

कांग्रेस के सरकार के समय मेरे आंगन की तुलसी आंगन से निकल कर किचन के गैस सिलेंडर की कीमत बढने पर अपनी शुटिंग छोडकर रस्ते पर सिलेंडर के साथ बैठी थी और आज वह सत्ता के सिंहासन पर बैठने के बाद वही सिलेंडर डबल कीमत पार कर चुका है लेकिन आंगन की तुलसी सत्ता की खुर्चिमे आराम से बैठी है !

 

वही हाल तत्कालीन नवनिर्माण आंदोलन के सचिवो मेसे एक रहे नरेंद्र मोदी, जयप्रकाश नारायण के आंदोलन से निकले हुए सुशील कुमार मोदी, रविशंकर प्रसाद, और समस्त संघ परिवार की सहनशीलता को महारोग हो गया है ? बात-बात में जयप्रकाश से लेकर अण्णा हजारे के आंदोलनों में जबरदस्ती से घुसपैठ कर के और और सबसे ज्यादा राजनैतिक लाभ लेकर आज संपूर्ण देश को राम के नाम पर बहला-फुसला कर और प्राण न जाये पर वचन ना जाने के लिए मशहूर राम के नाम पर अन्य लोगों के प्राण लेकर, फिर दंगा हो या कोरोनाके जैसी महामारी मे उनके अपने उत्तर प्रदेश के और उत्तराखंड के मुख्यमंत्रीयो के अकर्मण्यता और लापरवाही और सबसे संगीन बात कुंभ के मेले में अप्रैल जैसे कोरोनाके पीक पिरियड मे बोगस कोरोनाके टेस्ट करके करोडो की संख्या में लोग इकट्ठे करके सरकार आँखे बंद कर के और संपूर्ण देश के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर ने के गुनाहगार कौन लोग हैं ? और इनकी इन करतूतों की क्या सजा होनी चाहिए?

भगवा रंग भारत की अध्यात्मिक परंपरा मे हर तरह के मोह, माया और सबसे मुख्य सत्ता के नशे से दूर रहने का संदेश देने वाले रंग में रंग कर गत तिस-चालीस साल पहले से इस रंग का इस्तेमाल करना सबसे बडा धर्मद्रोह है ! उसी तरह राम के नाम पर चंदा इकट्ठा कर के उसका दुरुपयोग करने का एक और कांडपर कारवाई करने की जगह कारवाई करने की मांग करने वाले लोगों के उपर हमले करना कौनसे राम भक्त होने के लक्षण है ? राम क्या सिर्फ संघ परिवार की जागीर है ? और उसी तरह चंद संघी गुंडे छोड़ कर देशके सौ करोड़ से भी ज्यादा संख्या में लोग इकट्ठे करके सरकार के खिलाफ लामबन्द होने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और कितने भी सरकार के मंत्रियों के विभागों को बदलने की कवायद कर लो लेकिन आने वाले विधानसभा चुनाव में लोग सबक सिखाने के लिए बंगाल की तरह तैयार है !
सिहासन खाली करो कि जनता आती है !

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