अभिभूत हूं मिस्र के लोगों की बेपनाह मुहब्बत और इस बात से कि सिनेमा सचमुच अरब दुनिया को तेजी से बदल रहा है। यहां आकर लगता ही नहीं कि हम किसी मुस्लिम देश में हैं। राजनीति और मीडिया की गढ़ी हुई नकली छवियों के विपरित यहां आजादी और उत्सव का आनंद बेमिसाल है। दुनिया भर में सिनेमा के खुदा माने जाने वाले फ्रेंच फिल्मकार ज्यां लुक गोदार ने 71 वें कान फिल्म फेस्टिवल (2018) में अपनी नई फिल्म। ‘ इमेज बुक’ की प्रेस कांफ्रेंस में कहा था कि पश्चिम ( यूरोप) को अरब दुनिया के बारे में अपनी राय बदलनी चाहिए और उदारवादी नजरिया अपनाना चाहिए। अल गूना फिल्म फेस्टिवल में आने के बाद उनकी बात का मतलब समझ में आता है।


अचानक रेड कारपेट पर भारतीय फिल्म अभिनेता अली फजल और रिचा चड्ढा मिले। हमारे मित्र उनसे परिचय कराने लगे तो रिचा चड्ढा ने उन्हें बीच में रोकते हुए कहा कि विश्व सिनेमा की दुनिया में अजित जी को सभी जानते हैं। ये कान ( फिल्म फेस्टिवल) वेटरन हैं। अली फजल बीबीसी के वरिष्ठ पत्रकार और हमारे मित्र रेहान फ़ज़ल के भतीजे है। शाम की शानदार पार्टी के बाद चार्ली चैपलिन की पहली निर्देशित मूक फिल्म ‘ द किड ‘ और उसके साथ मिस्र के मास्टर संगीतकार अहमद अल सादी और उनकी मंडली की आर्केस्ट्रा प्रस्तुति विस्मयकारी थी। उन्होंने इस फिल्म के मौलिक साउंड स्कोर को लाइव पेश किया। पार्टी में बार बंद हो जाने के बाद भी यह जानकर कि मैं आज ही भारत से आया हूं, बार मैनेजर हसन ने चुपके से कागज के सफेद गिलास में भरकर ह्वाईट वाइन देते हुए कहा, – ” वेलकम टू इजिप्ट। ”

दो दो बार एयर अरबिया की फ्लाईट रद्द होने और दो बार कोरोना टेस्ट कराने के बाद आखिर सोमवार 26 अक्टूबर को आधी रात जब मैं काहिरा एयरपोर्ट पर उतरा तो मेरे नाम की तख्ती लिए भाईसाम नामक सज्जन खड़े थे। वे भीतर उस गेट पर खड़े थे जहां हवाई जहाज से उतरकर बस में बैठ कर हम पहुंचते हैं। उन्होंने मेरा पासपोर्ट और बाकी कागजात लिया और झट पट सारी औपचारिकताएं पूरी कर मेरेडियन होटल में पहुंचा दिया। अगले दिन सुबह दस बजे की इजिप्ट एयर की फ्लाइट से हुरगादा पहुंचने पर शानदार स्वागत हुआ। समुद्र ( रेड सी) के किनारे अल गूना के भव्य ओशीन व्यू होटल में ठहराया गया। यह देखकर सुखद आश्चर्य हुआ कि मिस्र के राष्ट्रपति अब्दुल फतह अल सिसी की ओर से उपहार का एक थैला पहले से ही मेरे कमरे में रख दिया गया था। आने जाने के लिए गाड़ी और ड्राइवर दिया गया।


कोरोनावायरस के संकट और खतरों से निपटने के लिए हर तरह की सावधानी बरती जा रही है। कोरोना के बाद का संभवतः यह पहला अंतर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल है।अरब नौजवानों की उपस्थिति गजब की है। रमण चावला और उनकी टीम की प्रोग्रामिंग कमाल की है। रमण चावला फेस्टिवल कंसल्टेंट है। मेरी जर्मन पत्रकार मित्र एलिस कैंटेरियन कान फिल्म फेस्टिवल की तरह यहां भी मेरी गाइड है। उनके साथ का आनंद अतुलनीय है। शुक्रिया अल गूना, शुक्रिया मिस्र, शुक्रिया सिनेमा।
अजित राय की फेसबुक वाल से

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