अक्सर कार में ही
अधूरी सी नींद लेकर
न जाने कब ,कैसे और कहाँ
नहा धोकर फिर तैयार हो जाता है
गाड़ी मालिक को
ले जाने के लिए मंजि़ल की ओर

नज़र रखे हुए सड़क पर
और रेसिंग मीटर पर
घुमाता रहता है स्टेयरिंग
बचाता है स्पीडब्रेकर के दचके से
सवारियों को
कुछ पूछो तो इशारों में ही
उत्तर देता है
अहलिया के कॉल का भी
जवाब देता है कम शब्दों में

जब वह देर तक कर रहा हो बात
तो
समझो
अगले दिनों की रोज़ी का
इंतज़ाम कर रहा है वह

जाने क्या सोचता रहता है
कि उसका ध्यान ही नहीं जाता
सवारियों की बतकहियों पर
यूं वह जान लेता है सबके मिजाज़

उससे तो पूछा भी नहीं जाता
कुछ खाने को
सवारियों द्वारा
नमकीन और पूड़ियों के लेनदेन के समय.
जाने कहाँ
समय गुजार आता है वह
जब सवारियाँ
सैर कर रही होतीं हैं या
ले रहीं होतीं हैं आतिथ्य सुख
पास में बैठाकर सुरक्षित ले जाने वाले
इस शख्स को दूर रखा जाता है
होटल में भोजन के दौरान

एक आदमी होता है
हाँ सिर्फ एक
जिसकी वज़ह से अनेक
आराम के साथ
पार कर रहे होते हैं दूरियाँ

मुमकिन है उसे
कभी कभी
दे दिया हों जाता हो कुछ अतिरिक्त
मगर इतना अतिरिक्त शायद ही कभी मिले उसे कि
वह बना सके अपने लिए एक अदद घर।
गति ही गति में रहने वाला वह मजदूर
चला सके औसत गति से भी अपने
परिवार का खर्च.

ब्रज श्रीवास्तव

Adv from Sponsors