19-फरवरी-2021 के शाम लगभग 5 बजे एक सज्जन जिन्होंने अपना नाम सीटी थाना, बोकारो स्टील सिटी, के इन्सपेक्टर संतोष कुमार (जो वर्दी में नहीं थे) बताया, मुझे घर से गाड़ी (जिसपर Police लिखा हुआ था) से बिना Legal Intimation बोकारो के पुलिस अधीक्षक से मिलवाने ले गये! उसके बाद का विवरण निम्नलिखित है:-

(1) बोकारो (झारखंड) के पुलिस अधीक्षक, श्री चंदन कुमार झा, ने मुझे बताया कि कुछ पत्रकारों ने उन्हें मुझसे मिलने का सुझाव दिया था। मैंने जानबूझकर नहीं पूछा कि किन पत्रकारों ने सुझाव दिया था, ना ही उन्होंने बताया।

(2) उन्होंने बताया कि उनके पिताजी आकाशवाणी, पटना, से मुख्य समाचार संपादक के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद गांव में रहते हैं।

(3) यह भी बताया कि दूरदर्शन के सुप्रसिध्द सेवानिवृत्त पत्रकार, श्री सुधांशु रंजन, से उनकी रिश्तेदारी बनती है।

(4) मैंने उन्हें बताया कि मैं किसी मीडिया का रिपोर्टर नहीं हूँ, उसका कारण भी पूर्व में मेरे साथ हुए बेइमानियों एवं घटनाओं का विवरण देकर बताया। लेकिन यह बताया कि उच्च न्यायपालिका में, और संविधान के साथ हो रहे आपराधिक कृत्यों पर मैं शोध करने के बाद अनछुए पहलुओं पर लिखता हूँ। उदाहरण के लिए, अनुच्छेद-370 पर संविधान में हुए आपराधिक (भारतीय दंड संहिता के धारा-464 के अनुसार) जालसाजी पर लिखने की योजना के बारे में उन्हें बताया।

(5) मेरे स्थाई निवास का पता उन्होंने पूछा तो पीरमोहानी, पटना, में अपने घर का Location बता दिया।

(6) मैंने उन्हें यह बताया कि Lockdown एवं मेरे दाहिने घुटने में गड़बड़ी हो जाने के बाद मेरे खराब स्वास्थ्य के कारण एक वर्ष से भी अधिक समय से बोकारो स्टील सिटी में अपनी बहन के घर पर हूँ।

(7) बातचीत बिल्कुल सौहार्दपूर्ण रहा। उन्होंने चाय भी पिलायी तथा कभी भी जरूरत पड़ने पर निसंकोच फोन करने को कहा! मेरे घुटने की तकलीफ का इलाज करवाने के लिए उन्होंने अस्थिरोग विशेषज्ञ के पास पहुंचाने का भी Offer दिया जिसे मैंने सलीके से टाल दिया।

(8) भीमा-कोरेगांव मामले में फंसे रोना विल्सन के कम्प्यूटर में हैकिंग कर जालसाजियों का मामला उजागर होने के बाद हमारे देश में किसी भी स्तर के सरकारी पक्ष और कुछेक जजों को छोड़कर सुप्रीम कोर्ट को भी संविधान सम्मत और दोषरहित समझना बिल्कुल आत्महत्या जैसी है। इसलिए बातचीत बिल्कुल सौहार्दपूर्ण रहने के के बावजूद भी निम्नलिखित कारण शंका पैदा करती हैं:-
(i) उपरोक्त सौहार्दपूर्ण वातावरण मेरे सामर्थ्य के सीमाओं के आकलन तथा अतिरिक्त जानकारियां खोदने के लिए भी बनाया गया होगा।
(ii) उन्होंने सबसे पहला Call मेरे नंबर पर नहीं, बल्कि मेरी बहन के नंबर पर शाम लगभग 4 बजे किया! अर्थात उन्हें मेरा नंबर पहले से नहीं मालूम था।
(iii) मेरी बहन बोकारो स्टील प्लांट (SAIL) के शिक्षा विभाग में अंग्रेजी की सीनियर मास्टर के पद से 2017 में सेवानिवृत्ति के बाद साहित्यिक कार्य, पुस्तक लेखन, आदि, में व्यस्त हो गयी। अभी तक अंग्रेज़ी में एक पुस्तक, तथा हिन्दी में (एक उपन्यास सहित) तीन पुस्तकें दिल्ली से प्रकाशित हो चुकी हैं।
(iv) सीटी थाना के इन्सपेक्टर संतोष कुमार ने कहा कि मेरी बहन का नंबर फेसबुक में मिला! तो उन्हें कैसे पता चला कि मेरी बहन फेसबुक पर भी है? तथा यह पता लगाने की जरूरत क्यों, या कैसे पड़ी?
(v) मेरे पास कोई भी मोटर वाहन नहीं है। लेकिन घुटने में गड़बड़ी हो जाने के बाद जब भी बोकारो स्टील सिटी आता हूँ तो अपनी बहन की गाड़ी पर चलता हूँ, खुद हीं चलाता हूँ। हो सकता है कि बोकारो स्टील सिटी के सक्रिय आंदोलनकारियों को मेरे साथ उस गाड़ी में देखा गया हो।
(vi) बोकारो में CAA-NRC के खिलाफ आंदोलन में मैं सक्रिय था। उस कारण से उक्त गाड़ी अनेकों बार आंदोलन स्थल पर ले गया था। वहाँ पुलिस हमेशा रहती थी, जो निश्चित हीं जासूसी कर सम्बन्धित उच्चाधिकारियों को खुफिया रिपोर्ट भेजी होगी। तो उसी गाड़ी के नंबर के जरिए परिवहन कार्यालय से मेरी बहन का फोन नंबर और सेवानिवृत्ति के बाद छोड़े गये क्वार्टर का Location पता लगाया गया होगा।
(vii) पटना में भी “बाकी है अभी सम्पूर्ण क्रांति” नाम से कुछ जेपी सेनानियों का एक छोटा समूह बना कर जेपी के रुके हुए योजनाओं को फिर से आगे बढ़ाने का प्रयास हमलोग कभी भी नहीं छोड़ते हैं।
(viii) अभी तक बस इतनी हीं सूचनाएं हैं।


राजीव भूषण सहाय (Rajiva Bhushan Sahay).

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