देशभर से बड़ी संख्‍या में लोग अपनी जिंदा पत्नियों का अंतिम संस्‍कार और पिंडदान करने के लिए मोक्ष नगरी वाराणसी पहुंच रहे हैं. आपको बता दें पिछले कुछ दिनों में 160 लोगों ने काशी में अपनी पत्नियों का अंतिम संस्‍कार किया जो कि अभी जिंदा हैं.

ऐसा पहली बार नहीं है इससे पहले भी लोग बड़ी संख्‍या में ऐसा कर चुके हैं. दरअसल, ये लोग अपनी पत्नियों के उत्‍पीड़न से परेशान थे. इन्‍होंने ‘नारीवाद की बुराइयों’ का सामना करने के लिए वाराणसी के घाटों पर तांत्रिक से पूजा भी कराई थी.

ये सभी पत्नी पीड़ित पति हैं जो एनजीओ सेव इंडिया फैमिली फाउंडेशन से जुड़े हुए हैं. इन सभी ने वाराणसी में गंगा घाट पर पिंड दान और श्राद्ध किया है, ताकि उन्‍हें उनकी असफल शादी की बुरी यादों से मुक्ति मिल सके. ये लोग तंत्र-मंत्र के उच्‍चारण के बीच पिशाचिनी मुक्ति पूजा भी करते हैं.

मुंबई में रहने वाले और सेव इंडिया फैमिली तथा वास्‍तव फाउंडेशन के अध्‍यक्ष अमित देशपांडे कहते हैं कि ये पूजा इसलिए कराई जाती है ताकि इन पतियों को शादी की बुरी यादों से मुक्‍ति मिल सकें.

इन लोगों का कहना है कि महिलाएं अपनी आजादी का गलत फायदा उठा कर पुरुषों का शोषण कर रही हैं, लेकिन उनके आगे कोई पुरुषों की सुनवाई नहीं होती है, इसलिए उन्होंने यह मुक्ति यज्ञ किया है.

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