seemandhra-congress-leader-तेलंगाना और आंध्र प्रदेश का बंटवारा बहृुत ही गंदे तरीके से हुआ था. नौकरशाहों के बंटवारे के समय भी यह सिलसिला जारी है. प्रत्यूष सिन्हा कमेटी ने जिस तरह कैडर का बंटवारा किया, उसे लेकर कई आईएएस और आईपीएस अधिकारी नाखुश हैं, क्योंकि उन्हें अपनी पसंद का कैडर नहीं मिल सका. जाहिर है कि कैडर बंटवारे की पूरी प्रक्रिया जल्दबाजी और अपारदर्शी तरीके से पूरी की गई. कई जाने-माने नौकरशाहों ने इस प्रक्रिया में अपने सहकर्मियों द्वारा हेरफेर किए जाने का भी आरोप लगाया है. जाहिर है कि कुछ बाबुुओं को पसंदीदा कैडर नहीं मिल सका. कई वरिष्ठ अधिकारी, जैसे एसएन मोहंती, एसपी ठाकुर, जेएसवी प्रसाद और एल पाणिग्रही आदि ने तेलंगाना चुना था, लेकिन उन्हें आंध्र प्रदेश दे दिया गया. ये लोग कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग से भी चिढ़े हुए हैं, क्योंकि उसने उनकी वरीयता गोपनीय नहीं रखी, बल्कि उसे विभाग की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया. इसी तरह वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी और आंध्र प्रदेश के खुफिया विभाग के प्रमुख आंध्र प्रदेश में रहना चाहते थे, लेकिन उन्हें तेलंगाना भेज दिया गया. एक अन्य आईपीएस अधिकारी के मामले में ठीक उल्टा हुआ. कुछ ऐसे भी उदाहरण हैं, जिनमें आईएएस पति-पत्नी को अलग-अलग राज्य दे दिए गए. इस खींचतान के अभी जारी रहने की संभावना है, लेकिन फिलहाल कमेटी के निर्णय को स्वीकार करने के अलावा उनके पास कोई विकल्प नहीं है.
 
योजना आयोग का विकल्प
B_Id_379486_Sindhushree_Khuयोजना आयोग की जगह लेने वाले संस्थान को लेकर राजनीति के विशेषज्ञ, अर्थशास्त्री एवं मीडिया के लोग विचार कर रहे हैं, लेकिन योजना सचिव सिंधुश्री खुल्लर ने एक नई योजना का प्रस्ताव रखा, जो छह दशक पुराने योजना आयोग की जगह लेगी. उन्हें प्रधानमंत्री कार्यालय से कैबिनेट नोट बनाने का निर्देश मिला, जिस पर चर्चा होगी. श्रीमती खुल्लर 1975 बैच एवं यूटी कैडर की आईएएस अधिकारी हैं. उनके प्रस्ताव में पांच बदलाव करने का सुझाव है, जिससे योजना आयोग में सुुधार किया जा सकता है. एक नया नाम सुझाने के अलावा श्रीमती खुल्लर ने इंफ्रास्ट्रक्चर, माइनिंग एवं फ्लैगशिप कार्यक्रमों के क्रियान्वयन, विशेषज्ञों की नियुक्ति और आज की ज़रूरतों के अनुरूप बदलाव करने जैसे सुझाव दिए हैं. साफ़ तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा योजना आयोग को समाप्त करने की घोषणा के बाद सरकार नए संस्थान के निर्माण की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है.
 
पुराना बनाम नया?
panarendra_modi220130706072जानी-मानी वाइब्रेंट गुजरात सम्मिट का सातवां संस्करण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अनुपस्थित में आयोजित होगा. इस द्विवार्षिक समारोह से जुड़े रहे दो वरिष्ठ अधिकारी भी इस बार आयोजन से नदारद रहेंगे. हालांकि, उनमें से के शर्मा नरेंद्र मोदी के साथ प्रधानमंत्री कार्यालय में बतौर संयुक्त सचिव कार्यरत हैं, जबकि दूसरे नौकरशाह महेश्‍वर साहू सेवानिवृत्त हो चुके हैं. सूत्रों का कहना है कि सम्मिट को आयोजित करने की ज़िम्मेदारी मोदी के सहयोगी रहे एक अन्य अधिकारी जगथईश पांडियन और आईएएस अधिकारी एसके नंदा के कंधों पर आ गई है. लेकिन नौकरशाही पर नज़र रखने वालों के अनुसार, पांडियन और नंदा दोनों अगले साल जनवरी में सम्मिट के दौरान होंगे या नहीं, इस पर संशय है. वजह, दोनों नौकरशाह गुजरात का मुख्य सचिव बनने की दौड़ में हैं. कुुछ लोगों का मत है कि साहू को वापस बुलाकर सम्मिट के आयोजन की ज़िम्मेदारी दी जा सकती है. हालांकि, इसमें कोई शंका नहीं है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही इस संबंध में अंतिम निर्णय लेंगे.

Adv from Sponsors

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here