बिहार के एक निवासी ने शराब के नशे में अपनी पत्नी समेत चार बच्चियों को चलती ट्रेन से नीचे फेंक दिया. इस हादसे में एक बच्ची व पत्नी की मौत हो गई है, जबकि घायल बच्चियों का इलाज चल रहा है. इस हृदय विदारक घटनाक्रम में रेल अधिकारियों और रेलवे पुलिस की लापरवाही सामने आई है.

अमृतसर- सहरसा जनसेवा एक्सप्रेस अमृतसर से बिहार राज्य के सहरसा जनपद जाती है. मंगलवार की सुबह सीतापुर शहर के निवासी दिनेश मिश्रा मॉर्निंग वॉक पर निकले थे. सुबह करीब 8 बजे, जब वे रामकोट थाना क्षेत्र के भवानीपुर गांव के निकट फ्लाईओवर पर पहुंचे, तो उनकी नजर रेलवे ट्रैक के किनारे खून से लथपथ एक बच्ची पर पड़ी. आनन-फानन में उन्होंने 100 नंबर व 108 नंबर पर फोन कर एंबुलेंस को इसकी सूचना दी. मौके पर पहुंची रामकोट पुलिस ने बच्ची को तत्काल जिला अस्पताल में भर्ती कराया. कई घंटों के बाद होश में आने पर आठ वर्षीय बच्ची ने बताया कि उसका नाम अल्बुन खातून है. वह बिहार में मोतिहारी जिले के छोड़िया गांव की निवासी है. उसका परिवार पंजाब में मजदूरी करता है. उसके पिता का नाम इद्दू अंसारी व मां का नाम आफरीना खातून है.

उसकी पांच बहनें व दो भाई हैं. वो सपरिवार मामा इकबाल व मामा के दोस्त इजहार के साथ ट्रेन से अपने गांव जा रही थी. रास्ते में मामा इकबाल और उसके दोस्त इजहार ने शराब पी. उसके बाद दोनों में किसी बात को लेकर झगड़ा हो गया. सबसे पहले इद्दू के साथ मारपीट हुई. मारपीट बढ़ने पर इकबाल की मदद के लिए इजहार आ गया. इसी दौरान इकबाल, इजहार व उसके पिता ने एक-एक कर उसकी चारों बहनों को चलती ट्रेन से नीचे फेंक दिया. अल्बुन ने बताया कि जहां उसे फेंका गया था, उससे थोड़ी दूर पर उसकी छोटी बहन को भी फेंका गया है. यह सुनकर पुलिस फिर फ्लाईओवर के नीचे पहुंची. करीब एक किलोमीटर आगे चलकर दूसरी बच्ची को भी घायल अवस्था में बरामद कर लिया गया. दूसरी बच्ची सलीना खातून है. करीब 5 घंटे बाद सीतापुर जनपद के मानपुर थाना क्षेत्र के रमईपुर हॉल्ट के पास 10 वर्षीय एक बच्ची का शव बरामद हुआ. इस बच्ची की पहचान अल्बुन खातून ने अपनी बड़ी बहन राबिया के रूप में की.

मंगलवार की देर शाम एक और घायल बच्ची महमूदाबाद थाने के पैंतेपुर इलाके में रेलवे ट्रैक के किनारे मिली. सिर में गम्भीर चोट लगने के कारण बच्ची को लखनऊ मेडिकल कॉलेज के ट्रामा सेन्टर में भर्ती कराया गया है, जहां बच्ची की हालत गम्भीर बनी हुई है. बुधवार की सुबह एक महिला का शव लखीमपुर खीरी जनपद के मैंगलगंज थाना क्षेत्र के खखरा गांव में रेलवे ट्रैक पर बरामद हुआ. इस महिला की पहचान अल्बुन ने अपनी मां आफरीना खातून के रूप में की है.

सवाल यह है कि जब आफरीना खातून को सबसे पहले मैगलगंज के खखरा गांव के आबादी वाले इलाके में चलती ट्रेन से फेंका गया, तब उसकी लाश ग्रामीणों अथवा रेलकर्मियों को 24 घंटों में भी क्यों नहीं मिली? जबकि दूसरी तरफ सीतापुर में फेंकी गई अल्बुन को मॉर्निंग वॉक पर निकले दिनेश मिश्रा ने सुबह 8 बजे ही देख लिया था.

अन्य बच्चों की सलामती पर भी सन्देह
जिस तरह से 20 से 30 किलोमीटर की दूरी पर अल्बुन की बहन व मां का शव मिला है, उससे आशंका जाहिर की जा रही है कि अभी अन्य परिजनों की भी बरामदगी हो सकती है. अल्बुन की अन्य बहनें और दोनों भाई सही-सलामत हैं, इसमें भी संदेह है. इस वारदात को अंजाम देने के बाद इद्दू अंसारी, उसका साला इकबाल और दोस्त इजहार कहां हैं? मालूम हो कि अमृतसर-सहरसा जनसेवा एक्सप्रेस शाहजहांपुर -सीतापुर- लखनऊ रूट से होकर गुजरती है. सबसे पहले मैगलगंज स्टेशन के बाद आफरीना को चलती ट्रेन से फेंका गया. उसके 37 किलोमीटर बाद सीतापुर में अल्बुन व उसकी बहन सलीना को फेंका गया. सीतापुर से करीब 25 किलोमीटर आगे मानपुर थानाक्षेत्र की रमईपुर हॉल्ट पर तीसरी बच्ची मुन्नी खातून मृत अवस्था में मिली. यहां से करीब 40 किलोमीटर दूर महमूदाबाद थाना क्षेत्र के पैंतेपुर में चौथी बच्ची राबिया खातून घायल अवस्था में मिली. इससे अन्य बच्चों के साथ भी अनहोनी की आशंका बलवती होती जा रही है. खीरी जनपद के मैगलगंज थाना क्षेत्र के रेलवे ट्रैक पर आफरीना खातून का शव मिलने के बाद लखीमपुर जीआरपी के थाना अध्यक्ष आशीष वर्मा भी बिहार के लिए रवाना हो चुके हैं.

अल्बुन है मामले की अहम कड़ी
चश्मदीद गवाह अल्बुन ने पहले बताया था कि उसके पिता इद्दू अंसारी ने ही उसे व उसकी बहनों को चलती ट्रेन से नीचे फेंका था. लेकिन देर शाम जब पुलिस अधीक्षक सौमित्र यादव रेलवे पुलिस अधिकारियों के साथ जिला अस्पताल पहुंचे, तब अल्बुन ने अपने मामा इकबाल और उसके दोस्त इजहार को अपनी बहनों को चलती ट्रेन से नीचे फेंक देने का दोषी ठहराया. सीतापुर जीआरपी थानाध्यक्ष वीके मौर्या केस के वादी और जांच अधिकारी हैं. कैमरे के सामने अल्बुन का बयान होने के बाद जीआरपी ने अल्बुन के मामा इकबाल व इजहार के विरुद्ध हत्या व जानलेवा हमले के मामले में केस दर्ज कर लिया है.
दो बार अलग-अलग बयान देने वाली अल्बुन के बातों की सच्चाई जानने के लिए पुलिस ने प्रयास तेज कर दिए हैं. बुधवार की शाम सीओ सिटी योगेन्द्र सिंह ने अल्बुन से जब उसकी शिक्षा के बारे में पूछा, तो उसने बताया कि वह सरकारी स्कूल में कक्षा पांच में पढ़ती है. उसने अपने शिक्षकों का नाम मुन्ना, चंदन और कलाम बताया. मोतिहारी के पुलिस अधीक्षक ने जब शिक्षा विभाग से शिक्षकों का आंकड़ा निकलवाया, तो पता चला कि उपरोक्त नाम के तीनों शिक्षक पड़ोसी जनपद बेतिया के हारखोरूवा स्थित प्राथमिक विद्यालय छोड़िया में पढ़ाते हैं.

… फिर भी रेलवे को शर्म नहीं आई
एक टि्‌वट पर मनमाफिक सुविधा उपलब्ध कराने वाले रेल मंत्रालय के अधिकारी व पुलिसकर्मी इस घटनाक्रम को लेकर संवेदनहीन बने हैं. हद तो तब हो गई, जब जनसंपर्क अधिकारी आलोक श्रीवास्तव ने सुरक्षा संबंधी सवाल पूछने पर बोला कि हर डिब्बे में सुरक्षा के लिए रेल कर्मी तैनात नहीं किए जा सकते हैं. पूर्वोत्तर रेलवे की मंडल सुरक्षा आयुक्त फेहरिश सिद्दीकी ने बताया कि जानकारी मिलने पर ट्रेन को मंगलवार शाम 4 बजकर 10 मिनट पर छपरा स्टेशन पर रुकवाकर अनाउंसमेंट करवाया गया था, लेकिन किसी भी यात्री ने हादसे के संबंध में कोई जानकारी नहीं दी. इसके बाद ट्रेन को गंतव्य के लिए रवाना कर दिया गया. फेहरिश सिद्दीकी के इस बयान से यह साबित होता है कि घटना की जानकारी के 12 घंटे बीत जाने के बाद और ट्रेन के लगभग 500 किलोमीटर का सफर तय करने के बाद उन्होंने मामले की तहकीकात करने के लिए ट्रेन को रुकवाया.

जांच में आया नया मोड़
पूरे मामले की तहकीकात करने और आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस टीमें बिहार पहुंच कर हैरत में पड़ गईं. वहां पता चला कि 23 अक्टूबर को इद्दू का परिवार बेतिया जिले के छोड़िया गांव से पंजाब जा रहा था. इस जानकारी के बाद ट्रेन पर भी लोगों को संशय है. जिस ट्रेन की लोकेशन का हवाला देकर अभियोग पंजीकृत हुआ है, उसमें इद्दू का परिवार सवार नहीं था. जीआरपी थानाध्यक्ष वीके मौर्या ने बड़ी लाइन से गुजरने वाली हर ट्रेन के आने-जाने का ब्यौरा लखनऊ से मांगा है. पंजाब से जम्मू तक के रेलवे पुलिसकर्मियों को अलर्ट कर दिया गया है. अब कामाख्या-कटरा एक्सप्रेस और सत्याग्रह एक्सप्रेस पुलिस की रडार
पर हैं.

कौन है घटना का मास्टरमाइंड
यूपी के लखीमपुर जनपद और सीतापुर जनपद की जीआरपी सहित सिविल पुलिस तथा बिहार और पंजाब की पुलिस भी इस मामले की जांच में जुटी है. अल्बुन खातून ने सबसे पहले खुद और अपनी बहन को चलती ट्रेन से फेंक देने के लिए अपने अब्बू इद्दू अंसारी को दोषी ठहराया था, जबकि शाम को उसने अपने मामा इकबाल व इजहार को दोषी बताया. इस पूरे मामले में इद्दू की भूमिका भी संदिग्ध है. बताया जा रहा है कि इद्दू बच्चों से भिक्षावृत्ति कराता था और उन पैसों से शराब पीता था. आफरीना खातून से उसने दूसरा निकाह किया था. उसके बाद से परिवार में झगड़ा चल रहा था. कुछ समय पहले इद्दू का एक साला व उसका मित्र भी पंजाब में मजदूरी करने के दौरान रहस्यमयी ढंग से मार दिया गया था. उसमें भी इद्दू का नाम चर्चा में आया था. अब तक इद्दू, इकबाल, इजहार व एक बच्ची हसीना खातून व भाई लईम का कोई पता नहीं चल पाया है. प

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