mpएक ओर जहां नमामि देवी नर्मदे मिशन ने एक जन अभियान का रूप ले लिया है, वहीं दूसरी ओर संपूर्ण प्रदेश में सरकार और प्रशासन की सक्रियता के बाद भी अवैध खनन जारी है. पूरे प्रदेश का कोई ऐसा जिला या तहसील नहीं है, जहां से अवैध खनन की खबरें राजधानी तक नहीं पहुंच रही हो.

बडवानी से बालाघाट, मुरैना से मण्डला, अनूपपुर और अलीराजपुर तक लगभग सभी जगह खनन कारोबारी सरकार और प्रशासन को धत्ता बताकर अवैध खनन के धंधे में लगे हैं. कई जगहों से तो ऐसी खबरें भी आ रही हैं कि अवैध खनन में शामिल ठेकेदारों ने अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी सीमांकन भी करा लिया है.

हाल ही में अवैध खनन माफियाओं पर एक बड़ी कार्रवाई करते हुए पुलिस ने मुल्तानपुरा व कन्घट्‌टी की नौ अवैध स्लेट और पेन्सिल खदानों को ध्वस्त कर दिया. इस दौरान मुल्तानपुरा से 50 टन और कन्घट्‌टी से 40 टन अवैध शैल पत्थर सहित ट्राला डम्पर व ट्रैक्टर ट्राली को जब्त किया गया. कार्रवाई के लिए जिलाधिकारी स्वतंत्र कुमार सिंह के आदेश पर खनिज विभाग की जिला टास्क फोर्स की बैठक हुई थी, जिसमें एसपी, व जिला खनिज अधिकारी आदि मौजूद थे.

पुलिस दल, राजस्व विभाग व खनिज विभाग की इस संयुक्त कार्रवाई का नेतृत्व एएसपी अजय प्रताप सिंह ने किया. सबसे पहले मुल्तानपुरा में कार्रवाई की गई, जहां खनिज विभाग की अनुमति के बगैर अवैध खनन हो रहा था. वहां पुलिस बल के धावा बोलते ही खनन में लगे लोग भाग गए. उसके बाद पुलिस दल कन्घट्‌टी पहुंचा, जहां जेसीबी से खनन किया पत्थर जब्त किया गया. खनिज अधिकारी ने बताया कि जब्त माल की विधिवत नीलामी कर प्राप्त राशि शासकीय कोष में जमा करवा दी जाएगी.

दबिश में कोई अवैध खननकर्ता नहीं पाया गया. इसलिए अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. यह कार्रवाई इस बात का जीता-जागता सबूत है कि छतरपुर जिले में व्यापक पैमाने पर खनिज संपदा का अवैध दोहन पूर्व में लम्बे अर्से से जारी है. इसके कारण राज्य सरकार को अरबों रुपए का नुक़सान पहुंचा है.

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हाल ही में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जिलाधिकारियों को अवैध खनन के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया था. उन्होंने कहा था कि अवैध उत्खनन में लिप्त लोग चाहे कितने भी ऊंचे रसूख वाले हों, उनके खिलाफ नियमानुसार कठोर कार्रवाई की जाए.

मुख्यमंत्री के आदेश के बाद जिला प्रशासन कार्रवाई करता दिख रहा है, लेकिन यह कई मायनों में नाकाफी है. छतरपुर और आसपास के क्षेत्रों में तो अब भी रेत का अवैध उत्खनन जारी है और रेत माफिया मध्य प्रदेश के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के कई जिलों तक भी अवैध तरीके से रेत पहुंचा रहे हैं.

प्रशासनिक सख्ती को धत्ता बताते हुए रेत माफिया रोजाना सैकड़ों ट्रक रेत का अवैध उत्खनन कर रहे हैं. जिले के चंदला विधायक रेत के अवैध धंधे के मामले को राज्य विधानसभा और मुख्यमंत्री के समक्ष उठा चुके हैं. उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि जिले के पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी जिले के सक्रिय रेत माफियाओं से मिले हुए हैं.

रेत माफियाओं से प्रतिमाह लाखों रुपए की धनराशि हासिल होने की वजह से सख्त कार्रवाई करने की बजाय इसकी अनदेखी की जाती रही है और प्रशासन इसे प्रश्रय देता रहा है. अनदेखी के सिलसिले पर अभी भी प्रभावी अंकुश नहीं लग सका है. हाल ही में छतरपुर और पन्ना जिले की सीमा में स्थित केन नदी से निकाले गए अवैध रेत से लदे तकरीबन 300 ट्रकों और डंपरों को पन्ना कलेक्टर के आदेश पर पुलिस, खनिज और राजस्व अधिकारियों ने जब्त किया.

अभी भी केन नदी के विभिन्न घाटों से बड़े पैमाने पर रेत का अवैध उत्खनन परिवहन और बिक्री का सिलसिला जारी है. न सिर्फ केन नदी बल्कि जिले में स्थित तमाम नदियों से रेत का अवैध उत्खनन हो रहा है. ऐसी बातें भी सामने आई हैं कि सत्ताधारी पार्टी समेत विभिन्न दलों के कई नेता परोक्ष रूप से रेत के अवैध कारोबार में साझेदार हैं और इनका संरक्षण प्राप्त रेत कारोबारी प्रकृति का दोहन कर ही रहे हैं, अवैध उगाही भी कर रहे हैं.

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