अगर आप दोबारा इस्तेमाल किए जाने वाले कांटेक्ट लेंस पहनते हैं तो आपको सावधान रहना चाहिए क्योंकि ब्रिटेन में कांटेक्ट लेंस पहनने वालों में एक ऐसे संक्रमण की पहचान की गई है, जिससे व्यक्ति अंधेपन का भी शिकार हो सकता है. एकांथामोइवा केराइटिस नामक इस संक्रमण के कारण कार्निया में दर्द और जलन होता है और आप इससे अंधेपन का शिकार भी हो सकते है. बता दें कि यह संक्रमण एकांथामोइवा नाम के सूक्ष्मजीव के कारण फैलता है.
देखने की क्षमता 25 फीसद से भी कम हो जाती है
इससे प्रभावित मरीज की देखने की क्षमता 25 फीसद से भी कम हो जाती है और वह पूरी तरह अंधा भी हो सकता है. इस बीमारी का इलाज संभव है. इससे प्रभावित 25 फीसद को इलाज के लिए कार्निया का प्रत्यारोपण कराना होता है. लेंस पहनने वालों को इसके खतरे से सावधान रहना चाहिए. अन्य लोग भी इस संक्रमण से ग्रसित हो सकते हैं.
वैज्ञानिकों के अनुसार, कांटेक्ट लेंस के लिए इस्तेमाल होने वाले सौल्यूशन के कारण लेंस दूषित हो जाता है. इससे बचने के लिए हाथ अच्छी तरह धोकर सुखाने के बाद ही लेंस छूना चाहिए.
अब आईसीएल से मिल सकती है चश्में से मुक्ति
इस खूबसूरत दुनिया को देखने का एकमात्र जरिया आंखें ही हैं इसलिए शरीर के इस नाजुक अंग को सहेजकर रखना बहुत जरूरी है. अस्वास्थकर जीवनशैली व खानपान के चलते लोगों की आंखों की रोशनी कम हो रही है, जिसे चश्मे या कांटेक्ट लेंस के जरिए ठीक किया जाता है. बता दें कि आईसीएल बहुत पतला लेंस होता है जिसे आंख की पुतली के पीछे प्राकृतिक लेंस के आगे लगाया जाता है. इसलिए यह कांटेक्ट लेंस की तरह दिखाई नहीं देता लेकिन यह काम बिल्कुल कॉन्टैक्ट लेंस की तरह ही करता है. इसकी सबसे खास बात यह है कि इसमें आंखों के अंदरूनी भाग में कोई छेड़छाड नहीं की जाती. लगभग 20 से अधिक उम्र वाले लोग आईसीएल लगवा सकते हैं.
हटवा सकते हैं कभी भी
वैसे तो आईसीएल एक बार लगवाने के बाद इसे बार-बार बदलने की जरूरत नहीं पड़ती लेकिन अगर व्यक्ति इसे हटवाना चाहते हैं, तो वह इसे कभी भी हटवा सकते हैं. जिन रोगियों को उम्र के साथ मोतियाबिंद की समस्या हो जाती है तो मोतियाबिंद के इलाज में इसे हटा दिया जाता है क्योंकि अब मोतियाबिंद के लेंस में ही पॉवर का नंबर भी होता है.