महाभारत का नजारा तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन हालात किसी रणभूमि से कम नहीं हैं। कांग्रेस ने अपनी अस्त्र-शस्त्र जमा करना शुरू कर दिए हैं। निशाने पर भाजपा की प्रदेश सरकार है। कांग्रेस के दिग्गजों ने एक बार फिर एकजुटता का कवच ओढ़कर भाजपा के खिलाफ शंखनाद कर दिया है।

कई दिनों से चल रही यह कवायद अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह क्षेत्र तक जा पहुंची है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा किसानों की बात को लेकर आगे बढ़े तो उनके सारथी की भूमिका निभाने के लिए पूर्व पीसीसी चीफ अरुण यादव साथ हो गए।

किसानों के हक की बात करने निकाली गई ट्रैक्टर रैली में शामिल होने के लिए कांग्रेस के कई और दिग्गज भी रेहटी में जुटे थे। नसरुल्लाहगंज तक पहुंची इस रैली और इसके बाद आयोजित की गई सभा के दौरान भाजपा द्वारा लाए गए नए कृषि कानून की कमियां, इससे होने वाले नुकसान और किसानों को आने वाली परेशानियों पर बात की गई।

प्रदेश कांग्रेस ने किसानों के साथ हो रहे अन्याय को लेकर अपनी सियासी जंग को आगे बढ़ाया है। प्रदेशभर में लगातार किए जा रहे किसान सम्मेलन के जरिये किसानों को इस बात का यकीन दिलाया जा रहा है कि कांग्रेस ही उनकी सच्ची हमदर्द है। बुधवार को रेहटी से नसरुल्लागंज तक निकाले गए ट्रेक्टर रैली के दौरान कई बड़े नेताओं ने शिरकत की।

उन्होंने इस बात का यकीन दिलाया कि वे सब किसानों के साथ हैं और उनके अधिकारों के लिए लगातार लड़ाई जारी रखेंगे। गौरतलब है कि इससे पहले मंगलवार को किसान सम्मेलन का आयोजन विदिशा जिले के सिरोंज में किया गया था। इस दौरान मप्र युवा कांग्रेस के नवनियुक्त अध्यक्ष डॉ. विक्रांत भूरिया भी शामिल हुए थे।

जानकारी के मुताबिक किसान सम्मेलन की कड़ी में अगला कार्यक्रम गुरूवार को देवास में आयोजित किया जाएगा। देवास जिला कांग्रेस कमेटी द्वारा किए जाने वाले इस आयोजन में पूर्व पीसीसी चीफ अरुण यादव, पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा, मप्र कांग्रेस के जिला प्रभारी योगेश यादव, यास्मीन शेरानी, युवा कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. विक्रांत भूरिया आदि शामिल रहेंगे।

अरुण पर जताया भरोसा

कांग्रेस ने अपने महत्वाकांक्षी अभियान किसान सम्मेलन के लिए अरुण यादव पर भरोसा जताया है। प्रदेशभर में कृषि कानून को लेकर किए गए आंदोलन के दौरान उन्हें राजधानी भोपाल की बागडोर संभालने के लिए दी गई थी। इसके बाद भी प्रदेशभर में जारी आंदोलन के दौरान अगुवाई उन्हें ही सौंपी जा रही है।

सूत्रों का कहना है कि यादव को किसान आंदोलन के दौरान दी जाने वाली इस जिम्मेदारी के मायने भविष्य में उनके लिए प्रदेश कांग्रेस में तय होने वाली नई जिम्मेदारी से जोड़ा जा रहा है। साथ ही इस बात को इस तरह भी देखा जा रहा है कि अरुण यादव और उनके पिताश्री स्व. सुभाष यादव प्रदेश के सहकारिता के दिग्गज माने जाते रहे हैं। उन्होंने अपने कार्यकाल में कई बड़े किसान आंदोलन को आकार दिया है।

खान अशु

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