मोदी का रथ रोकने के लिए केंद्र में भी कांग्रेस ने कर्नाटक जैसा मॉडल तैयार करने का मन बना लिया है. आम चुनाव के नतीजों से ठीक पहले विपक्षी खेमे में एकाएक हलचल बढ़ गई है. यूपीए की अध्यक्ष सोनिया गांधी विपक्षी दलों को एकजुट करने के लिए सक्रिय हो गई हैं. हालांकि कांग्रेस की पहली कोशिश विपक्षी दलों के साथ खुद की सरकार बनाने को लेकर है.
कांग्रेस बीजेपी को सत्ता में आने से रोकने के लिए केंद्र में कर्नाटक मॉडल का दांव चल सकती है. कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बीजेपी को सबसे ज्यादा सीटें मिली थी और सीटों की संख्या में कांग्रेस दूसरे और जेडीएस तीसरे नंबर पर थी. प्रदेश में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था. ऐसे में कांग्रेस ने बीजेपी को सत्ता में आने से रोकने के लिए जेडीएस की कम सीटें होने के बावजूद सीएम पद देकर सरकार बनवाई थी.
वहीं दूसरी तरफ तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर तीसरे मोर्चे की सरकार की कवायद में जुटे हुए हैं. इन सबके बीच नरेंद्र मोदी को दोबारा से सत्ता में आने से रोकने के लिए कांग्रेस कर्नाटक मॉडल की तर्ज पर भी केंद्र में सरकार गठन का दांव चल सकती है. आम चुनाव के अंतिम और सातवें चरण की वोटिंग से ऐन पहले कांग्रेस के महासचिव गुलाम नबी आजाद ने बड़े राजनीतिक संकेत दिए हैं.
वो पहले कांग्रेसी नेता हैं जिन्होंने कहा कि नतीजे के बाद अगर उनकी पार्टी को प्रधानमंत्री पद की पेशकश नहीं की गई तो कांग्रेस इसे मुद्दा नहीं बनाएगी बल्कि हम किसी अन्य नेता को प्रधानमंत्री बनने की राह में रोड़ा नहीं बनेंगे. कांग्रेस का लक्ष्य किसान और जनविरोधी बीजेपी सरकार को सत्ता से उखाड़ फेंकना है.
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