त्योहारी सीजन से पहले देश में बिजली संकट पैदा होने की संभावना है। दरअसल, देश में कोयला संकट बढ़ता जा रहा है और खानों से दूर स्थित (नॉन-पिटहेड) 64 बिजली संयंत्रों के पास चार दिन से भी कम का कोयला भंडार बचा है।

कोयला खानों से दूर स्थित बिजली संयंत्रों को नॉन-पिटहेड कहते हैं।

केंद्रीय बिजली प्राधिकरण (सीईए) की बिजली संयंत्रों के लिए कोयला भंडार पर ताजा रिपोर्ट से यह भी पता चला है कि 25 ऐसे बिजली संयंत्रों में तीन अक्टूबर को सात दिन से भी कम समय का कोयला भंडार था।

कम से कम 64 ताप बिजली संयंत्रों के पास चार दिनों से भी कम समय का ईंधन बचा है।

बता दें कि सीईए 135 बिजली संयंत्रों में कोयले के भंडार की निगरानी करता है, जिनकी कुल उत्पादन क्षमता दैनिक आधार पर 165 गीगावॉट है। कुल मिलाकर तीन अक्टूबर को 135 संयंत्रों में कुल 78,09,200 टन कोयले का भंडार था, और यह चार दिन के लिए पर्याप्त है।

आखिर क्यों आया यह संकट 
ऊर्जा मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार बिजली संकट के पीछे एक वजह कोरोना काल भी है जिसमें दफ्तर के काम से लेकर अन्य काम घर से ही निपटाए जा रहे थे और लोगों ने इस दौरान जमकर बिजली का इस्तेमाल किया। दूसरी वजह हर घर बिजली देने का लक्ष्य, जिससे पहले के मुकाबले बिजली की मांग काफी बढ़ी हुई है। ऊर्जा मंत्रालय के एक आंकड़े के अनुसार 2019 में अगस्त-सितंबर महीने में बिजली की कुल खपत 10 हजार 660 करोड़ यूनिट  प्रति महीना थी। यह आंकड़ा 2021 में बढ़कर 12 हजार 420 करोड़ यूनिट प्रति महीने तक पहुंच गया है।

भारी बारिश से खदानों में भरा पानी
वहीं अधिकारियों का कहना है कि भारी बारिश के कारण खदानों में पानी भर जाने की वजह से कोयले की निकासी नहीं हो पा रही है। केवल यूपी ही नहीं पूरे देश में कोयले का संकट खड़ा हुआ है। जिन बिजलीघरों में कोयले का स्टॉक कम रह गया है वहां उत्पादन घटा दिया गया है ताकि इकाइयां पूरी तरह बंद करने की नौबत न आए। यूपी में बिजली के उत्पादन में तक रीबन 2000 मेगावाट की कमी हुई है। अधिकारियों का कहना है कि चूंकि अभी मांग बहुत ज्यादा नहीं है इसलिए स्थिति नियंत्रण में है। लेकिन, इसी सप्ताह नवरात्रि के साथ शुरू हो रहे त्यौहारी सीजन में मांग बढ़ने की संभावना है।

2019 के मुकाबले 2021 में 18 फीसदी तक बढ़ गई है कोयले की खपत
2021 के अगस्त-सितंबर महीने में कोयले की खपत 2019 के मुकाबले 18 फीसदी तक बढ़ गई है। भारत के पास बहुत बड़ा कोयला का भंडार है, लेकिन खपत बढ़ने से इसपर बुरा प्रभाव पड़ा है। इसके अलावा भारत को कोयले का आयात इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका जैसे देशों से करता है। सबसे बड़ी बात यह भी है कि कोयले की कीमत में तिगुनी वृद्धि हो गई है।

चीन में भी बिजली संकट
बता दें कि पिछले दिनों चीन के कई प्रांतों में कोयले की कमी के कारण लोगों को बिजली की खपत घटाने को कहा गया था। ये सिलसिला दस दिन पहले शुरू हुआ। सबसे पहले झेजियांग प्रांत में बिजली कारखानों को हर तीन दिन पर 24 घंटों के लिए उत्पादन रोकने को कहा गया। इस कारण शॉपिंग मॉल्स, सिनेमा घरों, बार आदि को अपने काम के घंटे कम करने और हीटिंग सिस्टम को बंद करने का निर्देश दिया गया। चाइना इकॉनोमिक वीकली ने ये खबर छापी है। बाद में उसके आधार पर दूसरे चीनी समाचार माध्यमों ने भी ये खबर दी थी। अब इसी तरह के हालात भारत में भी उत्पन्न हो रहे हैं।

 

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