आज के ही दिन यानी 23 जुलाई, 1906 को महान स्वतंत्रता सेनानी और देश पर कुर्बान होने वाले चंद्रशेखर आजाद का जन्म हुआ था. देश की आजादी के लिए शुरू में अहिंसक रास्ता अपनाने वाले शहीद चंद्रशेखर आजाद ने जब हथियार उठाए तो फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.

देश की आजादी की खातिर मात्र 24 साल में अपनी जान की आहुति देने वाले आजाद की सबसे बड़ी ख्वाहिश पूरी तो हुई, लेकिन उनके जीते-जी नहीं. देश को आजादी तो मिली, लेकिन आजाद के बलिदान के 16 साल बाद.

आजादी के अलावा चंद्रशेखर आजाद की  2 और ख्वाहिशें थीं, जो कभी पूरी न हो सकीं. कहते हैं कि देश की आजादी के लिए वे रूस जाकर स्टालिन से मिलना चाहते थे. उन्होंने अपने जानने वालों से यह बात कही भी थी कि खुद स्टालिन ने उन्हें बुलाया है. लेकिन इसके लिए उनके पास पैसे नहीं थे. उन्हें 1200 रुपए की जरूरत थी, लेकिन उस समय 1200 रुपये बड़ी रकम हुआ करते थे. इन रुपयों का इंतजाम करने से पहले ही वे शहीद हो गए.

चंद्रशेखर आजाद की  दूसरी ख्वाहिश थी अपने साथी क्रांतिकारी भगत सिंह को फांसी के फंदे से बचाना. अपने साथी को बचाने के लिए आजाद ने हर संभव कोशिश की, इसके लिए वे बहुत लोगों से मिले भी. लेकिन उनकी शहादत के एक महीने के भीतर ही उनके साथी भगत सिंह को भी फांसी दे दी गई.

चंद्रशेखर आजाद जितने बहादुर थे उतने ही नेकदिल. उनके एक दोस्त का परिवार उन दिनों आर्थिक तंगी से गुजर रहा था. जब यह बात चंद्रशेखर को पता चली तो वे पुलिस के सामने सरेंडर को तैयार हो गए, ताकि उनके ऊपर रखी गई इनाम की राशि दोस्त को मिल सके और उनका गुजर-बसर सही से हो सके.

बता दें कि आजाद की मृत्यु इलाहबाद के अल्फ्रेड पार्क में 27 फरवरी 1931 को हुई थी. जानकारी मिलने के बाद ब्रिटिश पुलिस ने आजाद और उनके सहकर्मियों को चारों तरफ से घेर लिया था. खुद का बचाव करते हुए वे घायल हो गए थे और उन्होंने कई पुलिसकर्मिंयो को मारा भी था.

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