शुरूआत अच्छी,
खबरियों से बचा जाए…!
राजा-रजवाड़ों का दौर याद आ गया, जब वे वेष बदलकर अपनी अवाम के हालात जानने निकल पड़ते थे…! नया जमाना है, मामाजी बेधड़क ही सड़कों पर निकल पड़े…! बिना सूचना पहुंचे थे, लेकिन चार घंटे की शहर नपाई के बाद भी एक शिकायत, एक शिकवा या एक परेशानी उनके सामने नहीं आई…! ऑल इज वेल… के हालात हो गए हैं, इसकी कल्पना तो नहीं की जा सकती…! खबरियों की कैंची जुबान पहले से चल गई होगी, मौके को दुरुस्त कर दिया गया होगा, मिलने वालों की फेहरिस्त बना दी गई होगी और न मिलने देने जैसे लोगों को भी पहले ही चिन्हित कर दिया गया होगा…! नायक बने मामा जी ने यहां से वहां तक की सैर की, लेकिन सब खुश, खुर्रम, बिना परेशानी के मिले…! उन्हें भी संतोष हो गया, उनके शासन में सुशासन के नजारे दिखाई देने लगे हैं…! अगला गांव, शहर, कस्बा कौनसा होगा, यह तय किया जाने लगा है… लेकिन इस गांव निर्धारण की सूचना गोपनीय रखी जाए, औचक को अचानक वाला निरीक्षण ही रखा जाए तो शायद हालात की सच्चाई से कुछ वाकिफ हो पाएंगे…!

मामा जी के सोमवारी सफर में उनका एक और रूप भी देखने को मिला…! वाहन काफिले में पिछली सरकार के अगुवा जी के वाहन का घालमेल हुआ…! लोग सुरक्षित थे, कुछ वाहन नुकसान के हालात में पहुंचे…! पिछले मुखिया जी हादसे से ही वाकिफ नहीं हो पाए, मामा जी ने बीच सड़क उतरकर अपना जमघट लगा लिया…! शायद उनकी ये खासियत ही उन्हें सबसे अलग बनाती है और इसी के नाम पर वे चार बार मुखिया, तीन बार के चुनाव जिताने वाले, प्रदेश की महिलाओं के भाई और उनके बच्चों के मामा बन गए हैं…! एक चेहरे को आगे रखकर चुनाव जीतना जितना आसान हो गया है, उतना कभी नहीं रहा होगा, न आने वाले समय में इसकी कल्पना की जा सकती है…!

पुछल्ला
और भी हैं गम
मॉस्क के सिवा
चौक-चौराहों के जाम में इजाफा दिखाई देने लगा है। वजह वाहनों की तादाद में इजाफा तो कतई नहीं है। शहर और यातायात को दुरुस्त रखने वालों के हाथों में एक नया डंडा आने के हालात जरूर हैं। न हेलमेट से मतलब है न सीट बेल्ट से, न चोरी के वाहन की फिक्र है और न ही अपराध कर दौड़ लगा रहे शातिर की चिंता, चौराहा जाम होता है तो हो जाए, लोग परेशान होते हैं तो होते रहें, लेकिन मजाल है कि बिना मॉस्क लगाए कोई भी शख्स आलम पनाह के सामने से गुजर जाए। लोग हाथ जोड़ते दिख रहे, पैरों में भी गिर रहे हैं, बहाने बना रहे हैं, लेकिन साहब बहादुर के शिकंजे में जो फंस गया, वह मर गया। कोरोना शायद इसी खौफ के साथ प्रदेश से विदा हो जाएगा।

 ख़ान आशू

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