kovind-modi-amit-shah

नई दिल्ली। एनडीए के राष्ट्रपति उम्मीदवार के ऐलान के साथ शाह और मोदी ने एक बार फिर से सबको चौंका के रख दिया। जानकार इसे बीजेपी का मास्टर स्ट्रोक करार दे रही है। ये सीधे तौर पर दलित वोट बैंक में ब़ड़ी सेंध लगाने की तैयारी मालूम पड़ रही है। उत्तर प्रदेश से आने वाले राम नाथ कोविंद को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाना उत्तरी क्षेत्र में दलितों के बीच मजबूत पैठ बनाने की दिशा में बीजेपी का शानदार दांव माना जा रहा है। इसके अलावा, पूरे भारत में दलित समुदाय के बीच सकारात्मक संदेश देने में भी पार्टी कामयाब हो जाएगी।

कोविंद की उम्मीदवारी का ऐलान होने के बाद विरोधी दलों की प्रतिक्रियाओं पर सियासी निगाहे टिकी हुई हैं। नीतीश कुमार और मायावती ने बीजेपी के कदम का स्वागत किया। हालांकि, दोनों ही नेताओं ने समर्थन देने के मामले पर फौरन कुछ प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया। अब भले ही विपक्षी पार्टियां बाद में किसी अन्य विकल्प पर एकमत हो जाएं, लेकिन कोविंद के खिलाफ बयानबाजी से फिलहाल तो बचती हुईं नजर आ रही हैं सभी पार्टियां।

उत्तर प्रदेश के दलित चेहरे को उम्मीदवार बनाकर बीजेपी ने मध्य भारत में मजबूत संदेश दे दिया है। इस इलाके की लोकसभा चुनावों में अहम हिस्सेदारी मानी जाती है। बीजेपी की देश की सत्ता पर पकड़ पहल से ही बेहद मजबूत है, ऐसे में एक दलित को देश के सर्वोच्च पद पर बिठाने से बीजेपी को बड़ा राजनीतिक लाभ हो सकता है। कोविंद अनुसूचित जाति के कमजोर और गैर जाटव तबके से आते हैं। बीजेपी जानती है कि जाट समुदाय का झुकाव बीएसपी जैसी गैर बीजेपी पार्टी की ओर रहा है। ऐसे में कोविंद के जरिए बीजेपी अब गैर जाटवों को साधने में लगी है।

यूपी चुनाव में मिली सफलता भी बीजेपी की इसी रणनीति का हिस्सा मामलूम पड़ती है। बीजेपी ने वहां दलित वोट बैंक को लुभाने के साथ साथ गैरजाटवों पर फोकस किया। बीजेपी को उन सभी जगह अच्छी जीत हासिल हुई जहां गैर जाटव वोट की अच्छी संख्या थी। अब कोविंद का राष्ट्रपति भवन का टिकट कटाने के बाद दलित विरोधी पार्टियों की ताकत को कम करने में बीजेपी को बड़ी कामयाबी मिलेगी।

Adv from Sponsors

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here