yogiअपना दल के संस्थापक रहे सोनेलाल पटेल ने कमेरा समाज के लिए जो सपना देखा था और जिस सोच के साथ अपना दल की स्थापना की थी, वो अपना दल दो भागों में बंट चुका है. अपने अलग-अलग हो चुके हैं. मिर्जापुर की सांसद और केंद्रीय परिवार कल्याण स्वास्थ्य राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने मां कृष्णा पटेल से अलग होकर अपना दल (एस) बना लिया है. पार्टी संस्थापक सोनेलाल की 68वीं जयंती के अवसर पर भी मां बेटी के बीच की ये दूरी साफ नजर आई.

अनुप्रिया पटेल ने वाराणसी के जगतपुर मैदान में जन स्वाभिमान रैली का आयोजन कर अपने पिता की जयंती मनाई, तो वहीं कृष्णा पटेल ने बेटी पल्लवी पटेल के साथ इलाहाबाद के सहसों में सोनेलाल की जयंती मनाई. इन दोनों कार्यक्रमों की खास बात ये रही कि अनुप्रिया पटेल ने जहां उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को मुख्य अतिथि बनाया, तो वहीं कृष्णा पटेल ने गुजरात के पाटीदार आंदोलन से मशहूर हुए युवा नेता हार्दिक पटेल को बुलाया.

अपने पिता की जयंती के अवसर पर वाराणसी में आयोजित रैली को अनुप्रिया ने एक प्रकार से अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ रखा था. इस रैली को यादगार बनाने के इरादे से वे दो लाख की भीड़ जुटाने का दावा कर रही थीं, लेकिन बारिश ने इसमें बाधा डाल दी.

उधर अनुप्रिया की मां द्वारा इलाहाबाद में आयोजित कार्यक्रम में हार्दिक पटेल को देखने के लिए काफी संख्या में लोग जुटे. गुजरात के पाटीदार आंदोलन से मशहूर हुए हार्दिक पटेल, अब उत्तर प्रदेश में अपनी जड़ें जमाने के प्रयास में हैं. हार्दिक को अपना दल (कृष्णा गुट) का साथ मिल गया है. सोनेलाल पटेल की 68वीं जयंती के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में हार्दिक ने कहा कि यूपी में सत्ता परिर्वतन हुआ, लेकिन सामाजिक परिर्वतन नहीं हुआ है. उत्तर प्रदेश में किसानों और कुर्मी समाज को संगठित करने की आवश्यकता है.

यूपी की योगी सरकार के सौ दिन पूरे होने पर कटाक्ष करते हुए हार्दिक पटेल ने कहा कि यूपी में अपराध का ग्राफ तेजी से बढ़ा है. रोजगार और किसानों के मुद्दे पर केंद्र की मोदी और राज्य की योगी सरकार विफल है. पटेल ने किसानों का पूरा कर्जा माफ करने और उनकी समस्याओं के निराकरण के लिए राष्ट्रीय किसान आयोग के गठन की मांग की. यूपी के कई जनपदों में अच्छी खासी कुर्मी आबादी है, जो चुनाव में जीत-हार की दिशा तय करती है. मिर्जापुर, वाराणसी, इलाहाबाद, बांदा, चित्रकूट जैसे कुर्मी बहुल जिलों में हार्दिक पटेल अपनी जड़ें जमाना चाहते हैं.

अनुप्रिया की सभा की सबसे खास बात ये रही कि उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बुलाकर अपना दल (एस) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए अपने पति आशीष पटेल को प्रमोट करने का काम किया. साथ ही पूर्वांचल में अपनी पकड़ को मजबूत करने की भी कोशिश की. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सुनने के लिए खासी संख्या में भीड़ उमड़ी और इससे रैली सफल हो गई. अपना दल (एस) को इस साल के विधानसभा चुनाव में मिली कामयाबी ने पार्टी को मजबूती प्रदान की. अपना दल ने यूपी में कांग्रेस से भी अधिक सीटों पर जीत हासिल की.

इस जीत से अनुप्रिया को लगता है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी पहले की अपेक्षा अधिक सीटें जीतेगी. 2014 के लोकसभा चुनाव में अपना दल ने मिर्जापुर और प्रतापगढ़ की सीट पर जीत हासिल की थी. मोदी की प्रचंड लहर में मिर्जापुर से खुद अनुप्रिया और प्रतापगढ़ से कुंवर हरिवंश सिंह जीते थे. तब मां और बेटी एक थीं. लेकिन अब स्थितियां बदली हुई हैं. सांसद चुने जाने और केंद्र की मोदी सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री बनने के बाद मां और बेटी में दूरी बढ़ती ही गई. लिहाजा, आगामी लोकसभा चुनाव में क्या होगा, इस बारे में अभी कुछ कहना मुश्किल है.

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