jharkhandमुख्यमंत्री रघुवर दास ने पदभार ग्रहण करते ही बड़े ही तल्ख अंदाज में कहा था कि अब इस राज्य में भ्रष्टाचारियों की खैर नहीं, अफसर सुधर जाएं, या हम सुधार देंगे. लेकिन ऐसे दावों के बाद भी इस सरकार में भ्रष्टाचार चरम पर है. धान की खरीद के नाम पर अधिकारियों एवं नेताओं के गठजोड़ ने एक तरफ जहां अरबों रुपयों का गबन किया, वहीं अधिकारियों ने गरीबों को भी नहीं बख्शा. आयोडीन नमक के नाम पर ऐसे नमक की खरीददारी की, जिससे गरीबों को घेंघा नामक बीमारी से बचाने की बात तो दूर, उन्हें और बीमारी परोस दिया गया.

अधिकारी इतने बेखौफ हो गए हैं कि वे अपने विभागीय मंत्री की भी नहीं सुनते हैं. जाहिर है कि इस राज्य में अभी भी भ्रष्ट अधिकारियों को पनाह मिल रही हैं. एंटी करप्शन ब्यूरो के पास भी भ्रष्टाचार से संबंधित सैकड़ों मामले पड़े है, लेकिन बड़ी मछलियों पर कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही है. छोटी-छोटी मछलियों को पकड़ कर सरकार वाहवाही लूटने में लगी हुई है. मुख्यमंत्री रघुवर दास के ड्रीम प्रोजेक्ट मोमेंटम झारखंड में भी व्यापक पैमाने पर लूट-खसोट हुआ, लेकिन मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक सभी मूकदर्शक बने रहे.

चारा घोटाले के बाद राज्य में एक और बड़ा घोटाला उजागर हुआ है, वह भी उस विभाग में जिसके मंत्री सरयू राय हैं. गौरतलब है कि सरयू राय ने ही एक हजार करोड़ से अधिक का चारा घोटाला उजागर कर, इसे जांच के मुकाम तक पहुंचाया था. इस घोटाले में अविभाजित बिहार के दो मुख्यमंत्री, कई मंत्री, दर्जनों आईएएस अधिकारी सहित सैकड़ों लोग अभियुक्त बनाए गए थे. अभी को ये धान घोटाला भी चारा घोटाले की तर्ज पर ही हुआ है.

जिस तरह से चारा घोटाले में स्कूटर, मोटरसाईकिल, कार पर फर्जी ढुलाई दिखा कर करोड़ों रुपयों का गबन किया गया था, ठीक उसी तरह इस बार भी 200 करोड़ रुपए से भी अधिक के धान की ढुलाई बाईक, स्कूटर, ऑटो रिक्शा, बस और कार के नम्बरों वाली गाड़ियों पर दिखाकर, अरबों रुपयों का गबन कर लिया गया है. घोटाले में शामिल सिंडिकेट ने कागजों पर ही धान को मिल से एफसीआई गोदाम पहुंचा दिया. घोटालेबाजों ने धान की फर्जी खरीद के रूप में तो गबन किया ही, एफसीआई गोदाम तक धान पहुंचाने के एवज में भी परिवहन भुगतान के रूप में लाखों रुपए डकार लिए.

गोदाम तक धान लाने के लिए जिन वाहनों का इस्तेमाल दिखाया गया है, उनमें से 14 नम्बर दो पहिया वाहनों के निकले, जबकि अन्य नम्बर कार, जीप और ऑटो के हैं. घोटाले में शामिल सिंडिकेट ने धान को पैक्स मिल तक पहुंचाने के लिए 207 फर्जी वाहनों का जिक्र किया है. नंबरों की जांच से पता चला कि इनमें से 192 बाइक हैं, जबकि 14 बस, 5 जीप, 9 कार, 2 स्कूटर और 8 ऑटो हैं. ठीक इसी तरह चारा घोटाले में भी स्कूटर और बाइक पर चारा ढोए गए थे और करोड़ों का घोटाला कर लिया गया था.

भ्रष्टाचार मुक्त राज्य बनाने का दावा करने वाले मुख्यमंत्री रघुवर दास ने भी इस घोटाले को गंभीरता से लिया है. लेकिन वे कितने गंभीर है, इसका सहज अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जांच के आदेश दिए जाने के बाद अभी तक जांच की प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी है. राज्य सरकार ने इस घोटाले से जुड़े सभी आठ जिलों के उपायुक्तों को पत्र भेजा है, लेकिन अब तक किसी भी जिले के उपायुक्त ने जांच की रिपोर्ट नहीं भेजी है.

इस घोटाले में भी कई आईएएस और वरिष्ठ अधिकारियों के फंसने की संभावना है. खाद्य आपूर्ति एवं सहकारिता विभाग के कई अधिकारी भी इसमें शामिल हैं. यही कारण है कि आईएएस लॉबी इस घोटाले पर पर्दा डालने की साजिश कर रहा है. इसकी तह तक जाने पर पता चल सकेगा कि ये भी हजारों करोड़ का घोटाला है. अधिकारी भी इसे बखूबी जानते हैं और यही सोच कर सभी ने चुप्पी साध रखी है.

हालांकि खाद्य, सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री सरयू राय यह मानते हैं कि ये बहुत बड़ा घोटाला है और धान खरीद एवं ढुलाई के नाम पर अरबों रुपयों का गबन हुआ है. मंत्री का भी कहना है कि इसमें कई लोग शामिल हैं. उन्होंने कहा है कि पूरे घोटाले की जांच कराई जाएगी. इसमें कोई बचेगा नहीं. मंत्री सरयू राय के लिए यह प्रतिष्ठा का भी विषय है, क्योंकि राय ने ही चारा घोटाले को उजागर कर लालू प्रसाद एवं जगन्नाथ मिश्र जैसे दिग्गज नेताओं को जेल की कोठरी तक पहुंचा दिया था.

इस पूरे मामले का खुलासा महालेखाकार की ऑडिट रिपोर्ट के बाद हुआ था. आठ जिलों में हुए ऑडिट के बाद महालेखाकार ने पाया कि अफसरों के भ्रष्ट सिंडिकेट ने कागज पर ही धान खरीदा, कागज पर ही उसे पैक्स से मिल भेजा और फिर कागज पर ही धान को मिल से एफसीआई गोदाम भी भेज दिया. ऐसा कर अफसरों ने साल 2011 से 2014 के बीच 25,212.29 क्विंटल धान की फर्जी खरीद कर 3.58 करोड़ का फर्जी भुगतान उठा लिया. अफसरों ने कागज पर खरीदे गए धान को पैक्स से मिल और फिर मिल से एफसीआई भेजने के लिए जिन वाहनों का इस्तेमाल दिखाया, उसमें से अधिकांश वाहनों के नंबर बाइक, स्कूटर, बस, कार, ऑटो के पाए गए हैं. सीएजी का अनुमान है कि इन आठ जिलों, धनबाद, रांची, बोकारो, खूंटी, हजारीबाग, गढ़वा, दुमका और देवघर को मिलाकर यह घोटाला लगभग सौ करोड़ रुपए का हो सकता है. महालेखाकार ने इन आठ जिलों की रिपोर्ट सरकार को उपलब्ध करा दी है. 16 अन्य जिलों में भी सीएजी जांच कर रही है. माना जा रहा है कि वहां भी ऐसे घोटाले सामने आ सकते हैं.

ऐसे तो, राज्य सरकार ने जांच के लिए सभी उपायुक्तों को पत्र भेजा है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, इस घोटाले में राज्य के पंद्रह आईएएस सहित 24 सहकारिता पदाधिकारियों की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है. इन्हीं लोगों ने यह खेल खेला और अब जांच से बचने के लिए आईएएस अधिकारियो एवं सरकार पर दबाव बना रहे हैं. ऐसा माना जा रहा है कि जिलों के उपायुक्तों ने धान खरीद की सही ढंग से निगरानी नहीं की है. धान खरीद, धान को मिल तक पहुंचाना एवं वहां से एफसीआई गोदाम तक पहुंचाना, ये सारे काम सहकारिता विभाग करता है.

लेकिन इसकी निगरानी की जिम्मेदारी उपायुक्तों की होती है. अभी जहां जाच हुई है, वहां इस बात का पता चला है कि उपायुक्तों ने निगरानी सही ढंग से नहीं की है. इधर, विभाग के सचिव विनय कुमार चौबे ने यह माना है कि महालेखाकार की ऑडिट रिपोर्ट में घोटाले का खुलासा हुआ है. उन्होंने कहा कि 2011-14 के दौरान फर्जी तरीके से धान की खरीद कर भुगतान उठा लिया गया है. सभी जिलों के उपायुक्तोको जांच के लिए कहा गया है, जांच रिपोर्ट आते ही दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी.

झारखंड अपने स्थापना काल से ही घोटालों के मामले में पूरे देश में एक अलग पहचान बना चुका है. इसे घोटालों का राज्य भी कहा जाता है. लगातार हो रहे घोटालों में यहां की गरीब जनता पिस रही है. जब मुख्यमंत्री रघुवर दास ने बड़े जोश-खरोस के साथ भ्रष्टाचार मुक्त राज्य बनाने का दावा किया था, तो लोगों के बीच यह उम्मीद जगी कि अब यहां रामराज्य कायम हो जाएगा, लेकिन मुख्यमंत्री के तल्ख तेवर और अंदाज भी ढकोसला ही साबित हो रहे हैं और यहां भ्रष्टाचार रुकने का नाम नहीं ले रहा.

बड़ा घोटाला हुआ है कोई नहीं बचेगा: सरयू राय

यह महज संयोग ही है कि चारा घोटाले को उजागर कर, अपनी एक नई पहचान बनाने वाले सरयू राय के ही विभाग में घोटाला हो रहा है. धान खरीद से लेकर नमक खरीद का घोटाला. हालांकि खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय खुद भी इसे एक बड़ा घोटाला मानते हैं. मंत्री का यह मानना है कि राज्य में धान खरीददारी और इसकी ढुलाई के नाम पर करोड़ों का घोटाला हुआ है. वर्ष 2011 से 2014 के बीच धान ढुलाई के नाम पर अरबों रुपयों का घोटाला हुआ है. जिन गाड़ियों का इस्तेमाल ढुलाई में दिखाया गया है, वे बाईक और स्कूटर हैं. मंत्री सरयू राय ने बताया, जिले के उपायुक्त को यह निर्देश दिया गया है कि वे जल्द से जल्द इस मामले में रिपोर्ट दें. जो भी अधिकारी इस घोटाले में लिप्त पाया जाएगा, उसे बख्शा नहीं जाएगा.

मंत्री ने बताया कि मुख्यमंत्री द्वारा तीन माह पूर्व ही इस मामले में जांच के आदेश दिए गए थे. हालांकि अभी तक कोई कार्रवाई शुरू नहीं होने के मामले में मंत्री ने चुप्पी साधते हुए कहा कि मैं विभागीय सचिव से जानकारी ले रहा हूं. उन्होंने भी ये स्वीकार किया कि इस घोटाले में सहकारिता विभाग के अधिकारियों के शामिल होने की आशंका है, बिना सहकारिता विभाग की संलिप्तता के ये घोटाला संभव ही नहीं है. मंत्री ने कहा कि इसमें जिलों के उपायुक्तों की भूमिका की भी जांच होगी, क्योंकि राजस्व के हर मामले की निगरानी की जिम्मेवारी उपायुक्तों की ही होती है.

झारखंड में नमक की खराब गुणवत्ता के मामले में मंत्री का मानना है कि ये बात सामने आई है कि यहां नमक के उपयोग से दाल-सब्जी काला हो जा रहे हैं. इस मामले की भी जांच कराई जा रही है कि नमक कंपनियों ने डबल फोर्टिफिकेशन में मानकों का पालन किया है कि नहीं. जांच के बाद का दूसरा विकल्प भी तलाशा जा रहा है, वैसे ये टेंडर तीन महीने का ही था और इसमें पांच कंपनियों ने भाग लिया था. राज्य में अब जिस नमक की आपूर्ति होगी, उसमें गुणवत्ता का पूरा ध्यान रखा जाएगा.

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