आज महाशिवरात्र का दिवस है ! हमारे गली में अभी कुछ समय पहले शिवजी की मूर्ति डीजे के साथ जा रही थी ! और डीजे के तांडव से हमारे डायनिंग टेबल के बर्तन भी हील रहे थे ! और कानों के बारे में क्या-कहूं ! भगवान शिव से एक ही प्रार्थना कर रहे थे ! “कि हे देवों के देव हमारे कानों को इतनी शक्ति दे कि हम यह सब कोलाहल सह सके !” जैसे आपने विष प्राशन कर के भी आप अमर हो !


महात्मा ज्योतिबा फुले, राजाराम मोहन राय, पंडित इश्वर चंद्र विद्यासागर, सावित्रीबाई फुले, डॉ बाबा साहब अंबेडकरजी ने तो “सिखों संघटित हो और संघर्ष की त्रिसूत्री कही है !” सभी समाज सुधारको की धारणा थी” कि जैसे – जैसे शिक्षा का प्रसार होगा लोग सुशिक्षित होकर कुप्रथाओं, तथा हमारे देश में हजारों सालों से जारी अंधश्रध्दा तथा गलत परंपराओं को छोडते जायेंगे ! लेकिन आज का वास्तविक जीवन देखकर क्या लगता है ?


तथाकथित नवजागरण का दावा करने वाला बंगाल हो ! या तथाकथित पुरोगामी महाराष्ट्र तथा पेरियार या नारायण गुरु के केरल से लेकर बसव अण्णा के कर्नाटक या गोरखनाथ – मच्छिंद्रनाथ के उत्तर भारत, शंकरदेव – माधवदेव के आसाम से लेकर, पांचसौ साल पहले के नानकदेव के पंजाब, तथा दो सौ साल पहले के दयानंद सरस्वती ! बनारस में पैदा हुए कबीर हो ! या मेरे महाराष्ट्र की संतो की विशाल परंपरा के संत ज्ञानेश्वर, एकनाथ,नामदेव, तुकाराम, जनाबाई,विनोबा तक सभी को मै अपनी समझ के अनुसार अपने पूर्वजों में शुमार करता हूँ ! और इसके बावजूद ऐसा क्या है ? की हजारों वर्ष से सुधार के प्रयासों के बावजूद लोगों को अंधविश्वास से मुक्ति नहीं मिल रही है ?


देश का और भी कोई हिस्सा धार्मिक आडंबर कम होने की जगह बढने का अनुपात अधिक है ! हमारे देश में कुछ लोग एकमात्र कार्यक्रम लेकर गत तीस – चालीस साल पहले से अंधश्रध्दा निर्मूलन समिती के नाम से कार्यक्रम कर रहे हैं ! उन मे से कुछ लोगों के व्यक्तिगत जीवन यापन करने के लिए वह गतिविधि काम आ रही ! उच्च मध्य वर्ग की जीवन शैली जीने इतना उन्होंने अपना अंधश्रध्दा निर्मूलन का काम प्रोफेशनल तरिकेसे शुरू कर के ! उनका उत्पादन का साधन बन गया है ! कुछ लोग इमानदारी से अलग-अलग बाबाओं का भंडाफोड करते हुए छत्रपति शिवाजी महाराज जैसे एक किला जितने के बाद दूसरे किले को जितने कि कोशिश करते हुए चलें जा रहे हैं ! उस तरह अंधश्रद्धा निर्मूलन समिती के लोगो का भी काम बाबाओं का भंडाफोड जारी है ! और चंद दिनों के भीतर और बाबाओं को निर्माण होते हुए देख रहा हूँ ! और अब वह सिर्फ चंद चमत्कार तक सीमित नहीं है ! उसके अपने टीवी चैनल है ! और कुछ तथाकथित स्वदेशी के नाम पर (सही-गलत उन्हीको मालूम!) उत्पादों के कारण वह कार्पोरेट जगत में शामिल होने की हैसियत रखने लगे हैं ! भले ही उसने चौथी कक्षा से पढाई छोड दी होगी ! वह आई आई टी से लेकर यूएनओ की सभा को संबोधित करते हुए देखकर मै हैरान हूँ ! हमारे अंधश्रध्दा निर्मूलन के डाक्टर, प्राध्यापक उपाधि प्राप्त मित्रों को किसी विश्वविद्यालय में भी बोलने के लिए आमंत्रित करने का उदाहरण मालूम नहीं है ! यूएनओ तो बहुत दूर की बात है !
लेकिन पिछले चालीस सालों से अधिक समय से देखते आ रहा हूँ ! एक बाबा के बाद और दो-चार बाबा नये अवतारों में प्रकट हो जाते हैं ! और हमारे परिवर्तन वाले समुदाय के कार्यक्रम के लिए बुलावा भेजने के बाद भी सौ पचास लोग इकट्ठे होना हमारे कार्यक्रम की बहुत बड़ी सफलता मानते हैं !


लेकिन तथाकथित बाबाओं के सत्संग या प्रवचनों के कार्यक्रम में हजारों की संख्या में लोग अपनी जेब से पैसे खर्चा करके जा रहे हैं ! और वह भी तथाकथित पढा – लिखा वर्ग के लोग होते है ! मैंने इस विषय पर डॉ. नरेंद्र दाभोलकर के साथ काफी बातचीत करने की कोशिश की है ! क्योंकि वह खुद भी एक पेशेवर डॉक्टर और उनसे चर्चा हो सकती थी ! अन्यथा अन्य अंधश्रध्दा निर्मूलन के लोगो से चर्चा करना मुश्किल है ! क्योंकि उन्हें डर लगता है कि कहीं हम चर्चा में हार गए तो ? क्योंकि वह एक डिबेटर की जींदगी से आने के कारण वह हमेशा एक कुंठित मानसिकता के शिकार हैं ! इसलिये वह अपने अनुयायियों की मंडली में मश्गूल रहते हैं ! और बढीया ‘वैज्ञानिक बाबा’ की जिंदगी जी रहे हैं !
मुख्य मुद्दा हमारे देश में बढ़ती हुई धर्मांधता ! और इस धर्मांधता का ही सहारा वर्तमान समय के सत्ताधारी लोग इस्तेमाल करते हुए ! उसे शासन की ओर से और भी अधिक प्रोत्साहन देने का काम कर रहे हैं ! इस्राइल के वर्तमान सरकार ने’ झिओनिझम ‘ नाम के मंत्रालय का निर्माण किया है ! भारतीय जनता पार्टी खुद घोर हिंदुत्ववादी दल होने के कारण उसे अलगसे हिंदुत्ववादी मंत्रालय बनाने की आवश्यकता नहीं है ! वह हर तरह के काम में धार्मिक अवडंबर कर के ही शुरूआत करते हैं ! मंगल अभियान की शुरुआत तिरुपति बालाजी मंदिर में मंगलयान की प्रतिकृति ! वह भी मंगल अभियान के प्रमुख वैज्ञानिक खुद लेजाकर मंदिर में पूजा अर्चना करने के बाद या अक्सर सार्वजनिक निर्माण कार्य के शुरू में पूजा या नारियल फोडकर काम करने की शुरुआत की जाती है !


जो कि हमारे संविधान के अनुसार धर्म व्यक्तिगत जीवन में आप पालन कर सकते हो , लेकिन सार्वजनिक जीवन में यह सेक्युलर देश है ! और सार्वजनिक रूप से किसी भी तरह की धार्मिक कर्मकांड करने की कृती हमारे देश के संविधान के खिलाफ कृती है ! लेकिन भारत के नये संसद भवन के निर्माण से लेकर ! मंगलयान को मंगल ग्रह की ओर भेजने के पहले ! तिरुपति बालाजी मंदिर में जाकर, वहां एक यान की प्रतिकृती चढाना ! और प्रमुख वैज्ञानिक ने पूजा करने का क्या औचित्य है ? हालांकि कमअधिक प्रमाण में यह आजादी के बाद से ही जारी है ! लेकिन वर्तमान समय में भारत की भारतीय जनता पार्टी की सरकारों के आने के बाद इसे राजमान्यता मिली हुई है !
अंधश्रध्दा निर्मूलन समिती जैसे प्रयास इस देश में नेकी कर दरिया में डाल जैसे लगते हैं ! शायद लोगों की पेट की भूख खत्म होने के बाद और भी कई तरह की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए जैसे मनोरंजन, आमोद – प्रमोद के अलावा उनके मन में कुछ और अबोध आवश्यकता भी है ! जीसकी पूर्ति के लिए उसे इस तरह की चिजो का सहारा लेना पड़ता है ! और शायद हम लोग बहुत ही सतही तौर पर सोचते हुए अपने तथाकथित परिवर्तन की धुन में इस बात पर गौर नहीं करते हैं या करना नही चाहते ! जयप्रकाश नारायण 74-75 के आंदोलन में सांस्कृतिक क्रांति की भी बात करते थे लेकिन हमारे साथियों का सब से ज्यादा जोर राजनीतिक, सामाजिक और बहुत हुआ तो आर्थिक से आगे बढ नही पाया ! हमारे जयप्रकाश आंदोलन के समय के मित्रों में से एक श्री. अशोक भार्गव का भारतीय सांस्कृतिक क्रांति इस गीत को गाया तो खुब पर उसके अर्थ का सज्ञान हम सभी साथियों ने कितना लिया मुझे संशय है !
युग की जडता के खिलाफ
एक इन्कलाब है !
हिंन्द के जवानों का
एक सुनहरा ख्वाब है
भारतीय सांस्कृतिक क्रांति
मानवीय सांस्कृतिक क्रांति
व्योम में हमारी पहुंच बढ रही है, आज पर
दूर हो रहा है पडोसी का घर
आदमी को आदमी के करीब लायेगी
भारतीय सांस्कृतिक क्रांति
आदमी भविष्य में यंत्र का न हो गुलाम
मानवीय गुण बढेंगे काम से
ऐसे योग युक्त काम, हर जगह चलायेगी
भारतीय सांस्कृतिक क्रांति
लेके हाथ हल कुदाल ज्ञान की मशाल
आओं चलें साथ – साथ गांवको
क्योकि गांव – गांव से दीनता मिटायेगी
भारतीय सांस्कृतिक क्रांति

डॉ सुरेश खैरनार 18 फरवरी 2023, नागपुर

 

 

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