16 साल की बच्ची ने किया कुरआन हिफ्ज

भोपाल। एक शिक्षित बेटी आने वाली कई पीढ़ियों का भविष्य सुधार सकती है। उसके पढ़े-लिखे और दीन-दुनिया की जानकारी का असर आने वाली नस्लों पर भी पड़ता है और समाज पर भी। हम जिस मजहब को मानते हैं और जिसके उसूलों के मुताबिक हमें जिंदगी गुजारना है, इसकी मुकम्मल जानकारी हमें होना चाहिए। यह मालूमात हमें दीन की किताबों को सम­ाकर पढ़ने से ही मिल सकती है।

मुस्लिम धार्मिक विद्वान मौलवी शराफत साहब ने यह बात कही। वे रविवार को शाहजहांनाबाद स्थित पुतलीघर क्षेत्र में रहने वाली 16 साल की मासूम बच्ची मुनज्जा के कुरआन हिफ्ज करने पर उसकी हौसला अफजाई करने पहुंचे थे। मुनज्जा के वालिद मौलवी फहीम साहब ने बताया कि हमें अपना बेहतर अखलाक और व्यवहार रखने के लिए तालीम की बहुत जरूरत है। दुनियावी तालीम के साथ मजहबी शिक्षा को भी बराबर साथ रखा जाए तो यह दुनिया और आखिरत की बेहतरी की वजह बन सकता है। इस मौके पर मौलवी शराफत ने कहा कि आमतौर पर लड़कों को कुरआन हिफ्ज के लिए आगे रखा जाता है, लेकिन इस्लाम लड़कियों की तालीम और उनके बराबरी के हक के लिए पैरवी करता है। इस लिहाज से मुनज्जा के कुरआन हिफ्ज करने से एक नई तेहरीर खड़ी हुई है। समाज के बाकी लोगों को भी इससे प्रेरणा लेना चाहिए और बच्चियों को दुनियावी तालीम के साथ इस्लामी शिक्षा दिलाने पर जोर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक पढ़ी-लिखी और ईमान को जानने वाली बच्ची आगे चलकर कई पीढ़ियों के लिए बेहतर माहौल बनाने का काम कर सकती है। मुनज्जा के कुरआन हिफ्ज करने पर उसके रिश्तेदारों से लेकर शहर के आलिमों ने मुबारकबाद दी है। उन्होंने इस ज्ञान को आगे तक फैलाने की उम्मीद भी मुनज्जा से रखी है।


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