भारतीय राजनीति में अपराधीकरण के जांच करने के लिए एन.एन वोरा तत्कालीन गृह सचिव के नेतृत्व में 1993 में एक कमीशन की रिपोर्ट के अनुसार भारत के राजनीतिक जमात में 50% अपराधी तत्व है ! यह रिपोर्ट भारत की आजादी के पचास साल पहले के अर्ध शताब्दी पार करने के पहले ! मैंने खुद उस रिपोर्ट को देखकर 1999 के सितंबर में दिल्ली में हवाला के देशद्रोही नाम से विनीत नारायण की किताब के विमोचन के समय कहीं थी ! उस समारोह की अध्यक्षता में पूर्व गृहमंत्री इंद्रजित गुप्ता जी कर रहे थे ! और इंद्रजित गुप्ता जी काफी ब्रेक में मुझे कह रहे थे कि क्या करें वोरा साहब ने कोई नाम नहीं दिया है  ! तो मैंने तपाक से बोला कि आप गृहमंत्री थे और वोरा आपके मातहत गृह सचिव थे और आपका काम था वोराजीसे लिस्ट मांगने का अधिकार आपने क्यो नही इस्तेमाल किया?

यह सब 20 साल पहले की बात है और वोरा कमीशन के रिपोर्ट अक्टूबर 1993 को सौपा गया है  ! इन 27 सालों में कितनी बार अलग अलग दलों की सरकारों को मौका मिला है भारत में राज करने का ?  आज मैंने यह पोस्ट लिखने से पहले गूगल और विकिपीडिया मे वोरा कमीशन के रिपोर्ट के सर्च करने की कोशिश की लेकिन वह गाँधी नाम के कोई सूचना के अधिकार पर काम करने वाले ने 2017 मे वोरा कमीशन के रिपोर्ट की मांग की है तो जवाब में कहा गया है कि यह क्लासिफाइड जानकारी होने के कारण आप को नहीं दिया जा सकता है  !

अभी की सरकार के मुखिया ने 2014 की चुनाव सभाओं में मै भारत की सरजमीं पर से अपराधीयो का नामो-निशान मिटाकर रहूँगा ! यह बात दहाड़ दहाड़ कर सेकड़ों सभाओ मे कहीं थी !

उनके खुद के 2002 के गुजरात दंगों के दर्जनो रिपोर्ट के हवाले से और उनके खांसं-खास अमित शाह, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री के पूर्व रेकार्ड को देखकर लगता नहीं कि वर्तमान प्रधानमंत्री के चुनाव के भाषण में चिल्ला-चिल्लाकर की हुई अपराध मुक्त भारत, भ्रष्टाचार मुक्त भारत और भूख मुक्त भारत सिर्फ चुनावी जुमले-बाजी के अलावा और कुछ नहीं था  !

अस्सी के दशक में मुम्बई में महाराष्ट्र कांग्रेस  के चुनाव के टिकट बटवारे की मीटिंग में पप्पू कलानी और भाई ठाकुर को टिकट नहीं देना चाहिए यह शंकर राव चह्वाण की सूचना का विरोध वर्तमान महाराष्ट्र सरकार के गार्जियन ने यह कहकर किया था कि ये दोनों का चुनाव में जितने का मैरिट है! और वे दोनों जितने में कामयाब रहे थे!

कर्नाटक के वर्तमान मुख्यमंत्री के पूर्व रेकार्ड को देखकर लगता नहीं कि ये आदमी को ग्राम पंचायत का सरपंच भी नहीं बना सकते हैं लेकिन वह आज सिर्फ मुख्यमंत्री ही नहीं उसने अपने मंत्रियों में खनन माफिया रेड्डी बंधुओं को पर्यावरण संरक्षण के लिए जिम्मेदारी दी है  ! कौन रेड्डी बंधु ? जिन्हें सीबीआई ने अवैध खनन के अपराध में जेल भेजा है  ! और येदुरप्पा भी भ्रष्टाचार के मामले में जेल में रह कर आये हैं  !

वर्तमान भारत के गृहमंत्री का रेकार्ड क्या है ? गुजरात के गृहमंत्री रहते हुए उन्हें एक साल से ज्यादा जेल में बंद कर दिया था वह भी हत्या के अपराध में  ! आज भी सोहराबुद्दीन के भाई न्याय की भीख मांगते हुए कोर्ट के चक्कर लगा रहे हैं  ! और निरंजन टकले जस्टिस लोया के मौत को लेकर कारवान नाम की पत्रिका में बहुत विस्तृत रिपोर्ट के अनुसार लोया के मौत को लेकर संशय की सुई कीधर दिखाई दे रही है  ?

20-22 साल पहले दिल्ली के सी एस डी एस में एक छोटी गोष्ठि हुई थी और मै उस समय दिल्ली में एन ए पी एम की रामलीला मैदान में होने वाली रैली की तैयारी हेतु कुछ समय के लिए दिल्ली में डेरा डाले हुए था! जिसमे आशीष नंदी के आग्रह पर मै भी शामिल था और वक्ता के रूप में चंद्रशेखर पूर्व प्रधानमंत्री और विषय था साधनसुचिता  ! चंद्रशेखर बहुत ही अच्छा बोलें थे पूरे वेद-उपनिषद से लेकर बुद्ध, महावीर, जिजस, पैगम्बर से लेकर  गाँधी, तक कोट करके बोले थे  !

धिरू भाई सेठ अध्यक्षता कर रहे थे और चंद्रशेखर जी के भाषण के बाद उन्होंने कहा कि अब यह चर्चा के लिए खुला है जिन्हें भी बोलना हो अपना हाथ उठाएं तो अनायास मेरा ही हाथ सबसे पहले उठा तो धिरू भाई ने मुझे बोलने के लिए कहा  ! सबसे पहले मैंने चंद्रशेखर जी के भाषण पर उन्हें बधाई दी की बहुत ही महत्वपूर्ण विषय पर आपने बहुत अच्छा बोला है  !

लेकिन आपका राजनीति का ग्राफ देखकर लगता नहीं कि आपने कभी कोई साधन सुचिता के लिए  कसर नहीं छोड़ी है !  कयोंकि आपके चुनाव के प्रभारी मरने के पहले तक  धनबाद के कोल माफिया सुरजदेव सिंह, भागलपुर दंगों में शामिल महादेव सिंह और उत्तर भारत के डाॅन छोटन शुक्ल के साथ आपका संबंध में कहाँ साधनसुचिता का पालन किया गया है  ?

तो जवाब में वे बोले कि हमारी संस्कृति में मरे हुए लोगों के बारे में बुरा बोलने की परंपरा नहीं है और सभा और बाद में का लंच छोड़ कर वे चल दिए  ! और उसके बाद कट्टी कर ली कयोंकि उसके बाद पुणे में किशोर पवार जी के घर पर भाई वैद्य जी के आग्रह पर मै भी शामिल था और डॉ नरेंद्र दाभोलकर मेरा परिचय देने लगें तो बिचमेही टोकते हुए उन्होंने कहा कि इन्हे कौन नहीं जानता है ? बहुत बडे क्रांतिकारी जो ठहरे  !! और पूरे आयोजन में हवाए उठने लगी  !

बंगाल में 1982 से 1997 यानी उम्र के 30 वे साल में पदार्पण करते हुए रहना शूरू किया तो 45 को छूने के आसपास महाराष्ट्र में वापस आया तो मेरे जीवनकाल के सबसे महत्वपूर्ण समय मैंने बंगाल में बिताए हैं और लेफ्ट फ्रंट के सरकार के दो मुख्यमंत्रीयो का कार्यकाल देखने का मौका मिला है  ! लेफ्ट की भाषा में जितने भी लुम्पेन थे सबके सबने पार्टी में शामिल हो कर जो कुछ किया उसके नतीजे में वन वुमन पार्टी की सरकार ममता बनर्जी ने दोनों बार बनानेमें कामयाबी हासिल की है  ! और यह बात कुमार केतकर और शारदा साठे की उपस्थिति में मैंने पूर्व लोक सभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी को उनके शांति निकेतन के आवास पर पांच साल पहले बोला हूँ और सोमनाथ चटर्जी ने उसमें और भी बातें जोडी है जो मैं नहीं लिखना चाहता हूँ  !

आज की तारीख में भारत की कौन-सी राजनीतिक दल के साथी दावे के साथ कह सकते हैं कि उनके दल में शामिल सबके सब सज्जन है ? उल्टा मेरी तो बहुत शूरू से राय रही है कि आप की असीमित क्षमता होनी चाहिये निचसे निच होने की तभी आप वर्तमान चुनाव के दंगल में शामिल हो कर कुछ बन सकते हैं !

धन, और वोरा कमीशन के रिपोर्ट के अनुसार 27 साल पहले के 50% अपराधी तत्व भारत की राजनीति पर हावी है तो आज का अनुपात क्या होगा ?  वर्तमान भारत की संसद में बैठे हुए सदस्यों की कुंडली देखकर लगता है कि हमारी राजनीति बहुत गंभीर दौर से गुजर रही है ?  विकास दुबे एक ताजा मिसाल के तौर पर लेना चाहिए और संपूर्ण भारतीय राजनीति पर कौनसे तत्व हावी है ?  दंगों की राजनीति करके जो सरकार बनाने में कामयाब हो सकता है !

तो यह सिर्फ उसके अकेले या उसके दल की बात नहीं हमारे समाज के सामुदायिक स्वास्थ्य की भी जांच करने की जरूरत है  ! वर्तमान सरकार के उपर थोडी भी टिप्पणी करने पर अंध भक्त किस तरह ट्रोलिंग करते हैं और तथकथित मुख्यधारा वाले मीडिया में गत छ साल से क्या आ रहा है और अर्णव गोस्वामी जैसे भाँट बनने की होड़ लगी हुई है  ! दुनिया के किसी भी कोने में इस तरह के मीडिया देखने में नहीं आ रहा है  !

क्या सौ साल पहले के जर्मनी और इटली में इसी तरह के माहौल में आज भारत चला गया है ऐसा नहीं लगता  ? डाॅ बाबा साहब आंम्बेडकर के मुंबई स्थित आवास पर हमला करने की घटना को देखकर लगता नहीं कि हमारी राजनीतिक संस्कृति गंभीर दौर से गुजर रही है  ?

 

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