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नई दिल्ली: आधार बारह अंकों वाली एक अनूठी पहचान संख्या है, जिसे देशवासियों को सूचीबद्ध कर उपलब्ध कराया जा रहा है. लेकिन यही पूरा सच नहीं है. असल में यह 16 अंकों वाला है, जिसमें से 4 अंक छुपे रहते है. सरकार की इस परियोजना के कई रहस्य अभी भी उजागर नहीं हुए है. इसी के आलोक में देखें, तो चुनाव आयोग और यूआईडीएआई द्वारा गृह मंत्रालय को भेजी गई सिफारिश कि मतदाता पहचान पत्र को यूआईडी के साथ मिला दिया जाय, चुनावी पर्यावरण को बदलने की एक कवायद है. ये एक बार फिर इस बात को रेखांकित करती है कि बायोमैट्रिक प्रौद्योगिकी और इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) का इस्तेमाल उतना निर्दोष और राजनीतिक रूप से तटस्थ चीज नहीं जैसा कि हमें दिखाया जाता है. ध्यान देने वाली बात ये है कि चुनाव आयोग की वेबसाइट के मुताबिक, हर ईवीएम में यूआईडी होता है. मायावती, अरविन्द केजरीवाल सहित 16 सियासी दलों ने ईवीएम के विरोध में तो देरी कर ही दी, अब वे बायोमैट्रिक यूआईडी/आधार के विरोध में भी देरी कर रहे हैं. यही नहीं, राज्यों में जहां इन विरोधी दलों की सरकार है, वहां वे अनूठा पहचान यूआईडी/आधार परियोजना को बड़ी तत्परता से लागू कर रहे हैं.

यह ऐसा ही है, जैसे अमेरिकी डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति जब पहली बार शपथ ले रहे थे, तो उन्हें यह पता ही नहीं चला कि वे जिस कालीन पर खड़े थे वो उनके परम विरोधी पूंजीपति डेविड कोच की कम्पनी इन्विस्ता द्वारा बनाई गई थी. डेविड कोच ने ही अपने संगठनों के जरिए पहले उन्हें उनके कार्यकाल के दौरान गैर चुनावी शिकस्त दी और फिर बाद में चुनावी शिकस्त भी दी. भारत में भी विरोधी दल जिस बायोमैट्रिक यूआईडी/आधार और यूआईडी युक्त ईवीएम की कालीन पर खड़े है, वह कभी भी उनके पैरो के नीचे से खिंची जा सकती है. लोकतंत्र में विरोधी दल को अगर आधारहीन कर दिया जाता है, तो इसका दुष्परिणाम जनता को भोगना पड़ता है, क्योंकि ऐसी स्थिति में उनके लोकतांत्रिक अधिकार छीन जाते हैं.

ईवीएम के अलावा जमीन के पट्टे संबंधी विधेयक में जमीन के पट्टों को अनूठा यूआईडी/आधार से जोड़ने की बात शामिल है. यह सब हमारे संवैधानिक अधिकारों का अतिक्रमण होगा. प्रौद्योगिकी आधारित सत्ता प्रणाली की छाया लोकतंत्र के मायने ही बदल रही है. प्रौद्योगिकी और प्रौद्योगिकी कंपनियां नियामक नियंत्रण से बाहर हैं, क्योंकि वे सरकारों, विधायिकाओं और विरोधी दलों से हर मायने में कहीं ज्यादा विशाल और विराट हैं. यूआईडी/आधार और नैटग्रिड एक ही सिक्के के अलग-अलग पहलू हैं. ये एक ही रस्सी के दो सिरे हैं. विशिष्ट पहचान/आधार संख्या सम्मिलित रूप से राजसत्ता और कंपनियां विभिन्न कारणों से नागरिकों पर नजर रखने का उपकरण हैं. यह परियोजना न तो अपनी संरचना में और न ही अमल में निर्दोष है.

 

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