अभी तो धड़कना सीखा,
दफना दिया मुझको!!
अभी तो हंसना सीखा,
रुला दिया मुझको!!
अभी तो चलना सीखा,
गिरा दिया मुझको!!
अभी तो लिखना सीखा,
मिटा दिया मुझको!!
अभी तो समझना सीखा,
असलियत दिखा दिया मुझको!!
अभी तो उड़ना सीखा,
कैद कर दिया मुझको!!
अभी तो वफ़ा सीखा,
वो छोड़ गया मुझको!!
अभी तो भूलना सीखा,
वो याद आ गया मुझको!!
अभी तो मेहनत करना सीखा,
दरवाज़ा दिखा दिया मुझको!
अभी तो गुनगुनाना सीखा,
चुप करा दिया मुझको!!
अभी तो इंकलाब सीखा,
कुचल दिया मुझको!!
अभी तो दर्द बांटना सीखा,
अकेला कर दिया मुझको!!
अभी तो मोहब्बत करना सीखा,
जुदाई दे दिया मुझको!!
अभी तो दोस्ती सीखी,
नफरत सिखा दिया मुझको!!
अभी तो सपनों को आकार देना सीखा,
जिम्मेदारियां दे दी मुझको!!
अभी तो सबकुछ सहना सीखा,
बीमार कर दिया मुझको!!
अभी तो अकेला रहना सीखा,
दोस्त से मिला दिया मुझको!!
अभी तो जीना सीखा,
मौत दे दिया मुझको!!
अभी तो कविता लिखना सीखा,
शुक्रिया!! उम्दा पाठक दे दिया मुझको!!
लेखक:
जी वेंकटेश, भोपाल
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