मैसूर से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, बता दें कि मैसूर राजघराने को 400 सालों बाद श्राप से मुक्ति मिली है. 400 साल बाद इस राजघराने को एक ऐसी ख़ुशी मिली है जो श्राप की वजह से अभी तक नहीं मिल पाई थी. दरअसल पहली बार इस वाडियार राजघराने में किसी लड़के यानी राजवंश के उत्तराधिकारी का प्राकृतिक तरीके से जन्म हुआ है.
माना जाता है कि 400 साल से इस राजघराने के ऊपर एक श्राप था जिसकी वजह से इस राजघराने में एक भी बच्चे का जन्म प्राकृतिक तरीके से नहीं होता था, बता दें यह श्राप 1612 में विजयनगर की तत्कालीन महारानी अलमेलम्मा ने दिया था. इतिहासकारों के मुताबिक, दक्षिण के सबसे शक्तिशाली विजयनगर साम्राज्य के पतन के बाद वाडियार राजा के आदेश पर विजयनगर की धन संपत्ति लूटी गई थी.
उस समय महारानी अलमेलम्मा के पास काफी सोने, चांदी और हीरे- जवाहरात थे जिन्हें लेने वाडियार ने महारानी के पास दूत भेजा, लेकिन उन्होंने गहने देने से इनकार कर दिया तो शाही फौज ने जबरदस्ती गहने कब्जा लिए और इसी से नाराज़ होकर महारानी ने श्राप दिया था कि वाडियार राजवंश के राजा- रानी की गोद हमेशा सूनी रहेगी. श्राप देने के बाद अलमेलम्मा ने कावेरी नदी में छलांग लगाकर आत्महत्या कर ली.
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जानकारी के मुताबिक़ मैसूर के 27वें राजा यदुवीर वाडियार की पत्नी तृषिका सिंह ने हाल ही में बच्चे को जन्म दिया है. यदुवीर की शादी जून में डुंगरपुर की जकुमारी तृषिका से हुई थी. भारत में सबसे लंबे वक्त तक राजशाही परंपरा को निभाने वाला मैसूर राजघराना इकलौता है. सबसे हैरान करने वाली बात तो ये कि पिछले 5 सदियों से यानि कि 1612 से इस राजवंश की किसी भी महारानी ने लड़के को कोख से जन्म नहीं दिया.